1. अतृप्त आत्मा चित्रा को एक तांत्रिक लाल कपडे में कैद कर देता हैं।
2. तांत्रिक के कहने पर सुशील लाल कपडे और मिठाई को चौराहे पर रख देता हैं।
3. अंधविश्वास कहने वाला बैंक कर्मचारी सुधिर स्वयं की गलती से लाल कपडा और मिठाई ऑफिस ले जाता हैं।
4. दोपहर के समय भुख लगने से वहीं श्रापित खाना खाता हैं।
5. सर में तेज दर्द होने से दोस्त की मदद से घर आ जाता हैं ।
6. सुधिर की अजीबो गरीब हरकते देख संजना तांत्रिक को बुलाती हैं।
7. सारा बात समझने के बाद तांत्रिक साधना में लगने वाला सब सामान मँगवाता हैं।
8. पौर्णिमा के दिन बडी मेहनत से तांत्रिक उस चित्रा की आत्मा को कपडे में कैद करता हैं।
9. संजना के दो पडोसी कपडे को जंगल में ले जाकर गाढ देते हैं।
10. पहले जैसा अच्छा हुआ सुधिर फिर्से बैंक के काम करने चला जाता हैं।
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एक बैंक कर्मचारी के अविश्वास का परिणाम भाग 2 ।Best Horror Story in Hindi । hindi story loop blog
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अविश्वास का परिणाम भाग 2 । Ghost story in hindi |
यह कहानी एक अतृप्त आत्मा चित्रा की कहानी हैं जो अपनी मृत्यु का बदला लेने हेतु सुशील की पत्नी को अपना शिकार बनाती हैं। चित्रा पत्नी के शरीर में घुसकर अजीबो गरीब हरकते करके परिवार के लोगों को नुकसान पहूँचाती हैं। अपना बदला पुरा करने और शक्तीयाँ पाने के लिए अमावस्या तक सब सभी मारने का तय करती हैं।
समय रहते एक सिद्ध तांत्रिक आकर सुशील की पत्नी में से चित्रा को निकालकर नींबू मिर्च में कैद करके बिच चौराहे पर रखवा देता हैं। इसके बाद सुशील की पत्नी पहले जैसे होकर घर का सारा काम संभालती हैं। परिवार पहले जैसा खुश रहता हैं।
दूसरी ओर एक अविश्वासी बैंक कर्मचारी भूत जैसी चिजों को न मानकर उसी चौराहे से जाते समय नींबू मिर्च मिठाई को अपने साथ ऑफिस में ले जाकर दोपहर के समय खा जाता हैं। तभी से उसका दिमाग भारी होना शुरु हो जाता हैं। इसके बाद दिन ब दिन हालत नाजुक होने से उसी तांत्रिक को बुलाते हैं।
तांत्रिक बडी मुश्किल से सुधीर के शरीर से चित्रा की आत्मा को निकालकर फिर्से नींबू मिर्च लाल कपडे में कैद करवाकर जंगल में छोड दिया जाता हैं। तब सुधीर भी राहत की साँस लेकर इन अज्ञात वस्तूओं को हाथ भी लगाने से डर जाता हैं।
एक बैंक कर्मचारी के अविश्वास का परिणाम भाग 2 । best horror story in hindi । hindi story
इस कहानी की शुरुआत सुशील के घर से होती हैं। पत्नी के शरीर में घुसकर उत्पात मचाने वाली चित्रा को एक तांत्रिक कैद करके सुशील द्वारा बिच चौराहे पर रखवा देता हैं। धीरे धीरे करके सुशील की पत्नी साक्षी पहले जैसी होकर कार्य शुरु कर देती हैं। घर में जो शैतानी ऊर्जा आभास हो रहीं थी वह भी चली जाती हैं।
अब कहानी मुड जाती हैं सुधिर सेन की ओर जो चित्रा की तरह अविश्वासी और विज्ञान को मानने वाला हैं। यहीं कारण हैं वह दूसरे लोगों की बातों को हल्के में लेकर बातों को नकार देता हैं। बैंक कर्मचारी होने के बाद भी सुधिर महिने के 25 हजार रुपए आरान से कमाता हैं।
सुधिर की पत्नी संजना सेन गाँव में हुई कुछ हीं दिनों पहले की घटना की असली व्हिडिओज दिखाकर कहती हैं, " मेरी बात मानो हर बात विज्ञान से नहीं जानी जा सकती "
सुधिर कहता हैं, " तुम्हें क्या पता की विज्ञान क्या चीज हैं, इन सब बातों का पर्दाफाश कर देंगे और कर भी रहे हैं "
सुधिर व्हिडिओ footage देखकर पहले हँसता हैं और nasa आदी के research paper google में search प्रणाम रूप दिखाने लगता हैं।
सुधिर कहता हैं, " यह देख लो वैज्ञानिकों के रिसर्च पेपर google में हैं, साफ साफ लिखा हैं की भूत प्रेत जैसी कोई चीज असली नहीं "
संजना गर्दन निचे झुकाते हुए, " आप मानो या न मानो, मैं तो विश्वास रखती हूँ और बचने के उपाय भी"
" संजना तुम तो अंधविश्वासी रहोगी, खैर मुझे सुबह जल्दी जाना हैं " कहकर सुधिर खाना खाने के बाद सो जाता हैं "
संजना सोने से पहले सभी दरवाजे खिडकी अच्छी तरह से बंद करके कहती हैं, " आपको मेरी बातों पर तब विश्वास होगा जब आपका सामना किसी भूत से होगा, फिर मुझे कहना की भूत नहीं होते "
अगली सुबह सुधिर जल्दी उठकर ऑफिस जाने की तयारी कर डब्बे में खाना रखने का इंतजार करता हैं और कहता हैं, " संजना जल्दी करो, मेरा डब्बा भर दो, मुझे आज ऑफिस जल्दी जाना हैं "
संजना डब्बा भरकर देते हुए कहती हैं, " मेरी बात सुनो चौराहे वाले घर की ओर से जाते समय संभलकर जाना क्योंकी कल रात उनकी पत्नी से अतृप्त भूत को निकालकर चौराहे पर फ़ेक दिया गया "
सुधिर, " तुम बिना कारण डर रहीं हो संजना ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं अपना ध्यान रख सकता हूँ "
संजना डरते हुए कहती हैं, " आपको डर नहीं लगता होगा मुझे तो लगता हैं, मगर हाँ रास्ते पर पडी अंजान वस्तू को हाँथ मत लगाना नाहीं घर पर ले आना "
सुधिर कँधे पर हाथ रखकर कहता हैं, " मैं सहीं सलामत घर पर जाउँगा तुम चिंता मत करो "
ऐसा कहने के बाद सुधिर अपनी सायकल लेकर उसी चौराहे के पास निकलने जाने लगता हैं तब चित्रा को सुधिर के अंदर अविश्वास का आभास हो जाता हैं। स्वयं को मुक्त करवाने के लिए चित्रा हल्की आवाजों में सुधिर को बुलाती हैं। चित्रा की इस आवाज से सुधिर बार बार चौराहे पर राखी मिठाई की ओर आकर्षित हो जाता हैं।
सुधिर सायकल से उतरकर कहता हैं, " कौन हैं जो बेवकूफ जो इस मिठाई को चौराहे पर छोडकर चला गया, देखता हूँ और क्या रखा हुआ हैं "
सुधिर देखता हैं की, मिठाई के साथ लाल कपडा, नींबू मिर्च और धागा रखा हुआ हैं। सुधिर लाल कपडे में सभी सामान को रखकर बैग में भर देता हैं।
सुधिर खुश होते हुए, " आज तो दोपहर के खाने का इंतजाम हुआ, पता नहीं लोग कैसी अंधश्रद्धा पाले हुए हैं, बेवकूफ "
सुधिर ऑफिस में जाकर अपना रोज का कार्य करता हैं और दोपहर होते हीं खाने का डब्बा बाहर निकाल कर खाने लगता हैं तब उसे चौराहे से लाए हुए कपडे की याद आ जाती हैं जिसमें मिठाई हैं। आगे क्या होगा यह जाने बिना लाल कपडे में रखा हुआ खाना खाकर कपडे को वहीं पर रखता हैं।
थोडी देर बाद सुधिर का दिमाग भारी हो जाता हैं बाम लगाकर फिर काम करता हैं धीरे धीरे सर दर्द करना शुरु करता हैं कोई उपाय ना पाकर जल्दी काम पुरा करके अपने दोस्त की सहायता से घर चला जाता हैं। सुधिर को यह पता नहीं होता की, चौराहे का खाना खाने से श्रापित धागा हाथ पर बँध गया।
संजना अपने पती की ऐसी हालत देख घबरा जाती हैं। संजना का भय तब बढ जाता हैं जब सुधिर घर में आ जाता हैं। उसे अपने घर में अचानक से बुरी ऊर्जा का आभास हो जाता हैं जब भी वह घर में दिया जलाती वह किसी कारण बुझ जाता हैं। धीरे धीरे सुधिर की हालत बहुत बिगड जाती हैं।
सुधिर रात के समय अपनी खोली में जाकर डरावनी आवाजे निकालता तो कभी तोडफोड करता। अधिक गुस्सा हो जाने पर दिवारों पर चढकर बिना छुए सामान को पटक देता। एक दिन तो हद हो जाती हैं सुधिर स्वयं को मारने का प्रयास करता हैं तब पत्नी आकर बचाती हैं। अपने पती की ऐसी हालत देख घर में सचमुच कोई गडबड हैं जानकर साधु या तांत्रिक को बुलाने का सोचती हैं।
अगले दिन वहीं तांत्रिक आ जाता हैं जिसने चित्रा को बँधक बनाकर चौराहे पर फ़ेकवा दिया था। तांत्रिक के आने से घबराई चित्रा सुधिर के शरीर में रहकर हीं हमला कर देती हैं जब हमला सफल नहीं हो पाता भागने का प्रयास करती हैं। तांत्रिक समझ जाता हैं की यह वहीं ऊर्जा हैं जो चित्रा में थी।
तब तांत्रिक उसी रुम के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाकर पौर्णिमा के दिन लगने वाली सामग्री मँगवाने को कहता हैं। संजना बताया गया सारा सामान लाकर पहले से हीं रखकर सुधिर को खटिया से बाँध देती हैं। तब पौर्णिमा के दिन तंत्र क्रिया शुरु की जाती हैं जिस कारण सुधिर तडपने लग जाता हैं। संजना को ऐसी हालत देखी नहीं जाती तब तांत्रिक रोक देते हैं।
तांत्रिक समझ जाता हैं की कितना भी अनुष्ठान करने के बावजुद भी आत्मा नहीं निकल पा रहीं तब ध्यान लगाकर पाता हैं की, लाल कपडा सुधिर के ऑफिस में हैं और धागा हाथ पर बँधा हैं। संजना का पडोसी बैंक वालों की मंजुरी लेकर लाल कपडा लाने में सफल रहता हैं तबतक दूसरा व्यक्ती सुधिर के हाथ पर बँधा धागा निकालकर तांत्रिक को देता हैं।
इसके बाद तांत्रिक बडी आसानी से सभी सामान को लाल कपडे में बाँधकर चित्रा की आत्मा को उसमें कैद कर देता हैं दूसरी ओर सुधिर बेहोश होकर निद्रा में चला जाता हैं। उसी रात दो पडोसी लाल कपडे को लेकर बिना पीछे मुडे जंगल में गडढा खोदकर डाल देते हैं और कार्य पूरा से वहाँ अधिक समय तक ना रुककर घर चले जाते हैं।
इसके अगले दिन से सुधिर की हालत की पहले जैसी अच्छी हो जाती हैं और फिर ऐसा कार्य ना करें इस कारण उसी की व्हिडिओ फूटेज दिखा देती हैं। सुधिर उसे देखकर घबरा जाता हैं और किसी तरह इस बात भुलाकर अपने हर रोज के कार्य करने बैंक में चला जाता हैं।
Moral of the horror story in hindi
सीख - " रास्ते पर पडी अनजान वस्तू को नहीं उठाना चाहिए और तंत्र जैसी चिजों से दूरी बनाए रखे "दोस्तों, आज की कहानी " एक अविश्वासी कर्मचारी का परिणाम भाग 2 समाप्त हो जाता हैं। अगर आपको ऐसी हीं horror stories in hindi, moral stories पढनी हैं तो hindistoryloop blog को अवश्य भेट दे साथ हीं like share करके अपने विचार comment में बता सकते हैं ।
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