शक्तीशाली राजकुमार की कहानी भाग 2 - Best Fantasy story in hindi - cap seller and monkey fantasy story in hindi

 

समझदार राजकुमार की कहानी भाग 2 - Best fantasy story in hindi 

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शक्तीशाली राजकुमार भाग 2 - Best short fantasy story in hindi


यह कहानी चंद्रपरी की हैं जो अपने अंश रूप से मानव जन्म लेना चाहती हैं। इस ईच्छा के कारण परीलोक के चंद्रपूर क्षेत्र में जादुई दर्पण का निर्माण कर देती हैं। यहीं परी अपने एक अंश को पृथ्वीपर भेजती हैं। पुरुष तत्व रूपी अंश राजपुर में जातें हीं किसी कारणवश दो भागों में विभाजीत हो जाता हैं।

एक अंश राजपुर के गांव में स्थित बहुत बडे पेड के पास चला जाता हैं। इसी पेड पर वह अंश सफेद बंदर के रूप में जन्म लेता हैं जिसका नाम सोमराज हैं। सोमराज मानव के समान भाषाए बोल पाने में सक्षम हो जाता हैं। दुसरी ओर एक अंश बच्चे के रूप में जन्म लेता हैं जिसका नाम राजकुमार रखा जाता हैं।

शुरुआत में राजकुमार के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी बनी रहती हैं। राजकुमार की आयु जैसे हीं 10 वर्ष हो जाती हैं उसे अपने स्वप्न में विशाल चंद्र दिखता हैं। स्वप्न में उसके पीछे एक भयानक बंदर आकर जानलेवा हमले करते हैं। धमाका होने पर स्वप्न तो तुट जाता हैं लेकीन उसके घांव शरीर पर दिखाई देते हैं।

कई वर्ष बाद राजकुमार की शादी हो जाती हैं और आर्थिक स्थिती गडबडाने से परिवार की जिम्मेदारी उसी के उपर आ जाती हैं। तब अपने पिता के टोपी बेचने के व्यापार को फिर्से शुरु कर देता हैं। राजकुमार घर पर बैठकर सारी टोपीयाँ और थैलीयाँ बना देता हैं। एक थैली में टोपीयाँ भरकर कई गांव में टोपी बेचता फिरता हैं इसी से घर का खर्चा निकल पाता हैं।

एक रात राजकुमार को स्वप्न में चंद्रपरी दिखाई देती हैं। एक दिन चंद्रपरी भेष बदलकर उससे टोपी खरीद कर गायब हो जाती हैं। हर रोज की तरह टोपी बेचकर गांव जाने लगता हैं और गर्मी के कारण एक पेड के निचे आराम करने बैठ जाता हैं। तभी खाने की तलाश में आए बंदर टोपी पहनकर पेड पर मस्ती करते हैं।

नींद से जाग चुका राजकुमार अपनी टोपीयों को बंदर के पास देखता हैं और किसी तरह से डराने का असफल प्रयास करता हैं। आखिर में राजकुमार अपनी टोपी को जमीन पर फेक देता हैं जिसकी नकल करते हुए बंदर भी टोपी जमीन पर फेक देते हैं। राजकुमार सारी टोपीयों को थैली में भरकर गांव की ओर भागने लगता हैं इस बिच चंद्र ऊर्जा से विशाल मानवीय स्वरूप धारण कर चुका सफेद सोमराज बंदर पुरे गांव में उत्पात मचाता हैं।

अपने अंश सोमराज को उत्पात मचाते देख परीलोक से आई चंद्रपरी एक मुक्के से सोमराज को जंगल में फेक देती हैं और आखिर में हमेशा के लिए कारागृह माने वाले वानरलोक में भेज देती है। यहीं चंद्रपरी जाते समय सोमराज और स्वयं की सच्चाई राजकुमार को बताकर उसकी आयु 500 वर्ष तक बढाती हैं। इसके बाद से स्वयं की शक्तीयाँ जान चुका राजकुमार लोगों की रक्षा करने पर ध्यान देता हैं दुसरी ओर उसकी आर्थिक स्थिती सुधर जाती हैं।

शक्तीशाली राजकुमार की कहानी भाग 2 - Best long fantasy story in hindi

कहानी की शुरुआत परीलोक से होती हैं जहाँ चंद्रपरी एक जादुई दर्पण में पृथ्वी को देखती हैं। चंद्रपरी का पुरुष तत्व अपने अंश से पृथ्वी के राजपुर गांव में प्रवेश करता हैं। किसी कारण से यहीं अंश प्रकाश पुंज में दो भागो में विभाजीत होकर अलग दिशाओं में चले जाते हैं। एक अंश गांव के पास स्थित बहुत बडे पेड पर मौजुद बंदर रूप में जन्म लेता हैं तो दूसरा अंश एक व्यापारी के यहाँ पुत्र बनकर जन्म लेता हैं।

परीलोक में बहुत बडे दर्पण के पास परीयों की भीड होने से चंद्रपरी उडते हुए चंद्रपूर क्षेत्र में चली जाती हैं। अपने अंश को देखने की लालसा में एक जादुई दर्पण का निर्माण कर देती हैं और अपने सिंहासन पर आराम से बैठ जाती हैं। चंद्रपरी अपनी ऊर्जा से गदा की तरह दिखने वाले परीदंड को उत्पन्न कर देती हैं। परीदंड से निकला दिव्य प्रकाश दर्पण से टकरा जाता हैं और दर्पण परी को राजपुर का दृश्य दिखाना शुरु कर देता हैं।

चंद्रपरी खुश होकर दिव्य दर्पण में देखना शुरु कर देती हैं और कहती हैं, " अब मैं अपने मानव जीवन का भरपूर आनंद लूँगी और अधिक जानकारी प्राप्त करके स्वयं भी प्रत्यक्ष मानव बन जाऊँगी "
दिव्य दर्पण चंद्रपरी को दिखाता हैं की, अंश रूप राजकुमार के मातापिता फल सब्जी और टोपीयाँ बनाकर बेचने का व्यापार कर रहे हैं। इसी व्यापार के कारण राजकुमार के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी बनी रहती हैं और परिवार में सुख शांती का अभाव नहीं रहता।

राजकुमार को 10 वर्ष पूरे होने तक सब अच्छा हीं चलता हैं लेकीन जैसे हीं राजकुमार की आयु 10 वर्ष पुर्ण हो जाती हैं उसके अधिकतर स्वप्न में सफेद रंग के विशाल चंद्र दिखाई देने लगते हैं। एक दिन सोते समय राजकुमार गहरी निद्रा में चला जाता हैं और स्वयं को चंद्र से जुडा हुआ पाता हैं। दुसरी ओर से आनेवाला एक अनियंत्रित बंदर उसे पकडने का प्रयास करके कई घातक हमले करते दिखता हैं। एक घातक हमला राजकुमार को लग जाने से वह जोर से चिल्लाते हुए उठ जाता हैं और अपने शरीर पर हमले का निशान देखकर और भी डर जाता हैं।

इस घटना के बाद से राजकुमार को स्वप्न में कभी भी चंद्र और खुंखार बंदर दिखाई देता। आखिर में वह उस स्वप्न झुठ मानकर साधारण जीवन जीने का प्रयास करता हैं। कई वर्ष बित जाने के बाद राजकुमार की शादी विद्या नामक लकडी से की जाती हैं। शादी के चार महिने बाद राजकुमार को अपने शरीर में चंद्र के समान शीतल प्रकाश की अनुभूती शुरु हो जाती हैं।

कुछ वर्षों बाद राजकुमार को दो पुत्रों को प्राप्ती हो जाती हैं जिसके दो वर्ष बाद राजकुमार की माता का देहांत हो जाता हैं। दूर परीलोक में स्थित चंद्रपरी अपने अंश की माता को परी का रूप देकर अपने चंद्रपुर क्षेत्र में स्थान देती हैं। इस घटना को कुछ महिने बित जाने के बाद राजकुमार के परिवार का फल सब्जी बेचने का व्यापार ठप्प हो जाता हैं इस कारण आर्थिक स्थिती ड़गमगाती हैं।

अपने परिवार का पालन पोषण करने, आर्थिक स्थिती को सुधारने के लिए राजकुमार हर दिन जितनी हो सके उतनी प्रकार की टोपीयाँ बनाकर बडी से थैली में रखता हैं। धीरे धीरे करके राजकुमार गांव में घुमकर टोपीयाँ बेचना शुरु कर देता हैं। गर्मी से बचने के लिए और अन्य कारण से स्वयं के लिए पांच टोपीयाँ बनाता हैं और हर घर गांव में टोपी बेचता हैं।

अब ऐसा करते हुए लोग राजकुमार को टोपीवाले चाचा नाम से जाने जाते हैं। राजकुमार का मुख्य काम टोपी बनाकर बेचना रह जाता हैं। हर गांव की गलीयों में टोपी बेचकर इतना पैसा कमा पाता हैं जिससे अपने परिवार का पेट भर सके साथ हीं घर में लगने वाली आवश्यक वस्तूओं को खरीद पाता हैं। जीवन में मिलने वाली छोटी खुशी से संतुष्ट हो जाता हैं जैसे उसे कुछ और नहीं चाहिए। राजकुमार केवल परिवार की खुशी में अपनी खुशी देखता हैं। राजकुमार ने हर दिन के लिए सात अलग थैलीयाँ बनाई हुई होती हैं जो कई सारी टोपीयों को एक थैली में भरकर गांव में बेचने के लिए जाता हैं।


रास्ते से जाने वाले लोग बहुत गर्मी लगने से एक दो टोपीयाँ खरीद लेते हैं और राजकुमार को अच्छी कमाई हो जाती हैं। तेज गर्मी के कारण राजकुमार भी टोपी बेचकर थक जाता और प्यास लगने पर पानी पी लेता हैं। गर्मी के कारण थकान महसूस होने से वह एक पेड को खोजता हैं जिसके निचे आराम कर सके।



यह वहीं पेड हैं जिसके उपर बैठा एक बंदर चंद्रपरी का अंश रूप जन्म हैं। इस कारण राजकुमार और बंदर की चंद्र ऊर्जा आपस में टकराकर चंद्रपरी से जुड जाती हैं। तबतक राजकुमार अपनी गहरी निद्रा में चला जाता हैं। दूसरी ओर चंद्रपरी टोपीवाले राजकुमार के स्वप्न में आकर एक टोपी में चंद्र ऊर्जा को डाल देती हैं।

तबतक पेड पर बैठे सभी बंदर खाने की तलाश में थैली के पास आ जाते हैं। बंदर उस व्यक्ती को टोपी पहने सोया हुआ पाते हैं। थैली में कोई खाने की चीज तो नहीं देखने के लिए थैली खोलकर देखने लगते हैं पर खाने की वस्तू नहीं मिलती। सभी बंदर निराश होकर टोपीयों को हाथ में लेकर देखने लगे। चंद्र ऊर्जा समाई हुई टोपी सीधे सफेद रंग के सोमराज नाम के बंदर के पास चली जाती हैं। सोमराज उस टोपी को राजकुमार की तरह सिर पर पहन लेता उसे देख अन्य बंदर भी टोपी पहनकर पेड पर चढ़ जाते हैं।

चंद्रपरी जो एक दिन राजकुमार के पास अपना रूप बदलकर टोपी लेने आई थी उसके बाद से राजकुमार चंद्रपरी के प्रत्येक स्वप्न में आती रहती हैं इस बार सोते हुए को जगाने के लिए परी स्वप्न में हीं धमाका कर देती हैं। भयानक स्वप्न से विचलित होकर उठा राज कुमार थैली में एक भी टोपी ना देखकर परेशान होकर आसपास खोजना शुरु कर देता हैं। राजकुमार कहता हैं, " अगर कोई चोर आया था तो थैली क्यूँ छोडकर क्यूँ जाएगा ? " ऐसा कहते हीं नजर पेड के उपर पड जाती हैं और हैरान रह जाता हैं।

हैरान परेशान हो चुका राजकुमार टोपी कैसे प्राप्त करें इस बात को लेकर चिंता में पड जाता हैं। राजकुमार तुरंत हीं बंदरों को डराने लगता हैं तो बंदर उसकी नकल उतार कर राजकुमार को हीं डराते हैं। बंदरों की नकल करने की आदत को पकड लेता हैं बाद में अधिक विचार किए बिना अपने सर की टोपी को जमीन पर फेक देता हैं। टोपीवाले की नकल करने के चक्कर बंदर भी टोपी को उतार कर जमीन पर फेक देते हैं। इस बात से खुश हुआ राजकुमार तेजी के साथ सारी टोपीयों को थैली में रख देता और जाने लगता हैं।


इस बिच राजकुमार की नजर सफेद बंदर पर पड जाती हैं जिसने मुल्यवान टोपी पहनी होती हैं। तभी टोपी के अंदर समाई हुई चंद्र ऊर्जा सोमराज बंदर के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं। अब साधारण बन चुकी मुल्यवान टोपी निचे गिर जाती हैं जैसे हीं राजकुमार टोपी उठाने जाता हैं अचानक सोमराज बंदर मानवीय स्वरूप वाला विशाल बंदर बनकर कई सारे पेड़ों को उखाडते हुए गांव में जाकर उत्पात मचाता हैं।

तब अपने एक अंश को उत्पात मचाते देख चंद्रपरी से रहा नहीं जाता। चंद्रपरी एक पल में विशाल पेड के पास आकर घायल हो चुके जानवरों ठिक कर देती हैं और आखिर में राजपुर गांव की ओर तेजी से जाकर एक मुक्के में सोमराज को जंगल की ओर फेक देती हैं। सोमराज अधिक किसी को नुकसान ना पहूँचाए इस कारण चंद्रपरी उसे वानरलोक में हमेशा के लिए भेज देती हैं। मगर चंद्रपरी सोमराज को ठिक करने का उपाय खोजने का तय करती हैं।

आखिर में चंद्रपरी सोमराज के पास जाकर उसे उसके वास्तविक स्वरूप का बोध करवाकर सोमराज और स्वयं की सच्चाई बताती हैं। तब चंद्रपरी राजकुमार की आयु 500 वर्ष तक बढाकर उनके पुत्रों में भी शक्तीयाँ भेज देती हैं। इसके बाद चंद्रपरी अपने चंद्रपुर में चली जाती हैं और दुसरी ओर राजकुमार की आर्थिक स्थिती भी सुधरने लगती हैं। इस घटना के बाद से जब भी लोगों पर संकट आता हैं तो राजकुमार भेष बदलकर लोगों की सहायता करता हैं।

समझदार राजकुमार की कहानी भाग 2 - Best fantasy story in hindi moral

Moral - " हम अपनी बुद्धी का उपयोग करके बडी से बडी कठिनाई का सामना कर सकते हैं "

" टोपीवाले राजकुमार और बंदर की कहानी भाग 2 " ( monkey and cap seller story in hindi ) मेरे द्वारा बनाई गई कहानी यहीं समाप्त हो जाती हैं। अगर आपको यह कहानी पसंद आए तो हमारे Blog को अवश्य भेंट और कहानी पसंद आए तो कमेंट करके अपने विचार रखें। 

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