चालाक बंदर और मगरमच्छ की कहानी भाग 1 । Introduction In Hindi
यह कहानी गंडक नाम के क्षेत्र की हैं जहाँ एक तेज पुंज गिरने से Pocket Realm का निर्माण हो जाता हैं। गंडक क्षेत्र बाहर से दिखने में पहले जैसा हीं दिखता हैं लेकीन अंदर जाने पर किसी दूसरी में पहूँच गए ऐसा आभास हो जाता हैं।![]() |
चालाक बंदर और मगरमच्छ की कहानी भाग 1। Moral Story in hindi |
तेज पुंज की तरंगों के कारण गंडक क्षेत्र के जीवों में मानव के समान बात करने की शक्तीयाँ आ जाती हैं तब एक चंपक नाम का बंदर भी इस चपेट में आ जाता हैं। एक दिन मगरमच्छ अपनी पत्नी के कहने पर बंदर को बेवकूफ बनाकर बिच नदी में लाता हैं।
मगरमच्छ गलती से अपनी पत्नी की बात बंदर को बताता हैं फिर बंदर जान बचाने हेतु योजना बनाकर भागने का प्रयास करता हैं। खतरा देख बंदर आसानी से मगर को मुर्ख बनाकर पेड पर वापस आ जाता हैं। बंदर को ऐसा लगता हैं जैसे उसे कोई हर बार देख हो फिर पीछे मुडकर देखता हैं एक रहस्यमयी व्यक्ती पेड पर चढकर गायब हो गया।
यह वहीं रहस्यमयी व्यक्ती हैं जो अनेकों ब्रह्मांड में Portals बनाकर जाता हैं और कई सारी fiction कहानीयों को अपनी आँखों के सामने घटित होते देखता हैं कई बार वह उन घटनाओं में बदलाव भी कर देता हैं।
कहानी की शुरुआआत अंतरिक्ष से होती हैं। अंतरिक्ष में स्थित जीव ऊर्जा एक आयाम ऊर्जा को अपने साथ लेकर पुंज में बदल जाती हैं। इस घटना से आसपास के हजारों ब्रह्मांड में छोटी सी कंपन उत्पन्न होने से कई सारी डार्क एनर्जीज जागना शुरु कर देती हैं।
वह ऊर्जा पुंज सभी ग्रहों को एक पल में पार करके गंडक क्षेत्र के पास आकर गिर जाता हैं मगर हैरानी की बात यह हैं की किसी को नुकसान नहीं पहूँचता बल्की 5 km की radius में pocket realm का निर्माण हो जाता हैं। गंडक क्षेत्र में रहने वाले वैज्ञानिक realm की एनर्जी को आभास कर पाते हैं मगर देख नहीं पाते। कुछ समय के लिए गंडक क्षेत्र सामान्य हीं नजर आता हैं।
अनेको ब्रह्मांड में घुमने वाला रहस्यमयी व्यक्ती पुंज की तरह के कारण इस ब्रह्मांड में पोर्टल द्वारा आ जाता हैं। ऊर्जा पुंज जी ऊर्जा को खोजते हुए तेज अनजान रहस्यमय व्यक्ती " सुदर्शन " गंडक क्षेत्र में आ जाता हैं। सामान्य मानव जिस आयाम को देख नहीं सकते उसे वह आसानी से देख लेता हैं।
सुदर्शन हमेशा की तरह ध्यान लगाकर बैठ जाता हैं जिसे आभास हो जाती हैं की आगे होने वाली घटना की कहानी दूसरे आयाम के लोग एक दूसरे को सुना रहे हैं और अन्य ब्रह्मांड में कोई कहानी लिख रहा हैं जो होने वाली हैं जिसका एक भाग मैं भी हूँ।
इस कारण सुदर्शन उसी आयाम में अदृश्य होकर ऐसे पात्रों को खोजने लगता हैं जिसके उपर कहानी लिखी जा रहीं हैं। तब सुदर्शन को कहानी के मुख्य पात्र गंडक नदी के पास मिल जाते हैं। इतने सुर्दशन की नजर की वैज्ञानिकों के उपर जाती हैं जिनके पास Advanced Realm Detector हैं जिनकी मदद से गंडक क्षेत्र में आ पाते हैं।
वैज्ञानिक आभास होने वाली ऊर्जा के एक अंश को अपनी मशीन में install करके ultra computer में download कर देते हैं। वैज्ञानिकों को गंडक क्षेत्र सामान्य हीं दिखाई देता हैं बाद कुछ Data collect करके चले जाते हैं। अब फिर्से सुदर्शन आयाम में अजीब सी बात notice करता हैं।
इस 5 km क्षेत्र में जित्ने भी लोग थे उनके अंदर वन्य जीवों का एक aura आ जाता हैं मगर वे जान न पाने से सुप्त अवस्था में रहते हैं उनमें से 12 लोगों के पास 18 जीवों के aura समा जाते हैं। वे लोग धीरे धीरे ऊर्जा को नियंत्रित करने लगते हैं। दूसरी ओर वन्य जीवों में मानव के समान बोलने की शक्तीयाँ विकसित हो जाती हैं। कई जीव अर्धमानवीय रूप को प्राप्त करके आयाम में फँस जाते हैं और बाहर नहीं जा पाते।
अब यहाँ से कहानी सीधा गंडक नदी में स्थित मगरों पर मुड जाती हैं । भारी मात्रा में मगर एक दूसरे से बात कर रहे हैं और कुछ बंदर उछ्ल कुद करते रहते हैं। उसी नदी के किनारे बहुत बडा बरगद का पेड हैं और वहाँ एक चालाक बंदर मजे से फल खाता हैं। बंदर की चालाकी के कारण लोग उसे " चंपक " नाम देते हैं जो कई बार लोगों को मुसिबत में डाल देता हैं।
बरगद के पास हीं मीठे फल का पेड हैं जिसपर चंपक हमेशा जाया करता हैं। जैसे हीं लोग चंपक कहते बंदर दौडकर उनके पास जाता हैं। बंदर का नित्यक्रम करतब करके मीठे फल खाकर सो जाना। एक दिन मगर की पत्नी अधिक भुख लगने से मगर को शिकार के लिए भेजती हैं। नदी के दूसरी ओर पानी पीने आए दो हिरनों को मगर पकडकर पत्नी के पास ले जाने लगता हैं तब उसकी नजर एक बंदर पर पडती हैं।
बंदर मीठे फल खाकर मौजमस्ती कर रहा था जिसे देख मगर के मुख में पानी आ जाता हैं और खाने के लिए व्याकुल हो जाता हैं। बंदर पेड पर होने से मगर कुछ नहीं कर पाता तब एक हिरन को खाकर दूसरे हिरन को घर ले जाता हैं। मगर तय करता हैं की वह बंदर को मित्रता की जाल में उलझाकर बंदर को खा जाएगा पर यह आसान नहीं लगता।
मगर को फल लगे पेड के निचे देख बंदर थोडा घबरा जाता हैं। तब बंदर मगर से कहता हैं, " हे मगर तुम यहाँ क्या कर रहे हो, तुम्हें क्या चाहिए "
मगर कहता हैं, " मैं यहाँ खाने की खोज में आया हूँ, मैंने देखा तुम मीठे फल खा रहे हो "
बंदर कहता हैं, " क्या तुम्हें भी फल चाहिए, अभी तोडकर देता हूँ "
इतना कहने के बाद बंदर कुछ मीठे फल तोडकर मगर को देता हैं। मगर को फल खाने में अच्छे लगते हैं लेकीन बंदर को खाने की इच्छा अभी अधूरी होती हैं। धीरे धीरे हर रोज मगर बंदर के पास आता और मीठे फल खाकर चला जाता साथ हीं कुछ फल अपने परिवार के पास ले जाता हैं। जिन्हें खाकर मगर की पत्नी खुश हो जाती हैं।
इस कारण हर रोज मिलने से मगर और बंदर में दोस्ती बढ जाती हैं। दोनों मिलकर बहुत मीठे फल खाते और दोस्त के समान मौजमस्ती करते रहते हैं। एक दिन बंदर सर्वाधिक मीठे फल मगर को दे देता हैं ताकी उसकी पत्नी खा सके। मगर की पत्नी मगर से कहती हैं की, " यह फल बहुत मीठे, बंदर हर रोज खाता हैं तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा, मुझे बंदर का कलेजा खाना हैं "
मगर ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया लेकीन वह नहीं मानी। पत्नी के गुस्से के कारण मगर नाइलाज बरगद के पास जाता हैं जहाँ बंदर फल खाने जाने हीं वाला होता हैं। चंपक बंदर आगे क्या होने वाला हैं इस बात से अनजान मगर के समीप चला जाता हैं। कई सारी मिठी बातें करके मगर बंदर को फँसाने में सफल हो जाता हैं।
मगर की बातों में उलझकर बंदर नदी के दूसरे किनारे के पास स्थित फल खाना चाहता हैं तब मगर की पीठ पर बैठकर जाने का तय करता हैं। मगर भी खुश होकर थोडे फल खाता हैं तब बंदर मगर की पीठपर सवार होकर नदी के बिच से जाने लगता हैं। किसी कारण बंदर के दिल की धडकने बढना शुरु हो जाती हैं इससे पहले संभलता नदी के मध्य में पहूँच जाते हैं।
इतने में मगर अपने पत्नी की कलेजा वाली बात बताता हैं इस्से तो और भी घबराकर कैसे भागा जाए सोचना शुरु करता हैं। जो मगर अबतक मीठे फल और दोस्ती के कारण बंदर को खाना भुल गया था उसे पत्नी के दबाव के चलते सारी बातें याद आने लगती हैं। इस्से पहले सब याद आ जाए बंदर मगर को रुकने कहता हैं।
बंदर कहता हैं, " मैं अपना कलेजा पेड पर हीं रखकर आया, मुझे वापस पेड के पास ले चलो "
मगर, " ठिक हैं लेकीन जल्दी लेकर आना, मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा "
इतना कहने के बाद मगर, चंपक बंदर को बरगद के पास ले जाता हैं। बंदर तुरंत हीं अपनी जान बचाने के लिए पेड पर चढकर जोर जोर से हँसता रहता हैं।
मगर कहता हैं, " क्या हुआ मित्र, क्यूँ हँस रहे हो, कलेजा मिला या नहीं ? "
बंदर हँसकर कहता हैं, " अरे मुर्खराजा, भला कोई अपना कलेजा निकालकर जीवित रह सकता हैं, तुम बहुत बडे मुर्ख अपनी पत्नी से कहना "
इसके बाद मगर क्रोधित होकर चला जाता हैं। बंदर अपनी जान बच जाने खुश होकर फल तोडने दूसरे पेड पर चला जाता हैं।
इसके बाद रहस्यमयी व्यक्ती को लगता हैं की, लेखक द्वारा कहानी पूरी की गई तब कहता हैं, " धैर्य से कार्य करना चाहिए " तब रहस्यमयी व्यक्ती सुदर्शन को एक झटका लगने से दूसरे ब्रह्मांड की घटना पता चलती हैं जहाँ मगरमच्छ चंपक बंदर का शिकार करने में सफल हो जाता हैं।
दोस्तों, हमारी आज की कहानी " चालाक बंदर और मगरमच्छ की कहानी भाग 1 " hindi moral story समाप्त हो जाती हैं, अगर आपको पसंद आ जाए तो like share comment अवश्य करें
यह वहीं रहस्यमयी व्यक्ती हैं जो अनेकों ब्रह्मांड में Portals बनाकर जाता हैं और कई सारी fiction कहानीयों को अपनी आँखों के सामने घटित होते देखता हैं कई बार वह उन घटनाओं में बदलाव भी कर देता हैं।
चालाक बंदर और मगरमच्छ की कहानी भाग 1 Long Moral Story in hindi
कहानी की शुरुआआत अंतरिक्ष से होती हैं। अंतरिक्ष में स्थित जीव ऊर्जा एक आयाम ऊर्जा को अपने साथ लेकर पुंज में बदल जाती हैं। इस घटना से आसपास के हजारों ब्रह्मांड में छोटी सी कंपन उत्पन्न होने से कई सारी डार्क एनर्जीज जागना शुरु कर देती हैं।
वह ऊर्जा पुंज सभी ग्रहों को एक पल में पार करके गंडक क्षेत्र के पास आकर गिर जाता हैं मगर हैरानी की बात यह हैं की किसी को नुकसान नहीं पहूँचता बल्की 5 km की radius में pocket realm का निर्माण हो जाता हैं। गंडक क्षेत्र में रहने वाले वैज्ञानिक realm की एनर्जी को आभास कर पाते हैं मगर देख नहीं पाते। कुछ समय के लिए गंडक क्षेत्र सामान्य हीं नजर आता हैं।
अनेको ब्रह्मांड में घुमने वाला रहस्यमयी व्यक्ती पुंज की तरह के कारण इस ब्रह्मांड में पोर्टल द्वारा आ जाता हैं। ऊर्जा पुंज जी ऊर्जा को खोजते हुए तेज अनजान रहस्यमय व्यक्ती " सुदर्शन " गंडक क्षेत्र में आ जाता हैं। सामान्य मानव जिस आयाम को देख नहीं सकते उसे वह आसानी से देख लेता हैं।
सुदर्शन हमेशा की तरह ध्यान लगाकर बैठ जाता हैं जिसे आभास हो जाती हैं की आगे होने वाली घटना की कहानी दूसरे आयाम के लोग एक दूसरे को सुना रहे हैं और अन्य ब्रह्मांड में कोई कहानी लिख रहा हैं जो होने वाली हैं जिसका एक भाग मैं भी हूँ।
इस कारण सुदर्शन उसी आयाम में अदृश्य होकर ऐसे पात्रों को खोजने लगता हैं जिसके उपर कहानी लिखी जा रहीं हैं। तब सुदर्शन को कहानी के मुख्य पात्र गंडक नदी के पास मिल जाते हैं। इतने सुर्दशन की नजर की वैज्ञानिकों के उपर जाती हैं जिनके पास Advanced Realm Detector हैं जिनकी मदद से गंडक क्षेत्र में आ पाते हैं।
वैज्ञानिक आभास होने वाली ऊर्जा के एक अंश को अपनी मशीन में install करके ultra computer में download कर देते हैं। वैज्ञानिकों को गंडक क्षेत्र सामान्य हीं दिखाई देता हैं बाद कुछ Data collect करके चले जाते हैं। अब फिर्से सुदर्शन आयाम में अजीब सी बात notice करता हैं।
इस 5 km क्षेत्र में जित्ने भी लोग थे उनके अंदर वन्य जीवों का एक aura आ जाता हैं मगर वे जान न पाने से सुप्त अवस्था में रहते हैं उनमें से 12 लोगों के पास 18 जीवों के aura समा जाते हैं। वे लोग धीरे धीरे ऊर्जा को नियंत्रित करने लगते हैं। दूसरी ओर वन्य जीवों में मानव के समान बोलने की शक्तीयाँ विकसित हो जाती हैं। कई जीव अर्धमानवीय रूप को प्राप्त करके आयाम में फँस जाते हैं और बाहर नहीं जा पाते।
अब यहाँ से कहानी सीधा गंडक नदी में स्थित मगरों पर मुड जाती हैं । भारी मात्रा में मगर एक दूसरे से बात कर रहे हैं और कुछ बंदर उछ्ल कुद करते रहते हैं। उसी नदी के किनारे बहुत बडा बरगद का पेड हैं और वहाँ एक चालाक बंदर मजे से फल खाता हैं। बंदर की चालाकी के कारण लोग उसे " चंपक " नाम देते हैं जो कई बार लोगों को मुसिबत में डाल देता हैं।
बरगद के पास हीं मीठे फल का पेड हैं जिसपर चंपक हमेशा जाया करता हैं। जैसे हीं लोग चंपक कहते बंदर दौडकर उनके पास जाता हैं। बंदर का नित्यक्रम करतब करके मीठे फल खाकर सो जाना। एक दिन मगर की पत्नी अधिक भुख लगने से मगर को शिकार के लिए भेजती हैं। नदी के दूसरी ओर पानी पीने आए दो हिरनों को मगर पकडकर पत्नी के पास ले जाने लगता हैं तब उसकी नजर एक बंदर पर पडती हैं।
बंदर मीठे फल खाकर मौजमस्ती कर रहा था जिसे देख मगर के मुख में पानी आ जाता हैं और खाने के लिए व्याकुल हो जाता हैं। बंदर पेड पर होने से मगर कुछ नहीं कर पाता तब एक हिरन को खाकर दूसरे हिरन को घर ले जाता हैं। मगर तय करता हैं की वह बंदर को मित्रता की जाल में उलझाकर बंदर को खा जाएगा पर यह आसान नहीं लगता।
मगर को फल लगे पेड के निचे देख बंदर थोडा घबरा जाता हैं। तब बंदर मगर से कहता हैं, " हे मगर तुम यहाँ क्या कर रहे हो, तुम्हें क्या चाहिए "
मगर कहता हैं, " मैं यहाँ खाने की खोज में आया हूँ, मैंने देखा तुम मीठे फल खा रहे हो "
बंदर कहता हैं, " क्या तुम्हें भी फल चाहिए, अभी तोडकर देता हूँ "
इतना कहने के बाद बंदर कुछ मीठे फल तोडकर मगर को देता हैं। मगर को फल खाने में अच्छे लगते हैं लेकीन बंदर को खाने की इच्छा अभी अधूरी होती हैं। धीरे धीरे हर रोज मगर बंदर के पास आता और मीठे फल खाकर चला जाता साथ हीं कुछ फल अपने परिवार के पास ले जाता हैं। जिन्हें खाकर मगर की पत्नी खुश हो जाती हैं।
इस कारण हर रोज मिलने से मगर और बंदर में दोस्ती बढ जाती हैं। दोनों मिलकर बहुत मीठे फल खाते और दोस्त के समान मौजमस्ती करते रहते हैं। एक दिन बंदर सर्वाधिक मीठे फल मगर को दे देता हैं ताकी उसकी पत्नी खा सके। मगर की पत्नी मगर से कहती हैं की, " यह फल बहुत मीठे, बंदर हर रोज खाता हैं तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा, मुझे बंदर का कलेजा खाना हैं "
मगर ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया लेकीन वह नहीं मानी। पत्नी के गुस्से के कारण मगर नाइलाज बरगद के पास जाता हैं जहाँ बंदर फल खाने जाने हीं वाला होता हैं। चंपक बंदर आगे क्या होने वाला हैं इस बात से अनजान मगर के समीप चला जाता हैं। कई सारी मिठी बातें करके मगर बंदर को फँसाने में सफल हो जाता हैं।
मगर की बातों में उलझकर बंदर नदी के दूसरे किनारे के पास स्थित फल खाना चाहता हैं तब मगर की पीठ पर बैठकर जाने का तय करता हैं। मगर भी खुश होकर थोडे फल खाता हैं तब बंदर मगर की पीठपर सवार होकर नदी के बिच से जाने लगता हैं। किसी कारण बंदर के दिल की धडकने बढना शुरु हो जाती हैं इससे पहले संभलता नदी के मध्य में पहूँच जाते हैं।
इतने में मगर अपने पत्नी की कलेजा वाली बात बताता हैं इस्से तो और भी घबराकर कैसे भागा जाए सोचना शुरु करता हैं। जो मगर अबतक मीठे फल और दोस्ती के कारण बंदर को खाना भुल गया था उसे पत्नी के दबाव के चलते सारी बातें याद आने लगती हैं। इस्से पहले सब याद आ जाए बंदर मगर को रुकने कहता हैं।
बंदर कहता हैं, " मैं अपना कलेजा पेड पर हीं रखकर आया, मुझे वापस पेड के पास ले चलो "
मगर, " ठिक हैं लेकीन जल्दी लेकर आना, मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा "
इतना कहने के बाद मगर, चंपक बंदर को बरगद के पास ले जाता हैं। बंदर तुरंत हीं अपनी जान बचाने के लिए पेड पर चढकर जोर जोर से हँसता रहता हैं।
मगर कहता हैं, " क्या हुआ मित्र, क्यूँ हँस रहे हो, कलेजा मिला या नहीं ? "
बंदर हँसकर कहता हैं, " अरे मुर्खराजा, भला कोई अपना कलेजा निकालकर जीवित रह सकता हैं, तुम बहुत बडे मुर्ख अपनी पत्नी से कहना "
इसके बाद मगर क्रोधित होकर चला जाता हैं। बंदर अपनी जान बच जाने खुश होकर फल तोडने दूसरे पेड पर चला जाता हैं।
इसके बाद रहस्यमयी व्यक्ती को लगता हैं की, लेखक द्वारा कहानी पूरी की गई तब कहता हैं, " धैर्य से कार्य करना चाहिए " तब रहस्यमयी व्यक्ती सुदर्शन को एक झटका लगने से दूसरे ब्रह्मांड की घटना पता चलती हैं जहाँ मगरमच्छ चंपक बंदर का शिकार करने में सफल हो जाता हैं।
चालाक बंदर और मगरमच्छ की कहानी भाग 1 - Moral in hindi story
सीख - " मुसिबत के समय हमें धैर्य और समझदारी स्स सामना करना चाहिए "दोस्तों, हमारी आज की कहानी " चालाक बंदर और मगरमच्छ की कहानी भाग 1 " hindi moral story समाप्त हो जाती हैं, अगर आपको पसंद आ जाए तो like share comment अवश्य करें
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