Adventure Story Fairy Tales in Hindi
यह कहानी छोटे लडके अर्जुन की हैं जो डायनोसॉर की कहानीयाँ पढकर बडा हुआ हैं। डायनोसॉर की दुनिया में जाना, कई जीवों से मिलना यह साहसी कार्य करने की सोचता हैं। ऐसे हीं एक दिन विशाल जीवों के बारें में सोचकर सो गया।अगले दिन एक जादुई परी अर्जुन को स्वयं के बारें में बताकर डायनोसॉर के दुनिया की बातें बताती हैं। वहीं परी अर्जुन को कुछ जादुई शक्तीयाँ देकर पोर्टल द्वारा भेजने से पहले एक मंत्र देती हैं जिस्से वह वापस पृथ्वी पर आसानी से आ सके।
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Adventure Story in Hindi । Fairy Tales story in hindi |
पृथ्वी के डायनोसॉर काल की कुछ झलक देखी और बिना हस्तक्षेप किए अर्जुन डायनामो ग्रहपर चला जाता हैं। पहले पहले तो अर्जुन को डायनोसॉर देखकर आनंद आ जाता हैं बाद में कई विशाल जीव अर्जुन को मारने का प्रयास करते हैं।
परी के द्वारा दि गई शक्तीयों का उपयोग करते हुए अर्जुन कई डायनोसॉर का सामना करके हरा देता हैं बाद में मंत्र का उपयोग करके एक पोर्टल बनाने में सफल हो जाता हैं। आखिर में फँसा अर्जुन पंखों की सहायता से वापस पृथ्वी पर आ जाता हैं। अर्जुन सारी बातें परी को बताती हैं फिर परी दि गई शक्तीयाँ अर्जुन में कैद करके अपने परीलोक चली जाती हैं।
साहसी अर्जुन और जादुई परी भाग 1 । Adventure Story in Hindi
इस काल्पिक कहानी की शुरूआत उदयपुर गांव में स्थित सामान्य परिवार से होती हैं जो पारलौकिक दुनिया और उनके जीवों के अस्तित्व को नहीं मानते जबकी उसी गांव के कई लोग अंजाने में परीयों की दुनिया में जाकर वापस आ गए लेकीन लोग उन्हें भी पागल समझकर ध्यान नहीं देते।
उसी सामान्य परिवार का एक लडका अर्जुन बचपन से डायनोसॉर से जुडी प्रसिद्ध कहानीयाँ किताबों में पढता आया हैं। इस कारण डायनोसॉर के बारें में जानने की उत्सुकता अर्जुन में बढती जाती हैं। कई दिनों तक अर्जुन केवल डायनोसॉर से जुडी tv show series और Movies download करके देख लिया करता हैं। अर्जुन केवल डायनोसॉर के बारें में सोचता रहता हैं इसिलिए अधिकतर स्वप्न डायनोसॉर को लेकर आते हैं जो किसी दूसरे ब्रह्मांड में घटनाए उस वक्त हो रही होती हैं।
अपने सपनों के बारें में अनजान अर्जुन आईने में देख कर स्वयं से कहता हैं, " डायनोसॉर केवल किस्से, कहानी, किताबों और movies में हीं खतरनाक, विशाल बताए जाते हैं वास्तव में विशालकाय, भयानक होंगे या नहीं ? अगर ऐसा सच में हुआ तो मुझे डायनोसॉर की दुनिया में जाकर उन्से मिलना होगा जिस्से सच्चाई पता चल जाएगी " इतना कहने के बाद आईने से दूर बेड पर बैठकर दुखी हो जाता हैं।
दूसरी ओर अर्जुन की अधूरी ईच्छा ने आईने में नई जटिल नकारात्मक दुनिया को जागृत किया जिस कारण दूसरी दुनिया का बुरा अर्जुन सब देख पाता हैं। बुरा अर्जुन पूरी कोशिश करने के बाद भी अर्जुन की दुनिया में प्रवेश नहीं कर पाता। बुरा अर्जुन अपनी संपुर्ण शक्ती से ब्रह्मांड द्वार को खोलने का प्रयत्न करता हैं, विफल हो जाने पर वहीं से अर्जुन पर नजर बनाए रखता हैं।
अर्जुन के रोज ऐसे बर्ताव से उसकी माँ सोनाली चिता में पड जाती हैं की ऐसा हीं रहा तो अर्जुन पागल ना हो जाए। आईने ए देख रहा बुरा अर्जुन हार रोज ऐसी बातें सुनकर तंग आ जाता हैं लेकीन बुरे अर्जुन का परी आदी रहस्यमयी जीवों पर विश्वास होता हैं इसका कारण वह स्वयं हैं। बुरी दुनिया की एक मोहपरी ने अर्जुन के अंदर बुराई देख ली और उसे कई जादुई विनाशकारी शक्तीयाँ दे दी इसके बाद बुरा अर्जुन मोहपरी का दास बनकर कई कार्य करता हैं।
एक दिन अर्जुन इसी प्रकार डायनोसॉर के बारें में विचार करते हुए गहरी निद्रा में चला गया। अर्जुन का सूक्ष्म शरीर जो स्वप्न में जाकर शरीर धारण किया वह सूक्ष्म अर्जुन ब्रह्मांडीय शक्तीयाँ प्राप्त करके मूल अर्जुन के स्वप्न से बाहर आने का प्रयास करता हैं। ऐसा होने से मुख्य अर्जुन को परेशानी होने लगती हैं। बहुत प्रयास करने बाद सूक्ष्म अर्जुन स्वप्न से बाहर आकर दूसरे ब्रह्मांड में प्रवेश कर पाता हैं।
इतने में सुबह हो जाती हैं और एक झटके से अर्जुन जाग जाता हैं। डरा हुआ अर्जुन जब अपने पास एक सफेद परी को देखता हैं तो उसका भय चला जाता हैं। कुछ समय के लिए अर्जुन श्वेतपरी को देखकर उसकी सुंदरता में खो गया, परी को देखने पर उसे ऐसा लगता हैं जैसे कोई स्वप्न हैं उसे आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा होता हैं। फिर श्वेतपरी अर्जुन का मोहभंग करके अपने बारें में थोडी जानकारी देती हैं।
अर्जुन अपनी उत्सुकता में श्वेतपरी से कई प्रश्न पुछता हैं पर परी उसकी बातों का जवाब नहीं देती और बातों को घुमाकर कहती हैं, " अर्जुन, मैं तुम्हारी डायनोसॉर देखने की ईच्छा के कारण खुश होकर आई हूँ, तुम्हें दूसरी दुनिया की सैर करनी हैं विशालकाय जीवों से वास्तव में मिलना हैं। क्या तुम डायनोसॉर की दुनिया में जाने के लिए तयार हो ? "
अर्जुन कहता हैं, " हाँ श्वेतपरी, मैं डायनोसॉर की दुनिया में जाने के लिए तयार हूँ, यह मेरी ईच्छा हैं जिसे पुरा करना चाहता हूँ, उस दुनिया में घुमना चाहता बहुत आनंद आएगा "
श्वेतपरी कहती हैं, " मैं तुम्हें तो उस दुनिया में शक्तीयाँ देकर भेज सकती हूँ पर मैं नहीं आ सकती, मुझ जैसी कई परीयों को डायनोसॉर की दुनिया में जाने से मना कर दिया रानीपरी द्वारा "
अर्जुन बोल पडता हैं, " फिर मैं अकेले कैसे रह पाऊँगा उस दुनिया में मार्ग तो होगा "
परी कहती हैं, " उस दुनिया में डायनोसॉर के अलावा अन्य भयानक विशाल जीव हैं उन्से बचने हेतु मैं तुम्हें कुछ शक्तीयाँ और हथियार दे रहीं हूँ जिसके द्वारा तुम सुरक्षित रहोगे कोई मार नहीं पाएगा "
पहली शक्ती पंख हैं, जैसे हीं तुम उडने के बारें में सोचोगे तुम्हारी पीठ पर पंख आएन्गे किसी कारण पंख नष्ट हो जाए तो उसकी शक्तीयाँ तुम्हारे अंदर समा जाएगी मगर ध्यान से उपयोग करो।
दूसरी शक्ती कवच हैं, यह कवच हमेशा तुम्हारी आग पानी तेज धार वाले हथियार आदी नुकिली चिजों से रक्षा करेगा यहाँ तक की बडी चट्टान कवच से टकरा कर नष्ट हो जाएगी।
तिसरी शक्ती हैं हथियार निर्माण हैं, इसके द्वारा तुम सोचने भर से पहाड तक को काटने वाली तलवार, ढाल, तीर, भाला आदी हथियार का उपयोग कर सकते हो। इतना कहने के बाद श्वेतपरी अन्य शक्तीयाँ बताना भुलकर शक्तीयाँ दे देती हैं।
इसके बाद श्वेतपरी एक मंत्र अर्जुन को देती हैं " ब्रह्मांड द्वार भ्रमणस्य " जिसे अर्जुन कई बार कंठस्थ करके द्वार खोलने के लिए कहता हैं। तब परी कहती हैं, " जब तुम्हें वापस आना होगा इस मंत्र को याद करके बोल देना फिर जो सफेद रंग का द्वार दिखाई देगा उसमें चले जाना जिस्से तुम फिर इस दुनिया में आ जाओगे "
तब अर्जुन कहता हैं, " मुझे मंत्र कंठस्थ हैं, अब मैं उस डायनोसॉर की दुनिया में जा सकता हूँ, मुझे भेजो "
परी कहती हैं, " अर्जुन मैंने द्वार खोल दिया अब इसमें प्रवेश करो और बताई गई बात का ध्यान रखो "
कुछ पल में पोर्टल अर्जुन को पृथ्वी के भूतकाल में 10 करोड वर्ष पहले पहूँचा देता हैं। डायनोसॉर की दुनिया में कदम रखते हीं उसे आसपास न देखे गए विशाल पेड, हरे पर्वत, तेज बहने वाली नदीयाँ, घने जंगल देखकर आश्चर्य हुआ। उसने आसमान में विशाल पंछीयों को उडते हुए देखा और बोला, " यहाँ नजारा तो अत्यंत आनंद देने वाला, ऐसा नजारा आज तक नहीं देखा और यह विशाल जानवर तो देखने में मजा आ गया " कुछ समय के लिए अर्जुन प्रकृती के दृश्य देख खो गया।
थोडी देर बाद अर्जुन भयानक डायनोसॉर के झुंड को देखकर हैरान रह जाता हैं। विशालकाय शरीर, बडी पुँछ, जालीदार काटे, विशाल पंख इसे देखने के बाद अर्जुन आनंदमय हो रहा होता हैं तभी उसे वह झुंड अपनी ओर तेजी से आते हुए दिखता वह तुरंत अपनी जान बचाने के लिए झाडी के पीछे छुप जाता हैं। मगर कई डायनोसॉर घेरकर आग बरसाने लग जाते हैं फिर क्या परी द्वारा दि गई कवच शक्ती अर्जुन की रक्षा करती हैं। जब अर्जुन को जान बचाने के लिए परी को याद करता हैं तब उसे तेज दौडने की शक्तीयाँ मिल जाती हैं।
कुछ पल में अर्जुन सभी डायनोसॉर को पीछे छोड आगे हीं बढते रहता हैं अचानक खुला पोर्टल अर्जुन सबसे विशाल " डायनामो " ग्रह पर चला जाता हैं। अर्जुन समझ नहीं पाता आखिर पोर्टल कैसे खुल गया और मैं कहाँ पहूँच गया। तब आग छोडने वाले कई " टिरेक्स " डायनोसॉर अर्जुन को खाने के लिए पीछे दौड पडते हैं। अर्जुन श्वेतपरी को याद करते हुए बचाने की गुहार लगाता हैं, " श्वेतपरी मेरी रक्षा करो, मुझे मेरी दुनिया में वापस ले चलो, मैं फिर कभी ऐसी दुनिया में नहीं आना चाहता " ऐसा कहते हुए अर्जुन तेज गती से दौडता रहता हैं। फिर भी डायनामो ग्रह के डायनोसॉर अर्जुन की गती को आसानी से पीछे छोड हमला कर देते हैं।
श्वेतपरी के द्वारा दिया सुरक्षा कवच अर्जुन के शरीर पर आ जाता हैं और चारों ओर एक नया आवरण बनाता जिस्से पहाडों को नष्ट करने वाले डायनोसॉर आवरण को भेड नहीं पाते और उसके आसपास आग आग के गोले छोडना शुरु कर देते हैं। इसी तरह स्वयं को बचाते हुए उसी स्थानपर आधा घंटा बित जाता हैं। फिर श्वेतपरी को याद करते हुए स्वयं से कहता हैं, " अर्जुन यह समय जान बचाकर भागने का नहीं इन्से लडने का समय हैं, भागो मत और साहस का परिचय देते हुए सामना करो हरा दो उन्हें "
ऐसा कहने के बाद हथियार वाली शक्ती जागृत होकर अर्जुन को ढाल तलवार प्रदान कर देती हैं। थोडी देर बाद जादुई पंख भी अर्जुन को प्राप्त हो जाते हैं। ढाल तलवार का उपयोग करके अर्जुन कई सारे डायनोसॉर को पटक देता हैं उनके हाथ पैर काट देता हैं फिर भी उनके हाथ पैर वापस जुड जाते हैं। डायनोसॉर भी अर्जुन को पंजे से मारकर जमीन पर पटककर आग बरसाते हैं लेकीन कवच उस आग को अपने अंदर सोक लेती हैं जिस्से अर्जुन की शक्तीयाँ बढ जाती हैं।
अपनी जान बचाते हुए अर्जुन इस बार डायनोसॉर को हराकर ध्वनी की गती से जंगल की ओर चला जाता हैं जहाँ उसे भुख भी लगी होती हैं। कुछ देर चलने के बाद अर्जुन को बहुत उँचा पेड मिलता हैं जिसपर नीले रंग के मीठे फल लगे हुए होते हैं। फल खाकर अर्जुन की भुख तो मिट जाती हैं लेकीन उसका आकार बहुत छोटा हो गया। अपने आकार को देखकर डरे हुए अर्जुन को पेड पौधे बडे नजर आते हैं। जो फल अर्जुन ने खाए थे उसके बीज 3 गुना बडे नजर आते हैं तो डायनोसॉर पहाड के समान के समान दिखाई देने लेगे। डायनोसॉर के पैरों के निचे आने से बच गया।
तब डायनोसॉर के एक बच्चे ने अर्जुन को देख लिया और खाने के लिए आगे बढता रहा फिर अर्जुन जान बचाते हुए कई पेड के पीछे छुप जाता हैं। हर बार कवच अर्जुन से मरने से बचाता हैं। इसी प्रकार जान बचाते कई जीवों से लडते हुए अर्जुन नीले फल वाले पेड के पास आ जाता हैं और तब उसे एक पत्ते पर कुछ लिखा मिल जाता हैं। पत्ते पर लिखा था, " जो इस नीले फल को खाए कद छोटा बन जाए, उत्तर की ओर लाल फल खाए कद बढ जाए "
इसके बाद अर्जुन समझ जाता हैं की, जो नीले फल को खाएगा उसका आकार छोटा हो जाएगा और उत्तर की ओर मिलने वाले लाल फल को खाने से कद बडा हो जाएगा। अब बिना देरी किए अर्जुन तेज छलाँग लगाते हुए तीव्र गती से दौडते हुए आगे बढता रहता हैं। कई प्रकार के साप, किडे, अन्य जीवों का सामना करते हुए लाल फल वाले पेड के पास चला जाता हैं। लाल फल बहुत उपर होने से अर्जुन पंखों को जागृत करके उपर उड जाता हैं और एक फल खाकर फिर्से अपने मूल आकार में आ जाता हैं।
अब अर्जुन के पास तलवार, ढाल, पंख, कवच, तेज गती थी। इन सभी शक्तीयों की सहायता से उडने वाले जीवों से तेज उडकर पीछे छोड देता हैं। कई विशाल डायनोसॉर की सवारी करता और जैसे हीं कोई पकडने का प्रयास करता वह उड जाता हैं। इस प्रकार अर्जुन मजे करता रहता हैं। फिर एक डायनोसॉर एक दम से अर्जुन को अपनी पकड में लेकर दूर तक उडते रहता हैं। कुछ भी करने पर अर्जुन स्वयं को छुडा नहीं पाता मगर कवच के चलते अर्जुन को कुछ नहीं होता।
कई सार डायनोसॉर उडते हुए अर्जुन पर आग के गोले बरसाटे रहते हैं कवच होने से बच जाता हैं। इसके बाद कवच के अंदर रहकर हीं जादुई तलवार से डायनोसॉर पर हमला करके स्वयं को छुडाने में सफल हो जाता हैं। आखिर में लडते हुए एक डायनोसॉर आग का हमला करके अर्जुन के जादुई पंखों को नष्ट कर देता हैं इस कारण बहुत उपर से गिर जाता हैं।
जैसे तैसे खडा होने के बाद अर्जुन जान बचाकर भागने लगता हैं तलवार ढाल भी पीछे छुट जाती हैं। अब अर्जुन को लगता हैं उसका अंत समय समिप हैं कुछ दूर दौडने के बाद उसे एक पोर्टल दिखाई देता हैं जो श्वेतपरी ने भेजा हुआ होता हैं। इससे पहले पोर्टल के पास जाता कई डायनोसॉर घेरकर आग बरसाते हैं खाने का प्रयास करते हैं। कवच से सुरक्षित बचा अर्जुन अपनी आँखे बंद करके खोलता हैं। अर्जुन स्वयं को पोर्टल के पास पाता हैं तब कुछ डायनोसॉर पोर्टल के पीछे से आकर हमला कर देते हैं देर ना करते हुए अर्जुन पोर्टल में चला जाता हैं।
पोर्टल में प्रवेश करने के बाद अर्जुन अपने बेड पर श्वेतपरी के पास पहूँच जाता हैं। तब वह परी घबराए हुए अर्जुन को शांत कर देती हैं। अर्जुन थोडा पानी पीकर खुर्सी पर बैठ जाता हैं।
परी कहती हैं, " अर्जुन तुम्हारा सफर कैसा रहा, आनंद तो आया होगा "
अर्जुन कहता हैं, " हाँ आनंद तो आया और मरते मरते बच गया, मैंने कई डायनोसॉर की सैर की उनके साथ लडाई की आपके द्वारा दि गई शक्तीयों ने मेरी जान बचाई इस प्रकार मेरा सपना सच हुआ "
परी कहती हैं, " कोई बात नहीं अर्जुन तुम खुश हो यहीं मेरे लिए बहुत हैं, अब मुझे परीलोक जाना होगा "
आखिर में परी अर्जुन को अन्य शक्तीयाँ देकर चली जाती हैं जो अर्जुन को भी पता नहीं होती। अर्जुन घडी में देखता हैं की, मुझे गए तो अभी एक घंटा हीं हुआ। तब उसकी माँ नाश्ते के लिए अर्जुन को बुलाती हैं और अर्जुन चला जाता हैं।
हमारी आज की कहानी " जादुई परी - adventure story in hindi " यहीं हो जाती हैं अगर आपको पसंद आ जाए तो comment करके अवश्य बताए।
उसी सामान्य परिवार का एक लडका अर्जुन बचपन से डायनोसॉर से जुडी प्रसिद्ध कहानीयाँ किताबों में पढता आया हैं। इस कारण डायनोसॉर के बारें में जानने की उत्सुकता अर्जुन में बढती जाती हैं। कई दिनों तक अर्जुन केवल डायनोसॉर से जुडी tv show series और Movies download करके देख लिया करता हैं। अर्जुन केवल डायनोसॉर के बारें में सोचता रहता हैं इसिलिए अधिकतर स्वप्न डायनोसॉर को लेकर आते हैं जो किसी दूसरे ब्रह्मांड में घटनाए उस वक्त हो रही होती हैं।
अपने सपनों के बारें में अनजान अर्जुन आईने में देख कर स्वयं से कहता हैं, " डायनोसॉर केवल किस्से, कहानी, किताबों और movies में हीं खतरनाक, विशाल बताए जाते हैं वास्तव में विशालकाय, भयानक होंगे या नहीं ? अगर ऐसा सच में हुआ तो मुझे डायनोसॉर की दुनिया में जाकर उन्से मिलना होगा जिस्से सच्चाई पता चल जाएगी " इतना कहने के बाद आईने से दूर बेड पर बैठकर दुखी हो जाता हैं।
दूसरी ओर अर्जुन की अधूरी ईच्छा ने आईने में नई जटिल नकारात्मक दुनिया को जागृत किया जिस कारण दूसरी दुनिया का बुरा अर्जुन सब देख पाता हैं। बुरा अर्जुन पूरी कोशिश करने के बाद भी अर्जुन की दुनिया में प्रवेश नहीं कर पाता। बुरा अर्जुन अपनी संपुर्ण शक्ती से ब्रह्मांड द्वार को खोलने का प्रयत्न करता हैं, विफल हो जाने पर वहीं से अर्जुन पर नजर बनाए रखता हैं।
अर्जुन के रोज ऐसे बर्ताव से उसकी माँ सोनाली चिता में पड जाती हैं की ऐसा हीं रहा तो अर्जुन पागल ना हो जाए। आईने ए देख रहा बुरा अर्जुन हार रोज ऐसी बातें सुनकर तंग आ जाता हैं लेकीन बुरे अर्जुन का परी आदी रहस्यमयी जीवों पर विश्वास होता हैं इसका कारण वह स्वयं हैं। बुरी दुनिया की एक मोहपरी ने अर्जुन के अंदर बुराई देख ली और उसे कई जादुई विनाशकारी शक्तीयाँ दे दी इसके बाद बुरा अर्जुन मोहपरी का दास बनकर कई कार्य करता हैं।
एक दिन अर्जुन इसी प्रकार डायनोसॉर के बारें में विचार करते हुए गहरी निद्रा में चला गया। अर्जुन का सूक्ष्म शरीर जो स्वप्न में जाकर शरीर धारण किया वह सूक्ष्म अर्जुन ब्रह्मांडीय शक्तीयाँ प्राप्त करके मूल अर्जुन के स्वप्न से बाहर आने का प्रयास करता हैं। ऐसा होने से मुख्य अर्जुन को परेशानी होने लगती हैं। बहुत प्रयास करने बाद सूक्ष्म अर्जुन स्वप्न से बाहर आकर दूसरे ब्रह्मांड में प्रवेश कर पाता हैं।
इतने में सुबह हो जाती हैं और एक झटके से अर्जुन जाग जाता हैं। डरा हुआ अर्जुन जब अपने पास एक सफेद परी को देखता हैं तो उसका भय चला जाता हैं। कुछ समय के लिए अर्जुन श्वेतपरी को देखकर उसकी सुंदरता में खो गया, परी को देखने पर उसे ऐसा लगता हैं जैसे कोई स्वप्न हैं उसे आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा होता हैं। फिर श्वेतपरी अर्जुन का मोहभंग करके अपने बारें में थोडी जानकारी देती हैं।
अर्जुन अपनी उत्सुकता में श्वेतपरी से कई प्रश्न पुछता हैं पर परी उसकी बातों का जवाब नहीं देती और बातों को घुमाकर कहती हैं, " अर्जुन, मैं तुम्हारी डायनोसॉर देखने की ईच्छा के कारण खुश होकर आई हूँ, तुम्हें दूसरी दुनिया की सैर करनी हैं विशालकाय जीवों से वास्तव में मिलना हैं। क्या तुम डायनोसॉर की दुनिया में जाने के लिए तयार हो ? "
अर्जुन कहता हैं, " हाँ श्वेतपरी, मैं डायनोसॉर की दुनिया में जाने के लिए तयार हूँ, यह मेरी ईच्छा हैं जिसे पुरा करना चाहता हूँ, उस दुनिया में घुमना चाहता बहुत आनंद आएगा "
श्वेतपरी कहती हैं, " मैं तुम्हें तो उस दुनिया में शक्तीयाँ देकर भेज सकती हूँ पर मैं नहीं आ सकती, मुझ जैसी कई परीयों को डायनोसॉर की दुनिया में जाने से मना कर दिया रानीपरी द्वारा "
अर्जुन बोल पडता हैं, " फिर मैं अकेले कैसे रह पाऊँगा उस दुनिया में मार्ग तो होगा "
परी कहती हैं, " उस दुनिया में डायनोसॉर के अलावा अन्य भयानक विशाल जीव हैं उन्से बचने हेतु मैं तुम्हें कुछ शक्तीयाँ और हथियार दे रहीं हूँ जिसके द्वारा तुम सुरक्षित रहोगे कोई मार नहीं पाएगा "
पहली शक्ती पंख हैं, जैसे हीं तुम उडने के बारें में सोचोगे तुम्हारी पीठ पर पंख आएन्गे किसी कारण पंख नष्ट हो जाए तो उसकी शक्तीयाँ तुम्हारे अंदर समा जाएगी मगर ध्यान से उपयोग करो।
दूसरी शक्ती कवच हैं, यह कवच हमेशा तुम्हारी आग पानी तेज धार वाले हथियार आदी नुकिली चिजों से रक्षा करेगा यहाँ तक की बडी चट्टान कवच से टकरा कर नष्ट हो जाएगी।
तिसरी शक्ती हैं हथियार निर्माण हैं, इसके द्वारा तुम सोचने भर से पहाड तक को काटने वाली तलवार, ढाल, तीर, भाला आदी हथियार का उपयोग कर सकते हो। इतना कहने के बाद श्वेतपरी अन्य शक्तीयाँ बताना भुलकर शक्तीयाँ दे देती हैं।
इसके बाद श्वेतपरी एक मंत्र अर्जुन को देती हैं " ब्रह्मांड द्वार भ्रमणस्य " जिसे अर्जुन कई बार कंठस्थ करके द्वार खोलने के लिए कहता हैं। तब परी कहती हैं, " जब तुम्हें वापस आना होगा इस मंत्र को याद करके बोल देना फिर जो सफेद रंग का द्वार दिखाई देगा उसमें चले जाना जिस्से तुम फिर इस दुनिया में आ जाओगे "
तब अर्जुन कहता हैं, " मुझे मंत्र कंठस्थ हैं, अब मैं उस डायनोसॉर की दुनिया में जा सकता हूँ, मुझे भेजो "
परी कहती हैं, " अर्जुन मैंने द्वार खोल दिया अब इसमें प्रवेश करो और बताई गई बात का ध्यान रखो "
कुछ पल में पोर्टल अर्जुन को पृथ्वी के भूतकाल में 10 करोड वर्ष पहले पहूँचा देता हैं। डायनोसॉर की दुनिया में कदम रखते हीं उसे आसपास न देखे गए विशाल पेड, हरे पर्वत, तेज बहने वाली नदीयाँ, घने जंगल देखकर आश्चर्य हुआ। उसने आसमान में विशाल पंछीयों को उडते हुए देखा और बोला, " यहाँ नजारा तो अत्यंत आनंद देने वाला, ऐसा नजारा आज तक नहीं देखा और यह विशाल जानवर तो देखने में मजा आ गया " कुछ समय के लिए अर्जुन प्रकृती के दृश्य देख खो गया।
थोडी देर बाद अर्जुन भयानक डायनोसॉर के झुंड को देखकर हैरान रह जाता हैं। विशालकाय शरीर, बडी पुँछ, जालीदार काटे, विशाल पंख इसे देखने के बाद अर्जुन आनंदमय हो रहा होता हैं तभी उसे वह झुंड अपनी ओर तेजी से आते हुए दिखता वह तुरंत अपनी जान बचाने के लिए झाडी के पीछे छुप जाता हैं। मगर कई डायनोसॉर घेरकर आग बरसाने लग जाते हैं फिर क्या परी द्वारा दि गई कवच शक्ती अर्जुन की रक्षा करती हैं। जब अर्जुन को जान बचाने के लिए परी को याद करता हैं तब उसे तेज दौडने की शक्तीयाँ मिल जाती हैं।
कुछ पल में अर्जुन सभी डायनोसॉर को पीछे छोड आगे हीं बढते रहता हैं अचानक खुला पोर्टल अर्जुन सबसे विशाल " डायनामो " ग्रह पर चला जाता हैं। अर्जुन समझ नहीं पाता आखिर पोर्टल कैसे खुल गया और मैं कहाँ पहूँच गया। तब आग छोडने वाले कई " टिरेक्स " डायनोसॉर अर्जुन को खाने के लिए पीछे दौड पडते हैं। अर्जुन श्वेतपरी को याद करते हुए बचाने की गुहार लगाता हैं, " श्वेतपरी मेरी रक्षा करो, मुझे मेरी दुनिया में वापस ले चलो, मैं फिर कभी ऐसी दुनिया में नहीं आना चाहता " ऐसा कहते हुए अर्जुन तेज गती से दौडता रहता हैं। फिर भी डायनामो ग्रह के डायनोसॉर अर्जुन की गती को आसानी से पीछे छोड हमला कर देते हैं।
श्वेतपरी के द्वारा दिया सुरक्षा कवच अर्जुन के शरीर पर आ जाता हैं और चारों ओर एक नया आवरण बनाता जिस्से पहाडों को नष्ट करने वाले डायनोसॉर आवरण को भेड नहीं पाते और उसके आसपास आग आग के गोले छोडना शुरु कर देते हैं। इसी तरह स्वयं को बचाते हुए उसी स्थानपर आधा घंटा बित जाता हैं। फिर श्वेतपरी को याद करते हुए स्वयं से कहता हैं, " अर्जुन यह समय जान बचाकर भागने का नहीं इन्से लडने का समय हैं, भागो मत और साहस का परिचय देते हुए सामना करो हरा दो उन्हें "
ऐसा कहने के बाद हथियार वाली शक्ती जागृत होकर अर्जुन को ढाल तलवार प्रदान कर देती हैं। थोडी देर बाद जादुई पंख भी अर्जुन को प्राप्त हो जाते हैं। ढाल तलवार का उपयोग करके अर्जुन कई सारे डायनोसॉर को पटक देता हैं उनके हाथ पैर काट देता हैं फिर भी उनके हाथ पैर वापस जुड जाते हैं। डायनोसॉर भी अर्जुन को पंजे से मारकर जमीन पर पटककर आग बरसाते हैं लेकीन कवच उस आग को अपने अंदर सोक लेती हैं जिस्से अर्जुन की शक्तीयाँ बढ जाती हैं।
अपनी जान बचाते हुए अर्जुन इस बार डायनोसॉर को हराकर ध्वनी की गती से जंगल की ओर चला जाता हैं जहाँ उसे भुख भी लगी होती हैं। कुछ देर चलने के बाद अर्जुन को बहुत उँचा पेड मिलता हैं जिसपर नीले रंग के मीठे फल लगे हुए होते हैं। फल खाकर अर्जुन की भुख तो मिट जाती हैं लेकीन उसका आकार बहुत छोटा हो गया। अपने आकार को देखकर डरे हुए अर्जुन को पेड पौधे बडे नजर आते हैं। जो फल अर्जुन ने खाए थे उसके बीज 3 गुना बडे नजर आते हैं तो डायनोसॉर पहाड के समान के समान दिखाई देने लेगे। डायनोसॉर के पैरों के निचे आने से बच गया।
तब डायनोसॉर के एक बच्चे ने अर्जुन को देख लिया और खाने के लिए आगे बढता रहा फिर अर्जुन जान बचाते हुए कई पेड के पीछे छुप जाता हैं। हर बार कवच अर्जुन से मरने से बचाता हैं। इसी प्रकार जान बचाते कई जीवों से लडते हुए अर्जुन नीले फल वाले पेड के पास आ जाता हैं और तब उसे एक पत्ते पर कुछ लिखा मिल जाता हैं। पत्ते पर लिखा था, " जो इस नीले फल को खाए कद छोटा बन जाए, उत्तर की ओर लाल फल खाए कद बढ जाए "
इसके बाद अर्जुन समझ जाता हैं की, जो नीले फल को खाएगा उसका आकार छोटा हो जाएगा और उत्तर की ओर मिलने वाले लाल फल को खाने से कद बडा हो जाएगा। अब बिना देरी किए अर्जुन तेज छलाँग लगाते हुए तीव्र गती से दौडते हुए आगे बढता रहता हैं। कई प्रकार के साप, किडे, अन्य जीवों का सामना करते हुए लाल फल वाले पेड के पास चला जाता हैं। लाल फल बहुत उपर होने से अर्जुन पंखों को जागृत करके उपर उड जाता हैं और एक फल खाकर फिर्से अपने मूल आकार में आ जाता हैं।
अब अर्जुन के पास तलवार, ढाल, पंख, कवच, तेज गती थी। इन सभी शक्तीयों की सहायता से उडने वाले जीवों से तेज उडकर पीछे छोड देता हैं। कई विशाल डायनोसॉर की सवारी करता और जैसे हीं कोई पकडने का प्रयास करता वह उड जाता हैं। इस प्रकार अर्जुन मजे करता रहता हैं। फिर एक डायनोसॉर एक दम से अर्जुन को अपनी पकड में लेकर दूर तक उडते रहता हैं। कुछ भी करने पर अर्जुन स्वयं को छुडा नहीं पाता मगर कवच के चलते अर्जुन को कुछ नहीं होता।
कई सार डायनोसॉर उडते हुए अर्जुन पर आग के गोले बरसाटे रहते हैं कवच होने से बच जाता हैं। इसके बाद कवच के अंदर रहकर हीं जादुई तलवार से डायनोसॉर पर हमला करके स्वयं को छुडाने में सफल हो जाता हैं। आखिर में लडते हुए एक डायनोसॉर आग का हमला करके अर्जुन के जादुई पंखों को नष्ट कर देता हैं इस कारण बहुत उपर से गिर जाता हैं।
जैसे तैसे खडा होने के बाद अर्जुन जान बचाकर भागने लगता हैं तलवार ढाल भी पीछे छुट जाती हैं। अब अर्जुन को लगता हैं उसका अंत समय समिप हैं कुछ दूर दौडने के बाद उसे एक पोर्टल दिखाई देता हैं जो श्वेतपरी ने भेजा हुआ होता हैं। इससे पहले पोर्टल के पास जाता कई डायनोसॉर घेरकर आग बरसाते हैं खाने का प्रयास करते हैं। कवच से सुरक्षित बचा अर्जुन अपनी आँखे बंद करके खोलता हैं। अर्जुन स्वयं को पोर्टल के पास पाता हैं तब कुछ डायनोसॉर पोर्टल के पीछे से आकर हमला कर देते हैं देर ना करते हुए अर्जुन पोर्टल में चला जाता हैं।
पोर्टल में प्रवेश करने के बाद अर्जुन अपने बेड पर श्वेतपरी के पास पहूँच जाता हैं। तब वह परी घबराए हुए अर्जुन को शांत कर देती हैं। अर्जुन थोडा पानी पीकर खुर्सी पर बैठ जाता हैं।
परी कहती हैं, " अर्जुन तुम्हारा सफर कैसा रहा, आनंद तो आया होगा "
अर्जुन कहता हैं, " हाँ आनंद तो आया और मरते मरते बच गया, मैंने कई डायनोसॉर की सैर की उनके साथ लडाई की आपके द्वारा दि गई शक्तीयों ने मेरी जान बचाई इस प्रकार मेरा सपना सच हुआ "
परी कहती हैं, " कोई बात नहीं अर्जुन तुम खुश हो यहीं मेरे लिए बहुत हैं, अब मुझे परीलोक जाना होगा "
आखिर में परी अर्जुन को अन्य शक्तीयाँ देकर चली जाती हैं जो अर्जुन को भी पता नहीं होती। अर्जुन घडी में देखता हैं की, मुझे गए तो अभी एक घंटा हीं हुआ। तब उसकी माँ नाश्ते के लिए अर्जुन को बुलाती हैं और अर्जुन चला जाता हैं।
हमारी आज की कहानी " जादुई परी - adventure story in hindi " यहीं हो जाती हैं अगर आपको पसंद आ जाए तो comment करके अवश्य बताए।
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