1. अंतरिक्ष में सुर्य की किरणे एक पुंज में बदलकर आसपास घुमती रहती हैं।
2. सुर्य तत्व से बना हुआ मानवीय गरूड उस पुंज को अपने पास रखता हैं।3. मानवीय गरूड जिसे गरूडमान कहते हैं उसे अपने मन में दिव्य पात्र बनाने की बात मन में आती हैं।
4. गरूडमान उस दिव्य पात्र को पृथ्वी पर मौजुद जमीनदार राघव के खेत में गाढ देता हैं।
5. राघव के खेत में काम करने वाला गरीब श्याम खेती करने जाता हैं।
6. श्याम को खेती करते समय खेत में दिव्य पात्र मिलता हैं।
7. पात्र का उपयोग करके श्याम अमीर बन जाता हैं जो बात राघव को पता चलती हैं।
8. राघव उस पात्र को श्याम से छिनकर स्वयं अमीर बन जाता हैं बाद में राजा उस पात्र को पाकर सबसे अमीर बन जाता हैं।
9. दिव्य पात्र के कारण कई राजा आपस में लडकर मारे जाते हैं जिसमें पात्र भी नष्ट हो जाता हैं।
10. इसके बाद जो पात्र नष्ट हुआ हैं उसके अवशेष श्याम और राघव के कवच बन जाते हैं।
11. पात्र की ऊर्जा समान रूप से विभाजीत होकर दोनोंं में समा जाती हैं।
12. तब से राघव और श्याम शक्तीशाली नायक के रूप में राज्यों में होने वाले युद्ध रुकवा देते हैं।
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Magical Pot Story in hindi । Panchatantra story । जादुई पतीला की कहानी |
जादुई पात्र पंचतंत्र की कहानी I Magical Pot Story in Hindi
कहानी की शुरुआत अंतरिक्ष में स्थित सुर्य के केंद्र से होती हैं। सुर्य के केंद्र में स्थित कुष्मांड ऊर्जा से निकली दिव्य किरणे सुर्य की सतह से बाहर जाकर दिव्य पुंज का रूप लेता हैं।
यह दिव्य पुंज सुर्य के आसपास हीं भ्रमण करता रहता हैं। सुर्य तत्व से निर्माण हुआ गरूडमान दिव्य पुंज का सुवर्ण पात्र बनाकर पृथ्वी की ओर ले जाता हैं। अधिक सुर्य ऊर्जा होने के बाद भी पात्र अपनी ऊर्जा को इस स्तर तक लाता हैं की कोई साधारण जीव को हानी ना पहूँचे।
एक गरीब व्यक्ती श्याम पैसों के लिए जमीनदार राघव के खेत में काम करता हैं। खेत में काम करते समय श्याम को जादुई पतीला पात्र मिल जाता हैं जिसके उपयोग से अमीर बन जाता हैं जो जमीनदार राघव को बात पता चलती हैं। राघव श्याम से पात्र छिनकर स्वयं अमीर बन जाता हैं और यह बात राजा को पता चल जाती हैं।
राजा पात्र के कारण अमीर होने से अनेक राजा भी पात्र को पाने के प्रयास युद्ध करके आपस में हीं मारे जाते हैं। इसके बाद तुटे हुए पात्र की ऊर्जा राघव और श्याम में चली जाती हैं जिसके बाद नायक रूप में राजाओं के बिच चल रहे युद्ध को रोककर लोगों की जान बचाते हैं।
कहानी की शुरुआत पृथ्वीपर मौजुद साधु अग्नीवेश से होती हैं। अग्नीवेश अपनी ध्यान शक्ती द्वारा आगे होने वाले विनाश को देखता हैं जिसे रोकने दो नायक का जन्म सुर्य से निकली ऊर्जा से होगा। इतनी शक्ती होने के बाद भी अग्नीवेश दो नायकों के चेहरे देख नहीं पाता और जहाँ बन सके वहाँ परकाया गमन विद्या से जाकर खोजते रहता हैं।
अनेक ग्रहों को नष्ट करने जैसी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अग्नीवेश तपोबल को बढाने का कार्य शुरु करता हैं। अग्नीवेश स्वयं कई नायकों के कार्य में जुटकर योग्य शिष्यों को खोजने कई आश्रम में एक सहायक द्वारा चला जाता हैं। अग्नीवेश अलग अलग आश्रम से कुल 12 शिष्यों नायक बनाने के लिए चुन लेता हैं।
इस घटना से 100 वर्ष पूर्व सुर्य तत्व अजीब तरह से कंपन करके सुर्य के गर्भ में 1 करोड मानवीय गरूड को उत्पन्न कर देता हैं। इन प्रजातीयों को गरूडमान नाम से जाना जाता हैं। इनमें से एक गरूडमान सुर्य की उपरी सतह पर जाकर रहता हैं। इस गरूडमान में एक बात अलग हैं प्रकाश पुंज दिख जाए तो उसे मन में आने वाली वस्तू का रूप देकर किसी भी ग्रह पर गाढ देता हैं अथवा सुरक्षित स्थानपर छुपाता हैं।
पृथ्वी पर जब अग्नीवेश 12 शिष्यों को तपोबल बढाने की प्रक्रिया शुरु करता हैं तब सुर्य के केंद्र में स्थित कुष्मांड ऊर्जा का कंपन थोडा तीव्र होने से कई दिव्य किरणे सुर्य की सतह से बाहर चली जाती हैं। सुर्य की दिव्य किरणे एकसाथ जुडकर प्रकाश पुंज का रूप लेते हैं बाद में वह प्रकाश पुंज आसपास हीं भ्रमण करता हैं पास से गुजरने वाला गरूडमान देखकर पुंज को पकडता हैं।
हमेशा की तरह प्रकाश पुंज को देखकर गरूडमान के मन में अनेको विचार आना शुरु हो जाते हैं तब उसे दिव्य सुवर्ण पात्र बनाने की बात मन में न चाहते हुए भी गुँजती हैं। फिर क्या कुछ हीं मिनट में प्रकाश पुंज दिव्य सुवर्ण पात्र में बदल देता हैं। गरूडमान के मन में अब पात्र किस ग्रहपर छुपाए समझ नहीं आता फिर उसकी दृष्टी भूमंडल पर स्थित पृथ्वी की ओर जाती हैं।
अग्नीवेश ने जिन दो नायकों को देखा था उन्का जन्म पहले हीं हो जाता अधिक समय प्रतिक्षा नहीं करनी पडती पर अग्नीवेश इन बातों से अंजान रह जाता हैं। दोनों नायक किसी तरह अपना जीवन व्यापन करते हैं। सुवर्ण नगर गाँव में गरीब किसान श्याम अपने पिता के साथ रहता हैं जिनके पास खेत थे । अपने पिता की बिमारी के कारण सारे खेत बेचने पडे और इलाज का कार्य शुरु किया गया।
गरीबी से बचने के लिए श्याम दूसरे नायक जमीनदार राघव के पास खेत में मजदूरी घर चलाता हैं। मजदूरी से मिलने वाले पैसों की सहायता से पिता का इलाज करवाना और घर का खर्च निकालना कठिण हो जाता हैं जिस्से आगे क्या करें समझ नहीं पाता। श्याम हर रोज घर की परिस्थिती कैसे सुधारी जाए सोचते रहता हैं लेकीन नहीं सुधर पाती। श्याम भी अन्य की तरह पिता के इलाज के बाद अच्छा घर बनाना स्वप्न देखता हैं जिसे स्वप्न में भी गरीब स्थिती दिखती हैं।
कई बार अनेको स्वप्न में श्याम और राघव एक दूसरे को योद्धा रूप में पाते हैं किसी को बचाते पर यह बात अपने तक सिमित रखते हैं दूसरी ओर शक्तीशाली गरूडमान दिव्य पात्र जादुई पतीला को राघव के खेत में गाढकर चला जाता हैं। यहीं गरूडमान दिव्य पात्र पर दृष्टी बनाए रखते हुए हस्तक्षेप नहीं करता। वो देखता हैं की हर रोज की तरह एक व्यक्ती उसी खेत में खेती करने के लिए जा रहा हैं।
उसी दिन की सुबह श्याम कुदल आदी लेकर राघव के खेत में काम करने के लिए चला जाता हैं। परिवार की आर्थिक स्थिती कैसे सुधारी जाए इन बातों को सोचते हुए श्याम खुदाई शुरु करता हैं। कुछ दूर खुदाई करने के बाद श्याम की कुदाल एक धातु से टकराती से टकराती हैं। टकराव से निकली ध्वनी पूरे खेत में ऐसे गुँजती हैं जैसे एक छोटा विस्फ़ोट किया गया हो।
कुदाल टकराई उसी स्थानपर खुदाई करते समय मन में सोचता हैं," भला क्या होगा यहाँ पर जो विस्फ़ोट जैसी आवाज आ गई " हिस्से की खुदाई पुर्ण होते हीं बहुत बडा पतीला मिल जाता वह न सोने का था न चांदी का श्याम को सोने जेवरात मिलने की आशा थी पर ऐसा नहीं होता। खेत में काम करते हुए दोपहर हो जाती हैं और भुख भी लगती हैं।
बाहर निकाले गए पतीले को पेड के पास रखकर हाथ में मौजुद कुदाल को पतीले में रखता हैं और हाथ मुँह धोकर खाना खाने बैठ जाता हैं। खाना खत्म होने के बाद काम करने के लिए फिर्से कुदाल उठाने जाता हैं तो उसे पतीला में कई सारी कुदाल दिखती हैं। हैरान हुआ श्याम फिर्से एक कुदाल पतीला में फ़ेक देता हैं जिस्से 25 कुदाल का निर्माण हुआ। हैरान हो चुका श्याम सत्य हैं या झुठ परखने के लिए खाने की टोकरी डाल देता हैं वह भी अनेक बन जाती हैं।
थोडी देर बाद जादुई पतीला को कैसे घर ले जाया जाए विचार आता हैं तब तब पतीला अपने मूल रूप सुवर्ण पात्र में बदलकर एक सामान्य घडे जित्ना छोटा हो जाता हैं। श्याम सबसे पहले रात के अँधेरे सुवर्ण पात्र और कुछ कुदाल टोकरी घर ले जाता हैं बाकी साधन को पास में छुपा देता हैं। धीरे धीरे रात के अंधेरे में सारे साधन घर में लाता हैं।
इसके बाद श्याम ने घर में रखे कई सारे औजार पात्र में डाल दिए देखते हीं अनेक बन गए फिर क्या पात्र की मदद से निर्माण हुए औजारों को बाजार में बेचकर कई पैसे कमाए आर्थिक हालत सुधरने लगी और अपने पिता का इलाज करवाया बाद में दिव्य पात्र में कई गहने सोना डाला कुछ पल में अधिक बन गए। धीरे धीरे श्याम अमीर होने लगा फिर उसने अपने लिए जमीन खरीद कर घर बनवाना शुरु कर दिया आखिर में जमीनदार राघव के यहाँ मजदूरी का काम छोड घर के पास हीं कई सामान बेचने लगता हैं।
श्याम को अचानक अमीर बनते देख उस पर राघव को शक हो जाता हैं और श्याम के घर पर चला जाता हैं तब देखता हैं की सोने का जादुई पतीला पात्र के प्रकाश से घर प्रकाशित हो जाता हैं।
राघव पुछता हैं, " आखिर यह जादुई पतीला कहाँ से मिला और किसने दिया "
श्याम डरते हुए कहता हैं, " यह पतीला खेत में खुदाई करते समय मिल गया मैंने कोई चोरी नहीं की "
अपने खेत की बात सुनकर राघव ने श्याम से वह जादुई पतीला लिया जाने लगा तब श्याम ने बहुत रोकने का प्रयास किया लेकीन विफल रहा। राघव उस पात्र को जबरदस्ती अपने घर ले गया और एक साथ कई सारे गहने पात्र में डाल दिए देखते हीं देखते सब गहनों की 3 गुना मात्रा हो गई और रातोरात राघव अमीर बन गया। राघव ने सभी गहने सुरक्षित रख दिए और कुछ उपयोग के लिए बाहर रख लिए।
राघव को इतना अमीर होते देख यह बात लोगों द्वारा सुवर्ण नगर के राजा राजनाथ को पता चली फिर राजा ने राघव को जादुई पतीले सहित बुलाया। अगले दिन राघव पात्र को लेकर राजा के पास आया मजबुरी पात्र देना पडा फिर क्या राजा ने अपने पास मौजुद कई सामान को पात्र में डाल दिया। सामान पहले से अधिक बढता देख राजा दंग रह गया। सभी राजाओं से अधिक धनवान बनने के चक्कर में इतना धन निर्माण किया की कोषागार भी छोटा पड गया।
ऐसा हीं लालच कई सैनिकों में आ गया फिर एक सैनिक ने जानबुझकर राजा को जादुई पतीले में गिरा दिया। कुछ देर बाद पात्र से कई सारे राजा बाहर निकल आए। प्रत्येक राजा स्वयं को वास्तविक साबित करने का प्रयास करते हैं किंतु सभी राजा वास्तविक होने से कोई निर्णय पर नहीं पहूँच पाता। कोई भी निष्कर्ष ना निकलने से राजमहल में हीं सारे राजा आपस में लडकर मारे जाने लगे।
जादुई पतीला तुटने से पहले हीं 108 राजा पात्र से बाहर आ जाते हैं तबतक सुवर्ण पात्र तुटकर छोटे तुकडों में बिखर जाता हैं। तब 108 राजा बिना लडाई किए शांत होकर बैठ जाते हैं। सभी 108 राजा राजनाथ अपने हीं प्रतिरूपों के मृतदेह देखकर दुख हो जाता हैं। भीषण लडाई में बचे 18 राजा एक प्रकार से स्तब्ध हो जाते हैं जो किसी को दिखाई नहीं देते। राजमहल में हुई भयानक लडाई की जानकारी सुवर्ण नगर में फैल जाती हैं।
श्याम और राघव इस लडाई से दुखी होकर कहते हैं, " अच्छा हुआ जादुई पतीले का उपयोग अच्छे से किया नहीं तो हमारी स्थिती राजा के समान होकर लाशे गिर जाती, वैसे राजा अपनी मुर्खता से मरा "
ऐसे कहने के कुछ देर बाद जादुई पतीले के अवशेष 2 चक्र का रूप लेकर राघव श्याम के पास आ जाते हैं। दोनों चक्र अपने नायक को चुनकर उनके शरीर पर कवच रूप चढ जाते हैं और पात्र की ऊर्जा समान रूप से राघव श्याम में समा जाती हैं।
तब राजमहल में 18 राजा का स्तंभन तुट जाने से वे आपस में लडना शुरु करते हैं जो अन्य 108 राजा रोकने का प्रयास करते हैं किंतु वे 18 राजा उन्से कई अधिक होते हैं। बिना देरी किए हुए राघव और श्याम नायक रूप में राजमहल में आकर राजाओं के बिच होने वाली लडाई को रुकवा देते हैं। थोडी देर बाद अन्य लोगों की सहायता करके अपने घर चले जाते हैं।
2. " हार सामान का उपयोग सहीं से करना चाहिए अन्यथा हानी उठानी पडती हैं "
1. सभी 126 राजा राजनाथ समस्या के हल हेतु गुरू वामन के पास जाकर ग्रह बनाने की बात करते हैं
2. वामन सभी राजाओं को शक्तीशाली बनाकर उनके हीं तत्व से ग्रह बनाकर देते हैं।
यह दिव्य पुंज सुर्य के आसपास हीं भ्रमण करता रहता हैं। सुर्य तत्व से निर्माण हुआ गरूडमान दिव्य पुंज का सुवर्ण पात्र बनाकर पृथ्वी की ओर ले जाता हैं। अधिक सुर्य ऊर्जा होने के बाद भी पात्र अपनी ऊर्जा को इस स्तर तक लाता हैं की कोई साधारण जीव को हानी ना पहूँचे।
एक गरीब व्यक्ती श्याम पैसों के लिए जमीनदार राघव के खेत में काम करता हैं। खेत में काम करते समय श्याम को जादुई पतीला पात्र मिल जाता हैं जिसके उपयोग से अमीर बन जाता हैं जो जमीनदार राघव को बात पता चलती हैं। राघव श्याम से पात्र छिनकर स्वयं अमीर बन जाता हैं और यह बात राजा को पता चल जाती हैं।
राजा पात्र के कारण अमीर होने से अनेक राजा भी पात्र को पाने के प्रयास युद्ध करके आपस में हीं मारे जाते हैं। इसके बाद तुटे हुए पात्र की ऊर्जा राघव और श्याम में चली जाती हैं जिसके बाद नायक रूप में राजाओं के बिच चल रहे युद्ध को रोककर लोगों की जान बचाते हैं।
जादुई पतीला की कहानी । Panchatantra Story in Hindi by hindistoryloop blog
कहानी की शुरुआत पृथ्वीपर मौजुद साधु अग्नीवेश से होती हैं। अग्नीवेश अपनी ध्यान शक्ती द्वारा आगे होने वाले विनाश को देखता हैं जिसे रोकने दो नायक का जन्म सुर्य से निकली ऊर्जा से होगा। इतनी शक्ती होने के बाद भी अग्नीवेश दो नायकों के चेहरे देख नहीं पाता और जहाँ बन सके वहाँ परकाया गमन विद्या से जाकर खोजते रहता हैं।
अनेक ग्रहों को नष्ट करने जैसी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अग्नीवेश तपोबल को बढाने का कार्य शुरु करता हैं। अग्नीवेश स्वयं कई नायकों के कार्य में जुटकर योग्य शिष्यों को खोजने कई आश्रम में एक सहायक द्वारा चला जाता हैं। अग्नीवेश अलग अलग आश्रम से कुल 12 शिष्यों नायक बनाने के लिए चुन लेता हैं।
इस घटना से 100 वर्ष पूर्व सुर्य तत्व अजीब तरह से कंपन करके सुर्य के गर्भ में 1 करोड मानवीय गरूड को उत्पन्न कर देता हैं। इन प्रजातीयों को गरूडमान नाम से जाना जाता हैं। इनमें से एक गरूडमान सुर्य की उपरी सतह पर जाकर रहता हैं। इस गरूडमान में एक बात अलग हैं प्रकाश पुंज दिख जाए तो उसे मन में आने वाली वस्तू का रूप देकर किसी भी ग्रह पर गाढ देता हैं अथवा सुरक्षित स्थानपर छुपाता हैं।
पृथ्वी पर जब अग्नीवेश 12 शिष्यों को तपोबल बढाने की प्रक्रिया शुरु करता हैं तब सुर्य के केंद्र में स्थित कुष्मांड ऊर्जा का कंपन थोडा तीव्र होने से कई दिव्य किरणे सुर्य की सतह से बाहर चली जाती हैं। सुर्य की दिव्य किरणे एकसाथ जुडकर प्रकाश पुंज का रूप लेते हैं बाद में वह प्रकाश पुंज आसपास हीं भ्रमण करता हैं पास से गुजरने वाला गरूडमान देखकर पुंज को पकडता हैं।
हमेशा की तरह प्रकाश पुंज को देखकर गरूडमान के मन में अनेको विचार आना शुरु हो जाते हैं तब उसे दिव्य सुवर्ण पात्र बनाने की बात मन में न चाहते हुए भी गुँजती हैं। फिर क्या कुछ हीं मिनट में प्रकाश पुंज दिव्य सुवर्ण पात्र में बदल देता हैं। गरूडमान के मन में अब पात्र किस ग्रहपर छुपाए समझ नहीं आता फिर उसकी दृष्टी भूमंडल पर स्थित पृथ्वी की ओर जाती हैं।
अग्नीवेश ने जिन दो नायकों को देखा था उन्का जन्म पहले हीं हो जाता अधिक समय प्रतिक्षा नहीं करनी पडती पर अग्नीवेश इन बातों से अंजान रह जाता हैं। दोनों नायक किसी तरह अपना जीवन व्यापन करते हैं। सुवर्ण नगर गाँव में गरीब किसान श्याम अपने पिता के साथ रहता हैं जिनके पास खेत थे । अपने पिता की बिमारी के कारण सारे खेत बेचने पडे और इलाज का कार्य शुरु किया गया।
गरीबी से बचने के लिए श्याम दूसरे नायक जमीनदार राघव के पास खेत में मजदूरी घर चलाता हैं। मजदूरी से मिलने वाले पैसों की सहायता से पिता का इलाज करवाना और घर का खर्च निकालना कठिण हो जाता हैं जिस्से आगे क्या करें समझ नहीं पाता। श्याम हर रोज घर की परिस्थिती कैसे सुधारी जाए सोचते रहता हैं लेकीन नहीं सुधर पाती। श्याम भी अन्य की तरह पिता के इलाज के बाद अच्छा घर बनाना स्वप्न देखता हैं जिसे स्वप्न में भी गरीब स्थिती दिखती हैं।
कई बार अनेको स्वप्न में श्याम और राघव एक दूसरे को योद्धा रूप में पाते हैं किसी को बचाते पर यह बात अपने तक सिमित रखते हैं दूसरी ओर शक्तीशाली गरूडमान दिव्य पात्र जादुई पतीला को राघव के खेत में गाढकर चला जाता हैं। यहीं गरूडमान दिव्य पात्र पर दृष्टी बनाए रखते हुए हस्तक्षेप नहीं करता। वो देखता हैं की हर रोज की तरह एक व्यक्ती उसी खेत में खेती करने के लिए जा रहा हैं।
उसी दिन की सुबह श्याम कुदल आदी लेकर राघव के खेत में काम करने के लिए चला जाता हैं। परिवार की आर्थिक स्थिती कैसे सुधारी जाए इन बातों को सोचते हुए श्याम खुदाई शुरु करता हैं। कुछ दूर खुदाई करने के बाद श्याम की कुदाल एक धातु से टकराती से टकराती हैं। टकराव से निकली ध्वनी पूरे खेत में ऐसे गुँजती हैं जैसे एक छोटा विस्फ़ोट किया गया हो।
कुदाल टकराई उसी स्थानपर खुदाई करते समय मन में सोचता हैं," भला क्या होगा यहाँ पर जो विस्फ़ोट जैसी आवाज आ गई " हिस्से की खुदाई पुर्ण होते हीं बहुत बडा पतीला मिल जाता वह न सोने का था न चांदी का श्याम को सोने जेवरात मिलने की आशा थी पर ऐसा नहीं होता। खेत में काम करते हुए दोपहर हो जाती हैं और भुख भी लगती हैं।
बाहर निकाले गए पतीले को पेड के पास रखकर हाथ में मौजुद कुदाल को पतीले में रखता हैं और हाथ मुँह धोकर खाना खाने बैठ जाता हैं। खाना खत्म होने के बाद काम करने के लिए फिर्से कुदाल उठाने जाता हैं तो उसे पतीला में कई सारी कुदाल दिखती हैं। हैरान हुआ श्याम फिर्से एक कुदाल पतीला में फ़ेक देता हैं जिस्से 25 कुदाल का निर्माण हुआ। हैरान हो चुका श्याम सत्य हैं या झुठ परखने के लिए खाने की टोकरी डाल देता हैं वह भी अनेक बन जाती हैं।
थोडी देर बाद जादुई पतीला को कैसे घर ले जाया जाए विचार आता हैं तब तब पतीला अपने मूल रूप सुवर्ण पात्र में बदलकर एक सामान्य घडे जित्ना छोटा हो जाता हैं। श्याम सबसे पहले रात के अँधेरे सुवर्ण पात्र और कुछ कुदाल टोकरी घर ले जाता हैं बाकी साधन को पास में छुपा देता हैं। धीरे धीरे रात के अंधेरे में सारे साधन घर में लाता हैं।
इसके बाद श्याम ने घर में रखे कई सारे औजार पात्र में डाल दिए देखते हीं अनेक बन गए फिर क्या पात्र की मदद से निर्माण हुए औजारों को बाजार में बेचकर कई पैसे कमाए आर्थिक हालत सुधरने लगी और अपने पिता का इलाज करवाया बाद में दिव्य पात्र में कई गहने सोना डाला कुछ पल में अधिक बन गए। धीरे धीरे श्याम अमीर होने लगा फिर उसने अपने लिए जमीन खरीद कर घर बनवाना शुरु कर दिया आखिर में जमीनदार राघव के यहाँ मजदूरी का काम छोड घर के पास हीं कई सामान बेचने लगता हैं।
श्याम को अचानक अमीर बनते देख उस पर राघव को शक हो जाता हैं और श्याम के घर पर चला जाता हैं तब देखता हैं की सोने का जादुई पतीला पात्र के प्रकाश से घर प्रकाशित हो जाता हैं।
राघव पुछता हैं, " आखिर यह जादुई पतीला कहाँ से मिला और किसने दिया "
श्याम डरते हुए कहता हैं, " यह पतीला खेत में खुदाई करते समय मिल गया मैंने कोई चोरी नहीं की "
अपने खेत की बात सुनकर राघव ने श्याम से वह जादुई पतीला लिया जाने लगा तब श्याम ने बहुत रोकने का प्रयास किया लेकीन विफल रहा। राघव उस पात्र को जबरदस्ती अपने घर ले गया और एक साथ कई सारे गहने पात्र में डाल दिए देखते हीं देखते सब गहनों की 3 गुना मात्रा हो गई और रातोरात राघव अमीर बन गया। राघव ने सभी गहने सुरक्षित रख दिए और कुछ उपयोग के लिए बाहर रख लिए।
राघव को इतना अमीर होते देख यह बात लोगों द्वारा सुवर्ण नगर के राजा राजनाथ को पता चली फिर राजा ने राघव को जादुई पतीले सहित बुलाया। अगले दिन राघव पात्र को लेकर राजा के पास आया मजबुरी पात्र देना पडा फिर क्या राजा ने अपने पास मौजुद कई सामान को पात्र में डाल दिया। सामान पहले से अधिक बढता देख राजा दंग रह गया। सभी राजाओं से अधिक धनवान बनने के चक्कर में इतना धन निर्माण किया की कोषागार भी छोटा पड गया।
ऐसा हीं लालच कई सैनिकों में आ गया फिर एक सैनिक ने जानबुझकर राजा को जादुई पतीले में गिरा दिया। कुछ देर बाद पात्र से कई सारे राजा बाहर निकल आए। प्रत्येक राजा स्वयं को वास्तविक साबित करने का प्रयास करते हैं किंतु सभी राजा वास्तविक होने से कोई निर्णय पर नहीं पहूँच पाता। कोई भी निष्कर्ष ना निकलने से राजमहल में हीं सारे राजा आपस में लडकर मारे जाने लगे।
जादुई पतीला तुटने से पहले हीं 108 राजा पात्र से बाहर आ जाते हैं तबतक सुवर्ण पात्र तुटकर छोटे तुकडों में बिखर जाता हैं। तब 108 राजा बिना लडाई किए शांत होकर बैठ जाते हैं। सभी 108 राजा राजनाथ अपने हीं प्रतिरूपों के मृतदेह देखकर दुख हो जाता हैं। भीषण लडाई में बचे 18 राजा एक प्रकार से स्तब्ध हो जाते हैं जो किसी को दिखाई नहीं देते। राजमहल में हुई भयानक लडाई की जानकारी सुवर्ण नगर में फैल जाती हैं।
श्याम और राघव इस लडाई से दुखी होकर कहते हैं, " अच्छा हुआ जादुई पतीले का उपयोग अच्छे से किया नहीं तो हमारी स्थिती राजा के समान होकर लाशे गिर जाती, वैसे राजा अपनी मुर्खता से मरा "
ऐसे कहने के कुछ देर बाद जादुई पतीले के अवशेष 2 चक्र का रूप लेकर राघव श्याम के पास आ जाते हैं। दोनों चक्र अपने नायक को चुनकर उनके शरीर पर कवच रूप चढ जाते हैं और पात्र की ऊर्जा समान रूप से राघव श्याम में समा जाती हैं।
तब राजमहल में 18 राजा का स्तंभन तुट जाने से वे आपस में लडना शुरु करते हैं जो अन्य 108 राजा रोकने का प्रयास करते हैं किंतु वे 18 राजा उन्से कई अधिक होते हैं। बिना देरी किए हुए राघव और श्याम नायक रूप में राजमहल में आकर राजाओं के बिच होने वाली लडाई को रुकवा देते हैं। थोडी देर बाद अन्य लोगों की सहायता करके अपने घर चले जाते हैं।
जादुई पतीला की पंचतंत्र कहानी । Panchatantra story with Moral in hindi
1. " मुर्खता का अंत हमेशा बुरा हीं होता हैं "2. " हार सामान का उपयोग सहीं से करना चाहिए अन्यथा हानी उठानी पडती हैं "
1. सभी 126 राजा राजनाथ समस्या के हल हेतु गुरू वामन के पास जाकर ग्रह बनाने की बात करते हैं
2. वामन सभी राजाओं को शक्तीशाली बनाकर उनके हीं तत्व से ग्रह बनाकर देते हैं।
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