समझदार मोहन और शेर की कहानी भाग 1 - Introduction in hindi
यह कहानी एक गुलाम की हैं जिसका नाम मोहन हैं। मोहन अपने राजा कृतवर्मा की क्रूरता से परेशान होकर जंगल में जीवन बिताने चला जाता हैं। कुछ समय जंगल में बित जाते हैं तभी एक दिन लंगडाते हुए शेर के पैर में काटा निकालता हैं।पहले तो शेर मोहन की देखकर गुस्सा हो जाता हैं फिर उसे मोहन के अंदर दिव्य ऊर्जा की अनुभूती हो जाती हैं बाद में शांत होकर अपने पैर का काटा निकालने देता हैं। मोहन भयभीत होकर काटा निकाल कर अपने रास्ते चला जाता हैं।
उसके कुछ दिन राजा उसी शेर और अन्य हिंसक जीवों के साथ मोहन को भी पकडा जाता हैं। इसके बाद सभी को पकडकर महल में गुलाम की तरह लाया लाया जाता हैं। मोहन राजा और उसके सैनिकों को अपनी बातों में उलझाकर सभी जीवों को मुक्त कर देता हैं और मौका देखकर शेर के साथ भागने में सफल रहता हैं।
समझदार मोहन और शेर की कहानी भाग 1 । Long moral story in hindi
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Moral Story in hindi । Clever Lion |
इस कहानी की शुरुआत भूमंडल से उपर 10 लाख प्रकाश वर्ष दूर हिरण्यवज्र लोक से होती हैं। यहाँ के मानवीय जीवों को हिरण्य कहते हैं क्योंकी इनका आंतरिक तेज एक आकाशगंगा जित्ना होता हैं। इन हिरण्य जीवों की आयु 1 लाख वर्ष हैं और शेर का मुख साथ हीं नीले रंग की चमकदार पुँछ।
यह हिरण्य जीव अधिकतर अंतरिक्ष में भ्रमण करना पसंद करते हैं और कई बार पृथ्वी की परिक्रमा करना सुर्य से ऊर्जा प्राप्त करके शक्तीयाँ बढाना जैसे कार्य करते रहते हैं। इन जीवों की खास बात यह हैं की वे मरने के बाद इच्छाशक्ती के द्वारा कोई भी शरीर किसी भी स्थानपर धारण कर सकते हैं।
हिरण्यवज्र के महाराज हिरण्यमान अपने लोक के सभी राजाओं को एकसाथ बुलाकर अंतरिक्ष में रहीं गडबडी को सुधारने का आदेश देते हैं। इसका पालन करते हुए सभी राजा उन लोगों को पकडकर चेतावनी देते हैं जो पृथ्वी और अन्य ग्रहपर जाकर वहाँ के जीवों को उठा लेते अथवा अनेको सुर्यों की ऊर्जा सोकने का कार्य करते हैं।
जिन हिरण्य लोगों ने आदेश का उल्लंघन किया उन सबको शक्तीशाली कैदखाने में बंद कर दिया इस कारण वहाँ के लोग विरोध कर देते हैं। इन झगडों से तंग आकर वज्रनाभ नाम का हिरण्य अपना शरीर छोडकर पृथ्वीपर जन्म लेने का निश्चय करता हैं। वज्रनाभ के मातापिता उसके इस निर्णय से दुखी होकर रोकने की चेष्टा कर देते हैं।
वज्रनाभ अपने मातापिता को शरीर छोडने का कारण बताकर एक मणी के पास जाता हैं। जैसे हीं आँखे बंद कर देता हैं सूक्ष्म शरीर बाहर निकलकर पृथ्वी की ओर चला जाता हैं जबकी स्थूल शरीर ऊर्जा पुंज में बदलकर उसी मणी में समा जाता हैं बाद में उसके पिता उस मणी को अपने घर में संभालकर रखती हैं।
वज्रनाभ के पिता कुछ वर्ष बाद राजा बनने वाले हैं तब वह अपने बेटे को पुन्हा वहीं शरीर धारण करवाने में सक्षम हो जाएँगे। ऐसा इसिलिए क्योंकी हिरण्यवज्र लोक की आयु वहाँ के महाराज हिरण्यमान जित्नी हैं साथ हीं प्रत्येक राजा आयु की 1 करोड वर्ष रहती हैं।
बस यहीं कारण हैं की वज्रनाभ के पिता राजा बनना चाहते हैं।
पृथ्वीपर राजा कृतवर्मा के यहाँ गुलाम के रूप में कार्य करने वाले वामन के घरपर तेज प्रकाश स्थित रहता हैं थोडी देर बाद वामन की पत्नी एक बेटे को जन्म देती हैं। वामन की पत्नी बेटे का नाम मोहन रखती हैं। उसी राज्य में स्थित एक रहस्यमयी जान जाता हैं की मोहन वास्तव में वज्रनाभ हैं लेकीन अपनी शक्तीयाँ भूल चुका हैं। अब वह एक आम मानव हैं।
इसके बाद रहस्यमय व्यक्ती कई रूप धारण करके मोहन की गतिविधी पर नजर बनाए रखता हैं। क्रूर राजा कृतवर्मा के चलते मोहन को भी गुलामी स्वीकार करनी पड जाती हैं मगर वह कर भी क्या सकता था। कुछ समय बाद राजा की क्रूरता और षडयंत्र के तहत कई लोगों को मरवाया जाता हैं जिसमें मोहन के माता पिता हैं।
मोहन सबसे अंजान राजा की गुलामी में व्यस्त रहता हैं कहीं ना कहीं राजा के विरुद्ध क्रोध को बढाता रहता हैं। राजा के सनिक जब निर्दोष व्यक्ती को तडपाना शुरु करते हैं उस समय मोहन क्रोध में आकर कुछ सनिकों को मारकर व्यक्ती को बचाता हैं इस कारण राजा मोहन के पीछे पडकर मारने का प्रयास करता हैं। किसी तरह मोहन स्वयं को बचाकर घने जंगल की ओर भाग जाता हैं।
मोहन जंगल में पाता हैं की राजा के सनिकों के कारण शेर के पैरों में काँटे फँस गए हैं जिसे निकाल पाना कठिन हैं। शेर के डर से मोहन पेड के पीछे रहकर सब देखता हैं। शेर दर्द के मारे दहाडना शुरु कर देता हैं मागर उसे आसपास कोई नहीं मिलता। काँटों को बार बार निकालने का प्रयास असफल रह जाता हैं।
मोहन थोडी सी हिम्मत करके शेर के पास जाता हैं मदद करने पर शेर गुर्राता हैं। तब शेर को मोहन के अंदर दिव्य प्रकाश आभास हो जाता हैं और उसके बाद शेर शांत होकर काँटा निकालने देता हैं। काँटा निकालते हीं शेर कुछ देर मोहन को देखकर सैनिकों से दूर चला जाता हैं।
मोहन किसी तरह जंगल में अच्छे दिन बिताता हैं एक दिन राजा के सैनिक जंगल में प्रवेश करके वन्य जीवों के लिए जाल बिझा देते हैं। सैनिकों के जाल में वहीं शेर फँस जाता हैं जब भी शेर जाल को काटने का प्रयास करता नुकिले भाले से चुभाया जाता हैं। तब अपनी जान बचाने के लिए शेर को शांत होना पडता हैं तब मोहन भी आवाज की ओर चला जाता हैं।
राजा के सैनिक बडी चालाकी से छुडाने आए मोहन को भी पकडकर महल में भेजा जाता हैं। राजा अपने मनोरंजन के उन्हीं जानवरों को कैदीयों से लडवाना चाहता हैं मगर सेनापती इसका विरोध करता हैं। इससे पहले सेनापती को दंड दिया जाता पकडे हुए जानवरों को राजा के समक्ष पेश किया जाता हैं।
जानवरों के मध्य में लडाई करवाने से पहले राजा की नजर कैद किए गए मोहन की ओर जाती हैं। मोहन को देख राजा का खून खौल उठता हैं। राजा के कहने पर सैनिक मोहन को थोडी पीडा देकर कमजोर किया जाता हैं ताकी शेर का शिकार आसानी बन जाए। थोडी देर बाद लाए गए शेर के पिंजरे में डालकर हँसने लगते हैं तब मोहन भी खुद को छुडाने का प्रयास करता हैं जैसे जैसे शेर पास आ जाता हैं मोहन पसीने से भीग जाता हैं।
राजा चाहता था की शेर मोहन को देखते हीं मार डाले फिर मोहन की नजर शेर की ओर जाती हैं। मोहन जान जाता हैं की यह वहीं शेर हैं जिसके पैरों से काँटा निकालकर जान बचाई थी अब शेर को मोहन के अंदर दिव्य ऊर्जा का आभास हो जाता हैं। सबको लगता हैं शेर मोहन को मार डालेगा किंतु ऐसा नहीं होता। शेर मोहन के पास आकर रुक जाता हैं दिव्य ऊर्जा की अनुभूती करके वापस अपने स्थान पर बैठ जाता हैं। प्रजा भी हैरान होकर देखती हैं मगर कुछ भी समझ नहीं पाती।
शेर और अन्य जानवरों को बचाने के लिए मोहन अपनी उलटी सिधी बातों में उलझाए रखता हैं मौके का फायदा उठाकर रहस्यमयी व्यक्ती मैदान में धुँआ करके मोहन को कैद से आजाद करते हुए जंगल की ओर चला जाता हैं जहाँ मोहन जाने वाला हैं। मोहन खुद को छुपाते हुए सभी जानवरों को छोडकर शेर को अपने साथ जंगल में ले जाता हैं।
कई सारे सैनिक मोहन की ऊर्जा के दबाव से मारे जाते हैं लेकीन अन्य किसी को हानी नहीं होती। जंगल में समझदार मोहन और शेर एक दूसरे को आखिरी बार देखकर अपने रास्ते चले जाते हैं। शेर के जाने के बाद मोहन किसी दूसरे राज्य की ओर तेजी से बढना शुरु करता हैं। मोहन भी अपने अंदर की दिव्य ऊर्जा सहन ना कर पाने से जंगल के आधे रास्ते में बेहोश होकर गिर जाता हैं।
300 वर्ष की आयु वाला साधक मोहन की दिव्य वास्तविकता जानकर अपने साथ आश्रम में ले जाता हैं और साधना की ऊर्जा से मोहन के शरीर को ताकदवर बनाने के लिए कुछ महिनों के दिव्य ऊर्जा को शांत कर देता हैं।
दूर से देख रहा रहस्यमयी व्यक्ती कहता हैं, " दूसरों की जरुरत के समय मदद करनी चाहिए, बाद में किसी न किसी रूप में पुरस्कार मिल हीं जाता "
इतना कहने के बाद रहस्यमयी व्यक्ती पल भर में अपने रहस्यमयी स्थानपर चला जाता हैं जिसकी तरंग कई जीवों को लग जाती हैं।
दूसरी ओर बेहोश हुआ मोहन सूक्ष्म शरीर द्वारा उसी जंगल में आकर रहस्यमयी व्यक्ती को गायब होते देख लेता हैं और तुरंत आँख बंद करते हैं स्थूल शरीर में प्रवेश करता हैं।
समझदार मोहन और शेर की कहानी भाग 1
सीख - " मुसिबत के समय दूसरों की मदद करनी चाहिए, जिसका अच्छा परिणाम बाद में मिलता हैं "
हमारी आज की कहानी " समझदार मोहन और शेर की कहानी भाग 1 " समाप्त हो जाती हैं। अगर स्टोरी पसंद आ जाए तो like share comment अवश्य करें ताकी आने वाली कहानीयाँ जल्द हीं पढने को मिल सके।
यह हिरण्य जीव अधिकतर अंतरिक्ष में भ्रमण करना पसंद करते हैं और कई बार पृथ्वी की परिक्रमा करना सुर्य से ऊर्जा प्राप्त करके शक्तीयाँ बढाना जैसे कार्य करते रहते हैं। इन जीवों की खास बात यह हैं की वे मरने के बाद इच्छाशक्ती के द्वारा कोई भी शरीर किसी भी स्थानपर धारण कर सकते हैं।
हिरण्यवज्र के महाराज हिरण्यमान अपने लोक के सभी राजाओं को एकसाथ बुलाकर अंतरिक्ष में रहीं गडबडी को सुधारने का आदेश देते हैं। इसका पालन करते हुए सभी राजा उन लोगों को पकडकर चेतावनी देते हैं जो पृथ्वी और अन्य ग्रहपर जाकर वहाँ के जीवों को उठा लेते अथवा अनेको सुर्यों की ऊर्जा सोकने का कार्य करते हैं।
जिन हिरण्य लोगों ने आदेश का उल्लंघन किया उन सबको शक्तीशाली कैदखाने में बंद कर दिया इस कारण वहाँ के लोग विरोध कर देते हैं। इन झगडों से तंग आकर वज्रनाभ नाम का हिरण्य अपना शरीर छोडकर पृथ्वीपर जन्म लेने का निश्चय करता हैं। वज्रनाभ के मातापिता उसके इस निर्णय से दुखी होकर रोकने की चेष्टा कर देते हैं।
वज्रनाभ अपने मातापिता को शरीर छोडने का कारण बताकर एक मणी के पास जाता हैं। जैसे हीं आँखे बंद कर देता हैं सूक्ष्म शरीर बाहर निकलकर पृथ्वी की ओर चला जाता हैं जबकी स्थूल शरीर ऊर्जा पुंज में बदलकर उसी मणी में समा जाता हैं बाद में उसके पिता उस मणी को अपने घर में संभालकर रखती हैं।
वज्रनाभ के पिता कुछ वर्ष बाद राजा बनने वाले हैं तब वह अपने बेटे को पुन्हा वहीं शरीर धारण करवाने में सक्षम हो जाएँगे। ऐसा इसिलिए क्योंकी हिरण्यवज्र लोक की आयु वहाँ के महाराज हिरण्यमान जित्नी हैं साथ हीं प्रत्येक राजा आयु की 1 करोड वर्ष रहती हैं।
बस यहीं कारण हैं की वज्रनाभ के पिता राजा बनना चाहते हैं।
पृथ्वीपर राजा कृतवर्मा के यहाँ गुलाम के रूप में कार्य करने वाले वामन के घरपर तेज प्रकाश स्थित रहता हैं थोडी देर बाद वामन की पत्नी एक बेटे को जन्म देती हैं। वामन की पत्नी बेटे का नाम मोहन रखती हैं। उसी राज्य में स्थित एक रहस्यमयी जान जाता हैं की मोहन वास्तव में वज्रनाभ हैं लेकीन अपनी शक्तीयाँ भूल चुका हैं। अब वह एक आम मानव हैं।
इसके बाद रहस्यमय व्यक्ती कई रूप धारण करके मोहन की गतिविधी पर नजर बनाए रखता हैं। क्रूर राजा कृतवर्मा के चलते मोहन को भी गुलामी स्वीकार करनी पड जाती हैं मगर वह कर भी क्या सकता था। कुछ समय बाद राजा की क्रूरता और षडयंत्र के तहत कई लोगों को मरवाया जाता हैं जिसमें मोहन के माता पिता हैं।
मोहन सबसे अंजान राजा की गुलामी में व्यस्त रहता हैं कहीं ना कहीं राजा के विरुद्ध क्रोध को बढाता रहता हैं। राजा के सनिक जब निर्दोष व्यक्ती को तडपाना शुरु करते हैं उस समय मोहन क्रोध में आकर कुछ सनिकों को मारकर व्यक्ती को बचाता हैं इस कारण राजा मोहन के पीछे पडकर मारने का प्रयास करता हैं। किसी तरह मोहन स्वयं को बचाकर घने जंगल की ओर भाग जाता हैं।
मोहन जंगल में पाता हैं की राजा के सनिकों के कारण शेर के पैरों में काँटे फँस गए हैं जिसे निकाल पाना कठिन हैं। शेर के डर से मोहन पेड के पीछे रहकर सब देखता हैं। शेर दर्द के मारे दहाडना शुरु कर देता हैं मागर उसे आसपास कोई नहीं मिलता। काँटों को बार बार निकालने का प्रयास असफल रह जाता हैं।
मोहन थोडी सी हिम्मत करके शेर के पास जाता हैं मदद करने पर शेर गुर्राता हैं। तब शेर को मोहन के अंदर दिव्य प्रकाश आभास हो जाता हैं और उसके बाद शेर शांत होकर काँटा निकालने देता हैं। काँटा निकालते हीं शेर कुछ देर मोहन को देखकर सैनिकों से दूर चला जाता हैं।
मोहन किसी तरह जंगल में अच्छे दिन बिताता हैं एक दिन राजा के सैनिक जंगल में प्रवेश करके वन्य जीवों के लिए जाल बिझा देते हैं। सैनिकों के जाल में वहीं शेर फँस जाता हैं जब भी शेर जाल को काटने का प्रयास करता नुकिले भाले से चुभाया जाता हैं। तब अपनी जान बचाने के लिए शेर को शांत होना पडता हैं तब मोहन भी आवाज की ओर चला जाता हैं।
राजा के सैनिक बडी चालाकी से छुडाने आए मोहन को भी पकडकर महल में भेजा जाता हैं। राजा अपने मनोरंजन के उन्हीं जानवरों को कैदीयों से लडवाना चाहता हैं मगर सेनापती इसका विरोध करता हैं। इससे पहले सेनापती को दंड दिया जाता पकडे हुए जानवरों को राजा के समक्ष पेश किया जाता हैं।
जानवरों के मध्य में लडाई करवाने से पहले राजा की नजर कैद किए गए मोहन की ओर जाती हैं। मोहन को देख राजा का खून खौल उठता हैं। राजा के कहने पर सैनिक मोहन को थोडी पीडा देकर कमजोर किया जाता हैं ताकी शेर का शिकार आसानी बन जाए। थोडी देर बाद लाए गए शेर के पिंजरे में डालकर हँसने लगते हैं तब मोहन भी खुद को छुडाने का प्रयास करता हैं जैसे जैसे शेर पास आ जाता हैं मोहन पसीने से भीग जाता हैं।
राजा चाहता था की शेर मोहन को देखते हीं मार डाले फिर मोहन की नजर शेर की ओर जाती हैं। मोहन जान जाता हैं की यह वहीं शेर हैं जिसके पैरों से काँटा निकालकर जान बचाई थी अब शेर को मोहन के अंदर दिव्य ऊर्जा का आभास हो जाता हैं। सबको लगता हैं शेर मोहन को मार डालेगा किंतु ऐसा नहीं होता। शेर मोहन के पास आकर रुक जाता हैं दिव्य ऊर्जा की अनुभूती करके वापस अपने स्थान पर बैठ जाता हैं। प्रजा भी हैरान होकर देखती हैं मगर कुछ भी समझ नहीं पाती।
शेर और अन्य जानवरों को बचाने के लिए मोहन अपनी उलटी सिधी बातों में उलझाए रखता हैं मौके का फायदा उठाकर रहस्यमयी व्यक्ती मैदान में धुँआ करके मोहन को कैद से आजाद करते हुए जंगल की ओर चला जाता हैं जहाँ मोहन जाने वाला हैं। मोहन खुद को छुपाते हुए सभी जानवरों को छोडकर शेर को अपने साथ जंगल में ले जाता हैं।
कई सारे सैनिक मोहन की ऊर्जा के दबाव से मारे जाते हैं लेकीन अन्य किसी को हानी नहीं होती। जंगल में समझदार मोहन और शेर एक दूसरे को आखिरी बार देखकर अपने रास्ते चले जाते हैं। शेर के जाने के बाद मोहन किसी दूसरे राज्य की ओर तेजी से बढना शुरु करता हैं। मोहन भी अपने अंदर की दिव्य ऊर्जा सहन ना कर पाने से जंगल के आधे रास्ते में बेहोश होकर गिर जाता हैं।
300 वर्ष की आयु वाला साधक मोहन की दिव्य वास्तविकता जानकर अपने साथ आश्रम में ले जाता हैं और साधना की ऊर्जा से मोहन के शरीर को ताकदवर बनाने के लिए कुछ महिनों के दिव्य ऊर्जा को शांत कर देता हैं।
दूर से देख रहा रहस्यमयी व्यक्ती कहता हैं, " दूसरों की जरुरत के समय मदद करनी चाहिए, बाद में किसी न किसी रूप में पुरस्कार मिल हीं जाता "
इतना कहने के बाद रहस्यमयी व्यक्ती पल भर में अपने रहस्यमयी स्थानपर चला जाता हैं जिसकी तरंग कई जीवों को लग जाती हैं।
दूसरी ओर बेहोश हुआ मोहन सूक्ष्म शरीर द्वारा उसी जंगल में आकर रहस्यमयी व्यक्ती को गायब होते देख लेता हैं और तुरंत आँख बंद करते हैं स्थूल शरीर में प्रवेश करता हैं।
समझदार मोहन और शेर की कहानी भाग 1
Moral of the story in hindi । Clever lion
सीख - " मुसिबत के समय दूसरों की मदद करनी चाहिए, जिसका अच्छा परिणाम बाद में मिलता हैं " हमारी आज की कहानी " समझदार मोहन और शेर की कहानी भाग 1 " समाप्त हो जाती हैं। अगर स्टोरी पसंद आ जाए तो like share comment अवश्य करें ताकी आने वाली कहानीयाँ जल्द हीं पढने को मिल सके।
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