साहसी रमेश और सुरेश की रोमांचक कहानी भाग 1 - Best Adventure Story in Hindi - hindistory

साहसी रमेश और सुरेश की रोमांचक कहानी भाग 1


Best Adventure Story in Hindi  - Best Hindistory 

यह कहानी रमेश और सुरेश नाम के दो भाईयों की हैं जिंके परिवार वाले अचानक से बीमार हो जाते हैं। ऐसी स्थिती में दोनों के मातापिता अपने रिश्तेदारों की देखभाल करने के लिए चले जाते हैं। पिता के कहने पर काका रमेश सुरेश के साथ रात में रुक जाते हैं।

एक रात 5 चोर सुरेश रमेश के चोरी करने आते हैं। दोनों भाई इस बात की जानकारी अपने काका को देते हैं पर उनके काका चोरों को देखकर डर जाते हैं कई चोरी करने के बहाने मार तो नहीं देंगे। फिर दोनों भाई जल्दी हीं पोलिस घर पर आने वाली हैं ऐसी बातें मोबाईल पर करते हैं जिसके कारण 5 चोर अपनी जान बचाकर भाग जाते हैं।

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साहसी रमेश और सुरेश की रोमांचक कहानी - Best adventure story in hindi 

Adventure Story in Hindi  - गंधर्व मणी भाग 1 

कहानी की शुरुआत चंद्रनगर के एक छोटे से क्षेत्र से होती हैं। यह क्षेत्र पुनर्जन्म के लिए अधिक प्रसिद्ध होने से कई सारे न्युज चैनल्स खबरों की जाँच करने आते हैं। सारे हीं मामले सत्य हो जाने से यहाँ के लोग प्रसिद्धी प्राप्त करते हैं। मगर यहाँ के एक तांत्रिक को ऐसे बच्चों की आवश्यकता थी जो गंधर्व मणी लेकर जन्मे हो। वह मणी केवल उन बच्चों के अलावा किसी को भी दिखाई नहीं देती।

कई महिने बाद तांत्रिक को पता चलता हैं की चंद्रनगर में कई बच्चे गंधर्व मणी को लेकर जन्म लेने हैं। जिन्में से कुछ बच्चे स्वयं गंधर्वों का पुनर्जन्म हैं। यह तांत्रिक कई वर्षों से गंधर्व साधना कर रहा हैं ताकी शक्तीयाँ प्राप्त करके स्वयं की अलग दुनिया अंतरिक्ष में लोक बना सके। इस तांत्रिक का लक्ष हैं कई सारे रहस्यमयी जीवों को अपने लोक में लाकर रखना और उनकी शक्तीयों को चुराकर आकाशगंगा पर शासन करना।

आखिर वह समय आ जाता हैं जय विजय नाम के दो गंधर्व कांत परिवार में रमेश सुरेश के रूप में जन्म लेते हैं। दोनों के पास एक एक गंधर्व मणी रहती हैं जो उनके अलावा अन्य किसी को दिखाई नहीं देती। मगर जिनके पास जादुई शक्तीयाँ हैं वहीं मणी को देख सकते हैं और प्राप्त भी कर सकते हैं।

कई वर्षों बाद वह तांत्रिक अपने काम के लिए पांच व्यक्तीयों को चुनता हैं जो मणी को देख सकते हैं। अपना मुख्य लक्ष बताए बिना तांत्रिक पांच लोगों को चोर रूप में राजनगर की ओर भेज देता हैं। कम शक्तीयाँ होने से चोर अन्य मणीयों को चुरा नहीं पाते और वापस तांत्रिक के पास आकर सारी बात बताते हैं। तब उन्हें एक हथियार दिया जाता हैं।

रमेश और सुरेश वहीं बच्चे हैं जो मणीयों के साथ जन्म ले चुके हैं। उनके माता का नाम वंदना और पिता का नाम केशव हैं। रमेश सुरेश का परिवार अपना जीवन अच्छा बिता रहे होते हैं। एक दिन सुबह नाश्ता करते समय फोन की आवाज आती हैं। माता वंदना फोन उठाने चली जाती हैं। फोन पर बताई गई बात से दुखी माता वंदना दुखी होकर सारी बात पती केशव को बताती हैं, " मेरी माँ की तबीयत अचानक बिगड गई हैं उन्हें एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं और हमें उन्हे देखने जाना होगा "

केशव कहता हैं, " ठिक मैं हम आज हीं अस्पताल के लिए निकल जाएंगे और हाँ आवश्यक सामान पैक करो जरुरत पड सकती हैं "
रमेश सुरेश पिता के पास आकर कहते हैं, " क्या हुआ पिताजी आप परेशान दिख रहे हैं "
केशव कहता हैं, " तुम्हारी नानी की तबीयत बिगड गई हैं और उन्हें एक अस्पताल में कराया गया हैं। मुझे और वंदना को आज हीं अस्पताल जाना होगा। मैं दादा जी को कहूँगा तुम्हारे साथ रात में रहने के लिए आ जाए ताकी भय ना लगे "
रमेश सुरेश गर्दन हिलाआकर कहते हैं, " ठिक हैं पिताजी हम आपकी बात जरुर मानेंगे "

अधिक समय ना गँवाते हुए पिता केशव अपने पडोसी राघव काका के पास जाकर सारी बात बताई और कहाँ, " काका मेरी पत्नी वंदना की माँ की तबीयत अचानक से बिगड जाने के कारण सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं हमारा वहाँ जाना आवश्यक हैं। हमारे बच्चों की परिक्षाए होने से हम नहीं ले जा सकते। सुना हैं चंद्रनगर में चोरों का समुह आया हुआ हैं, अगर आप बच्चों के साथ होंगे तो उन्हें भय नहीं लगेगा। "

राघव काका सारी बातें समझकर कहते हैं, " आप बिना संदेह के अस्पताल चले जाए, मैं रमेश सुरेश का अच्छे से ध्यान रखुँगा, वैसे आप कबतक वापस लौट आएँगे, क्या अधिक दिन लग जाएंगे ?
केशव कहता हैं, " हम कुछ तीन चार दिवस रहकर आ जाएंगे, तबतक आप बच्चों का ध्यान रखना " इसके बाद केशव राघव काका को धन्यवाद देकर अपने घर पर वापस आ जाते हैं।

घर आने के बाद केशव बच्चों से कहता हैं, " देखो रमेश सुरेश मैं राघव काका से सारी बातें कहकर आया हूँ वे तुम्हारे साथ इस घर में रहने आएँगे, उन्हें किसी भी प्रकार कोई तकलिफ मत पहूँचाना। हम जल्दी हीं वापस घर लौट आएँगे, तबतक अपनी परिक्षा की तयारी में लग जाओ "
बच्चे कहते हैं, " ठिक हैं पिताजी, इस बात का ध्यान अवश्य रखेंगे और शिकायत का मौका नहीं देंगे "
बच्चों की बातें सुनकर वंदना और केशव अस्पताल की ओर गाडी लेकर चले जाते हैं।

केशव की बात मानकर राघव काका हर रोज सुरेश रमेश के घरपर रात के समय रहने के लिए आते हैं। दो दिन तक किसी भी प्रकार परेशानी नहीं हुई पर तीसरे दिन देर रात तक सुरेश रमेश पढाई करने लगे जब्की राघव काका सो गए। तब तांत्रिक अपने पांच चेलों को मणी देखने की शक्ती देकर मणी लाने हेतु सुरेश रमेश के घर पर भेज देता हैं। पांच चेले सुरेश के घर के पास आकर मास्क पहने रहते हैं। इस दौरान सुरेश रमेश सोने की तयारी कर रहे होते हैं। इतने में " जल्दी से दरवाजा खोलो " ऐसी आवाज दोनों को सुनाई देती हैं।

सुरेश रमेश जानते हैं की, उनके मातापिता घर पर नहीं हैं। वे जान जाते हैं की कोई हमारे घर का दरवाजा खोलने का प्रयास कर रहा हैं शायद ये वहीं चोर हो जिसके बारें में पिताजी ने हमें बताया। सुरेश रमेश के पास मौजुद मणीयाँ चमकना शुरु कर दोनों के उपर आवरण बना देती हैं। दोनों मणीयों के ऐसे बर्ताव करने को जान नहीं पाते। तब वे दरवाजे के पीछे कौन हैं देखने के लिए दरवाजे पास जाते हैं।

दरवाजे के होल से मुँह बांधे चोरों को देखते हैं जो दरवाजा खोल रहे हैं पर उन सब का एक हाथ किसी कारण से चमक रहा हैं। दोनों जल्दी से राघव काका को उठाकर दरवाजे पर चोर वाली बात बताते हैं। चोर की बात सुनकर राघव काका डर जाते हैं कहीं चोरी के बहाने मारने तो नहीं आए। अपने काका को ऐसे घबराते हुए देख उन्हें धीर दिया और चोरों को भगाने का उपाय सोचने लगे।

रमेश को एक सुझाव आता हैं जिसे वह अपने भाई सुरेश को बताता हैं और काका को साथ देने की विनती करता हैं जिसपर काका तयार हो जाते हैं। रमेश खिडकी के पास जाकर खडे रहता हैं जब्की सुरेश दरवाजे के पास रहकर ऐसे बात करता हैं जैसे पोलिस से बात कर रहा हो। खिडकी के पास मौजुद रमेश सायरन की आवाज चला देता हैं जिसपर चोर कहता हैं, " हम डरने वाले नहीं, दरवाजा खोलो, नहीं तो दरवाजा तोड देंगे "
सुरेश कहता हैं, " मत डरो पोलिस अभी आती होगी, फिर तुम क्या करोगे "

ऐसा कहते हीं चोर दरवाजे को पिटने लगते हैं तब सुरेश के पास मौजुद गंधर्व मणी से निकली सूक्ष्म तरंग चोरों को बहुत दूर उठाकर फ़ेक देती हैं। इस्से पहले चोर कुछ कर पाते उस स्थानपर सचमुच की पोलिस आ जाती हैं बाद न चाहते हुए चोरों को जान बचाकर भागना पडता हैं।

साहसी रमेश और सुरेश की रोमांचक कहानी भाग 1

Best Adventure Story in hindi Moral

सीख - " परिस्थिती कैसी भी हो बुद्धी विवेक का उपयोग करके सामना करना चाहिए "


दोस्तों आज की हमारी कहानी " साहसी रमेश और सुरेश की रोमांचक कहानी भाग 1- best adventure story in hindi " समाप्त हो जाती हैं। ऐसी और भी कहानीयों को पढने के लिए hindistoryloop blogspot and cosmickingmultiverse blogpost को अवश्य भेंट दे साथ comment करके अपने विचार अवश्य रखें। 

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