साप और कौवा की कहानी भाग 1 - snake and crow hindi moral story

साप और कौवा की कहानी भाग 1 - saap aur kauwa ki kahani - snake and crow hindi moral story 


यह कहानी Earth 616 universe की हैं जहाँ रमेश शारिरीक क्षमता का उपयोग करने पर भी खेल में नहीं जीत पाता तब सुरेश उसे प्रेरक कहानीयों के बारें में थोडी सी जानकारी देकर motivational story hindi pdf kaise download karen इस बारें में बताता हैं।


Snake and Crow Story Part 1 । Moral Story 

 तब सुरेश उसे हौसला देने के लिए साप और कौवा की कहानी अपनी भाषा में बताना शुरु करता हैं पर सुरेश और रमेश जान नहीं पाते की दुसरे ब्रह्मांड Earth 619 में उनके हीं प्रतिरूप साप और कौवा बने हुए हैं।

जैसे जैसे सुरेश कहानी बताते जाता हैं वैसे वैसे Earth 619 में उसी प्रकार घटना तेजी से होने लगती हैं कुछ देर के लिए universe glitch के कारण सुरेश और रमेश को सबकुछ अपनी आँखों के सामने होते दिख जाता हैं मगर आसपास के अन्य लोग देख नहीं पाते।

जैसे हीं सुरेश रमेश सबको इस घटना के बारें में जाते हैं तब कोई भी विश्वास नहीं करता और पागल कहकर अपने खेल के कार्य करते हैं। इस घटना से दोनों हीं डरकर किसी से कुछ बोल नहीं पाते और अपने घर गाडी लेकर जाते हैं। 

साप और कौवा की कहानी का यह पहला भाग पार्ट 1 जल्दी हीं इसका दूसरा पार्ट भी आएगा

यह एक कौवा कौवी की कहानी जग प्रसिद्ध कहानी हैं । कौवे का यह जोडा बरगद के पेड के उपर घोसले बनाकर अपने अंडे रखती हैं आते समय देखते हैं की उनके अंडे वहाँ पर नहीं हैं। असल में पेड के पास बिल बनाकर रहने वाला साप कौवे अंडों को खा जाता हैं। दोनों कौवे साप की मौजुदगी से अनजान रहते हैं। इस इसी तरह साप कई बार कौवे के साथ कई पक्षीयों के अंडे खा जाता हैं। 

कौवे का जोडा एक दिन अंडे खाकर बिल में जाते देखता हैं और सबक सीखाने के उद्देश्य से लोमडी के साथ योजना बनाकर राजकुमारी का हार साप के बिल में रख देती हैं। बाद में राजकुमारी के हार खोजते हुए साप के बिल के पास आए सैनिक साप के बाहर आ जाते हैं। 

साप सैनिकों पर हमला कर देता हैं इसके पहले साप कोई नुकसान पहूँचाए सैनिक साप को भाले से मार देते हैं और राजकुमारी को उस्का हार लौटा देते हैं। इसके बाद कौवे का जोडा बदला पूरा हो जाने पर अपने नए घोसले में रहने चले जाते हैं। 

साप और कौवे की कहानी 1 - saap aur kauwa hindi moral story 


राजनगर के पास बरगद के पेड पर एक घोसला था, जिसमें वर्षों से एक कौवा कौवी का जोडा रहा करता था। दोनों कौवे सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे थे। दिनभर भोजन की तलाश में वे बाहर रहते और शाम ढलने पर वापस आकर घोसले में आराम करते थे। एक दिन काला साप भटकते हुए बरगद के पेड के पास आया। पेड के तने में एक बडा खोल देखकर वहीं रहने लगा।

कौवा कौवी साप की मौजुदगी से अनजान थे और उनकी दिनचर्या हर रोज की तरह चलती रहीं। मौसम के दिनों में कौवी ने अंडे दिए जिस्से दोनों प्रसन्न थे। दोनों कौवे अंडों से अपने बच्चों को निकलता देखने के व्याकुल हो होने लगे। एक दिन दोनों कौवे भोजन की तलाश में घोसले से बाहर चले गए मगर साप पर उन्का ध्यान नहीं जाता।

पेड की खोल में रहने वाले साप ने अवसर पाया और घोसले की ओर उपर गया। घोसले में मौजुद अंडों को खाने के बाद चुपचाप पेड की खोल में वापस आया।
इसी तरह उस साप ने कई पक्षीयों के अंडे खाए और कोई कुछ भी नहीं कर पाया। कौवा कौवी के आने से पहले साप ने एक बतख को पकडकर खा लिया और इस कारण अन्य पक्षीयों में चहल पहल तेज होने लगी। इतने में साप अपने खोल में वापस चला गया।

दूसरी ओर जोरों की आवाजों के चलते कौवा कौवी वापस आकर देखते हैं की हमारे घोसले में अंडे नहीं हैं इस कारण वे दुखी हो जाते हैं। जब भी भोजन की खोज में दोनों घोसले से बाहर जाते तो उनके अंडे कोई ना कोई ले जाता और वे इसे अपनी नियती जान कर हताश हो जाते थे।

इस बार कौवी सतर्क थी इस कारण घोसले में अंडे दिए और बडे ध्यान से संभाल कर रहे थे। कौवी की इस जागृतता के कारण साप चाहकर भी अंडों को खा नहीं पाता। इस प्रकार कौवी के अंडे अभी कई दिनों तक सुरक्षित रह पाते हैं। किंतु कौवा और कौवी एक गलती कर बैठे और भोजन की तलाश में दोनों एकसाथ घोसले से निकल पडे।

दोनों कौवे घोसले में उपस्थित ना होने से साप को अंडे खाणे का मौका मिल गया। तब साप मौका देख कर घोसले की ओर चला गया और एक एक करके सारे अंडे अपने बिल में लाने में सफल रहा। लेकीन कौवा और कौवी को इस दिन भोजन जल्दी मिल चुका था इसिलिए वे घोसले की ओर जल्दी पहूँच गए और साप को उनके अंडे तेजी से बिल में जाते देख लिया। इस्से पहले दोनों कुछ कर पाते साप अंडों को बिल में ले जा चुका था।

साप के द्वारा अंडे ले जाने के बाद कौवी बहुत दुखी होकर फूट-फूटकर रोने लगी। इसके बाद कौवे ने बहुत प्रयत्न करने के बाद कौवी को समझाया की अब हमें अपने शत्रु का पता लग चुका और भविष्य में सतर्क रहेंगे और साप के लिए कोई उपाय अवश्य सोचेंगे जिस्से दंडित किया जाए। कुछ दिनों बाद सब पहले जैसा हो गया और इस बार कौवे ने बरगद के पेड में हीं उपर की टहनी में अपना घोसला बनाया।

कौवे ने कौवी को धीर देते हुए कहाँ " इस बार साप हमारे घोसले में नहीं आ पाएगा क्योंकी यह घोसला सबसे उपर टहनी पर बना हैं जिसके कारण आसमान में से साफ साफ घिसले को देखा जा सकता हैं। अगर यदी साप हमारे घोसले में प्रवेश करने का प्रयत्न भी करता हैं तो उसे उपर उडता हुआ गरूड देखकर खा जाएगा। तुम तो जानती हो की, साप और गरूड एक दूसरे के विरोधी शत्रु हैं इस कारण साप घोसले में नहीं आएगा और हमारे अंडे सुरक्षित रहेंगे।"

इसके बाद कौवे की बात मानकर कौवी ने नए घोसले में अंडे दिए जो सुरक्षित बचे रह गए जिसमें से बच्चे भी बाहर निकल गए यह देख दोनों खुश हो गए। जिस साप ने अंडे खाए थे वह साप हमेशा की तरह पुराने वाले घोसले में जाता और घोसला खाली देखकर निराश होकर वापस चला जाता। लेकीन बरगद का पेड विशाल होने से नया वाला घोसला साप को दिखाई नहीं देता था जिसमें कौवा कौवी और उनके बच्चे रहते थे। इस कारण साप को लगा की उसके भय के चलते कौवा कौवी दूर चले गए और वापस नहीं आएंगे, मुझे कोई और घोसला देखना होगा।

इसके कुछ दिनों बाद आसमान में उडकर पेडों पर बैठने वाले पक्षीयों पर साप नजर बनाए रखता हैं। साप देखता हैं की कौवा कौवी इसी बरगद के पेड के उपर से घुमते हैं साथ हीं शाम के समय उसी पेड के उपर आ जाते हैं। साप समझ जाता हैं की कुछ तो गडबड हैं जो उसे पता नहीं शायद कौवा कौवी ने अपना घोसला इसी पेड की एक शाखा पर बनाया हैं। फिर इसके पीछे क्या कारण हो सकता हैं।

इसके अगले दिन कौवा कौवी खुशी के साथ उडकर भोजन खोजने जाते हैं। कौवों को जाते देख साप पेड पर चढकर घोसला खोजने निकल पडता हैं मगर उसे नहीं मिलता हैं। हताश होकर ठहरे साप को एक शाखा पर घोसला देखा फिर घोसले की ओर आगे बढ गया। आखिर में साप कौवा कौवी के घोसले के पास पहूँचा जहाँ उसे कौवी के तीन बच्चे चिल्लाते हुए दिखते हैं। साप ने देखते हीं देखते कौवी के तीनों बच्चों को एक एक करके निगल लिया और तुरंत बिना देर किए अपने बिल में चला गया।

कौवा कौवी ने घोसले में लौटकर देख की घोसला खाली हैं। कौवी इस बार बहुत दुखी होकर रोने लगी और आसपास के पंखों को बिखरा देख समझ गई साप ने घोसला ढुंढ निकाला और बच्चों को मारकर खा गया। कौवी कहने लगी यह हमारी हीं गलती हैं हमें बाहर नहीं जाना चाहिए था।

इस घटना को देखकर कौवी दुखी रोटे हुए कौवे से कहती हैं हर बार साप हमारे घोसले को खोजकर भोजन बना लेता हैं क्या हम साप को रोकने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते ? क्या हम इतने बेबस हैं की रोते रहे और और साप बच्चों को खाता रहे ? क्या हम इस समस्या से कभी निकल पाएंगे ? मुझे बात का जवाब चाहिए। कौवा कहता हैं, हम साप को सबक तो सीखाकर हीं रहेंगे, लेकीन इस दुविधा में विवेक नहीं खोने देना हैं।

साप जैसे दुष्ट जीवों से निपटकर हराने के लिए हमें मित्रों की आवश्यकता होगी, इस कारण हमें चालाक लोमडी के पास चले जाना चाहिए जो विकट स्थिती से बाहर निकलने का उपाय बता सकती हैं। कौवा कौवी तेजी से उडकर चालाक लोमडी के पास चले जाते हैं और स्वयं के साथ हुई सारी घटनाओं को बताते हैं। लोमडी सारी बातें सुनने समझने के बाद दोनों को सांत्वना देती हैं। इसके बाद लोमडी दोनों को साप को सबक सीखाने का उपाय बताती हैं।

लोमड़ी ने कौवे को उपाय दिया कि इस राज्य की राजकुमारी मित्रवृंदा अपनी सखीयों के साथ पास के तंजावर सरोवर में जल क्रीड़ा करने आती है। उनकी सखीयों के अलावा कुछ सैनिक भी उनकी रक्षा के लिए वहां होते हैं। तुम वहां जाकर राजकुमारी की किसी भी किमती वस्तुओं को चुराकर उनके सैनिकों को दिखाते दिखाते पेड़ के पास ले आना और पेड़ के पास पहुंचते ही उस कीमती वस्तु को सांप के बिल में डाल देना।

उपाय सुनते ही कौवा और कौवी खुश हुए और लोमड़ी को धन्यवाद देते हुए वहां से अपने घोंसले की ओर लौट गए।
अगले दिन कौवे ने ऐसा ही किया और वह सरोवर के लिए निकल पड़ा। पास के सरोवर में पहुंचते ही वह वहां एक पेड़ की शाखा पर बैठ गया और जैसे ही राज्य की राजकुमारी स्नान करने सरोवर में उतरी तो उसने सर्वप्रथम राजकुमारी और उनकी सखीयों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कांव कांव करना शुरू किया।

अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने के पश्चात कौवा मौका पाकर राजकुमारी का सबसे कीमती हार (जो उनके वस्त्रों के साथ सरोवर के तट पर रखा था) अपनी चोंच में दबाकर आसमान में उड़ने लगा।

कौवे के इतना करते ही राजकुमारी की सहेलियां चिल्लाने लगी,"देखो वो कौवा राजकुमारी का हार चुराकर ले जा रहा है।" 
जब सैनिकों ने आसमान में कौवे के मुंह में हार देखा तो वे भी आश्चर्यचकित रह गए और कौवे का पीछा करने लगे। कौवे ने अपनी गति कम रखी जिससे राजकुमारी के सैनिक उसका पीछा तब तक करते रहे जब तक वह अपने घोंसले के पास ना पहुंच जाए।

जैसे ही कौवा बरगद के पेड़ के पास पहुंचा तो उसने सांप के बिल में वह हार डाल दिया और खुद अपने घोंसले में चले गया। जैसे ही राजकुमारी के सैनिकों ने बिल में झांका तो उन्हें सांप दिखा और उसके बगल में ही राजकुमारी का हार भी था।

सैनिक अपने भाले से राजकुमारी के हार को सांप के बिल से निकालने की कोशिश करने लगे वैसे ही सांप की नींद खुल गई। सांप भाले को देख डर गया और बात को जानने के लिए जैसे ही बाहर निकला वैसे ही सैनिकों ने उस पर अपने अपने भालों से प्रहार करने प्रारंभ कर दिए। सैनिकों द्वारा भालों से प्रहार करने के कुछ समय उपरांत सांप की वही मृत्यु हो गई।

इस घटना के बाद कौवे के मन में यह शब्द गुँजने
लगते हैं जिसे जाने के बाद कौवा अपने परिवार के
साथ खुशी से रहने लगता हैं।

Saap aur kauwa hindi moral story Part 1 of the story


“जहाँ शारीरिक शक्ति काम न आये, वहाँ बुद्धि से
काम लेना चाहिए। बुद्धि से बड़ा से बड़ा काम किया
जा सकता है और किसी भी संकट का हल निकाला
जा सकता है। “

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