1. भूमंडल से 15 हजार प्रकाश वर्ष दूर कुंडल ग्रह पर त्रिपुर रहते हैं।
2. कुंडल ग्रहपर युद्ध को लेकर चलने वाले विवाद से एक त्रिपुर पृथ्वीपर आता हैं।
3. त्रिपुर अपनी शक्तीयों से एक पेड को घर बनाकर आराम से रहता हैं।4. दूसरी ओर कपिल नाम का व्यक्ती कपडे सीलकर घर का खर्चा उठाता हैं।
5. भारी बारिश के चलते घर की छत से पानी गिरकर लकडी की शिलाई मशीन खराब हो जाती हैं।
6. शिलाई मशीन को लगने वाली लकडी लाने जंगल में जाकर उसी पेड को काटने जाता हैं जिसपर त्रिपुर मौजुद हैं।
7. कपिल की बातें सुनकर त्रिपुर खुश होकर कुछ वर माँगने कहता हैं।
8. कपिल अपनी पत्नी की सलाह से 2 मुख 4 हाथ माँगता हैं।
9. कपिल के ऐसे रूप को देख गाँव वाले हमला कर देते हैं सबको लगता हैं कपिल मर गया।
10. थोडी देर कपिल फिर्से उठकर सबको सारी सच्चाई बताता हैं।
11. सब उसी त्रिपुर के पास जाकर ठिक करने को कहते हैं मगर नहीं हो पाता।
12. आखिर में कपिल को उसी रूप में जीवन बिताना पडता हैं।
5. भारी बारिश के चलते घर की छत से पानी गिरकर लकडी की शिलाई मशीन खराब हो जाती हैं।
6. शिलाई मशीन को लगने वाली लकडी लाने जंगल में जाकर उसी पेड को काटने जाता हैं जिसपर त्रिपुर मौजुद हैं।
7. कपिल की बातें सुनकर त्रिपुर खुश होकर कुछ वर माँगने कहता हैं।
8. कपिल अपनी पत्नी की सलाह से 2 मुख 4 हाथ माँगता हैं।
9. कपिल के ऐसे रूप को देख गाँव वाले हमला कर देते हैं सबको लगता हैं कपिल मर गया।
10. थोडी देर कपिल फिर्से उठकर सबको सारी सच्चाई बताता हैं।
11. सब उसी त्रिपुर के पास जाकर ठिक करने को कहते हैं मगर नहीं हो पाता।
12. आखिर में कपिल को उसी रूप में जीवन बिताना पडता हैं।
दो सिर वाले दर्जी की कहानी भाग 1। पंचतंत्र की कहानी । Panchatantra story in hindi
द्विमुख दर्जी कपिल भाग 1 Introduction
भूमंडल से 15 हजार प्रकाश वर्ष दूर कुंडल पर त्रिपुर नाम के लोग रहते हैं। कई जादुई शक्तीयों वाले त्रिपुर के पास तीन नेत्र और चार हाथ हैं। त्रिपुर के अंदर ऐसी क्षमता हैं की वह जीव को जैसे चाहे वैसे विकसित कर सकते हैं।
भूमंडल से 15 हजार प्रकाश वर्ष दूर कुंडल पर त्रिपुर नाम के लोग रहते हैं। कई जादुई शक्तीयों वाले त्रिपुर के पास तीन नेत्र और चार हाथ हैं। त्रिपुर के अंदर ऐसी क्षमता हैं की वह जीव को जैसे चाहे वैसे विकसित कर सकते हैं।
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द्विमुख दर्जी भाग 1 । Panchatantra story in hindi |
कुंडल ग्रह के एक क्षेत्र में युद्ध की स्थिती हो जाती हैं जिस्से कुंडल ग्रह नष्ट हो सकता हैं और इसी युद्ध को लेकर चलने वाले विवाद से तंग आकर एक त्रिपुर पृथ्वीपर आकर पेड को अपना घर बनाता हैं। त्रिपुर पेड को ऐसे विकसित करता हैं जिस्से वह अपने शरीर से प्रकाश निकाल पाए और मानव के समान बोल पाए
कपिल नाम का दर्जी शिलाई मशीन खराब होने से इसी पेड को काटने आता हैं ताकी उसकी लकडी से मशीन बनाई जा सके। मगर त्रिपुर पेड काटने से मना करके बातों से प्रभावित होकर ईच्छा माँगने को कहता हैं। कपिल कौंसी ईच्छा माँगी जाए इसपर कई लोगों की सलाह लेता हैं।
आखिर में कपिल अपनी पत्नी की सलाह पर त्रिपुर के पास जाकर 4 हाथ 2 मुख माँगता हैं ताकी तेजी से शिलाई का काम कर सके। लोग कपिल के अजीब रूप को देखकर पहले भाग जाते हैं बाद में एकत्र आकर बिना कुछ सुने मार देते हैं। सबको लगता हैं कपिल मर गया और उसकी पत्नी को बताया जाता हैं।
थोडी देर बाद जाग चुका कपिल सबको सारी बातें बताकर पत्नी सहित त्रिपुर के पास चले जाते हैं। दोनों सब पहले जैसा करने की ईच्छा माँगते हैं पर त्रिपुर ऐसा नहीं कर पाता बाद में कपिल उसी रूप के साथ जीवन बिताना पडता हैं। इसके बाद सब लोग कपिल को द्विमुख नाम से पुकारने लग जाते हैं।
इस कहानी की शुरुआत भूमंडल से 15 हजार प्रकाश वर्ष दूर विवस्वान नामक सौर मंडल से होती हैं। मानव जिस सौर मंडल में रहते हैं उससे 100 गुना विशाल विवस्वान सौर मंडल हैं। इसी सौर मंडल के एक ग्रह कुंडल पर 3 आँख 4 हाथ पीले रंग के त्रिपुर नामक मुख्य प्रजाती का निवास स्थान हैं। कुंडल ग्रह अपने आप में जीवित हैं जिसका व्यास 10 लाख किमी हैं।
त्रिपुर प्रजातीयों के पास कई जादुई शक्तीयाँ हैं जिनकी सहायता से कई ग्रह आकाशगंगा की दूरी पलभर में तय करते हैं तो कई ऐसे हैं जिन्हें उडकर दूसरे स्थानपर जाना पडता हैं। त्रिपुर जीवों के एक पास एक मुख्य शक्ती हैं कुछ मिनट में जीवों को विकसित करना इस कारण उन्की आयु लाखो तक बढ जाती हैं।
कुंडल ग्रह की प्रजाती Type 1 सभ्यता हैं वे अत्याधुनिक चिजों का निर्माण एक साल के भीतर करने में सक्षम हैं। इतना विकसित ग्रह होने के बाद भी क्षेत्र को लेकर त्रिपुर प्रजातीयों में युद्ध होते रहते हैं। इस बार का युद्ध कुंडल ग्रह के विनाश को निर्धारित कर सकता हैं इस कारण कई लोग इस बात का विरोध करते हैं।
इन्हीं में से एक त्रिपुर क्षेत्र को लेकर होने वाले विवाद से तंग आकर 15 मिनट में पृथ्वी के एक जंगल में चला जाता हैं। सबसे पहले त्रिपुर मीठे फल खाकर अपना पेट भरता हैं और वहाँ से सीधा रहने लायक कोई अच्छा सा स्थान खोजने निकल पडता हैं। त्रिपुर चाहे तो रूप बदलकर गाँव में रह सकता था लेकीन वह ऐसा नहीं करता।
त्रिपुर को एक पेड अपनी ओर आकर्षित करता हैं तब त्रिपुर कुछ मिनट में उस पेड को 10 गुना अधिक विकसित करके उसके भीतर सूक्ष्म रूप धारण करके रहने लगता हैं। इस कार्य के कारण वह पेड एक प्रकार से त्रिपुर का हिस्सा बन जाता हैं जो भी जंगल को नुकसान पहूँचाने के लिए हरे पेडों को काटने का प्रयास करता हैं तब त्रिपुर उन्हें रोक देता हैं।
10 गुना विकसित होने से पेड भी मानव की भाषा समझने में समर्थ हो जाता हैं। एक दिन जंगल में श्रापित भेडिया निर्दोष लोगों को मारने के लिए झपट पडता हैं तब त्रिपुर एक हीं प्रहार से दूर फ़ेक देता हैं। इस तरह कई लोग जानवरों का शिकार होने से बच जाते हैं दूसरी ओर एक नई घटना शुरु हो जाती हैं।
दूसरी ओर कपिल एक गरीब व्यक्ती हैं जो घर का खर्चा निकालने के लिए शिलाई मशीन द्वारा अच्छे कपडे सिलकर पैसे कमाता हैं। कपिल केवल एक मशीन के द्वारा हीं कार्य करके घर संभालता हैं। उस मशीन के अधिकतर पार्टस लकडी से बने हैं। कपिल ऐसा हैं की खुद के बजाय शिलाई मशीन का ध्यान रखता हैं जो उसकी कमाई का साधन हैं।
कपिल के घर की छत खराब हो जाती हैं ठिक करने का समय भी नहीं मिलता। एक दिन तेज बारिश शुरु हो जाती हैं। इस बारिश में छत से गिरा पानी और सतह का पानी घर में भर जाता हैं किसी तरह आवश्यक वस्तूओं को बचा पाते हैं। इन सब के बाद भी शिलाई मशीन को खराब होने से नहीं बचा पाता।
खराब हुई मशीन को देखकर परेशान हुआ कपिल दुखी मन से सोच विचार करता हैं, " जीवन व्यापन करने की इकलौती शिलाई मशीन खराब हो गई, जल्दी ठिक करना होगा अन्यथा परिवार को भुखे पेट मरते देखना पडेगा, मुझे भी भुखा रहना पडेगा " भयभीत हुआ कपिल शिलाई मशीन को खोलकर खराब हुए लकडी के उपकरणों अलग रख देता हैं।
कपिल जानता हैं मशीन के उपकरण बनाने के लिए जो लकडी चाहिए वह जंगल में मिल सकती हैं। तब कपिल निर्णय कर लेता हैं की वह जंगल में जाएगा, आवश्यक पेड की लकडी तोडेगा और लकडी के उपकरण बनाएगा। रास्तेपर भरा हुआ पानी कम होते हीं पैदल चलकर जंगल में जाता हैं। जंगल में बहुत खोज करने के बाद उसे मनचाहा पेड नहीं मिलता दुखी होकर बैठ जाता हैं। अपनी गरीबी का ध्यान आने से फिर्से खोज आरंभ कर देता हैं।
बहुत देर तक खोज करने के बाद उसे त्रिपुर वाला पेड चमकता हुए दिखता हैं उसकी ओर आकर्षित होकर जाता हैं। वह पेड दिखने में उँचा, बडा, हराभरा होने के साथ पृथ्वी पर पाए जाने वाला पेड नहीं लग रहा था। पर जैसे भी हो कपिल को पेड पसंद आ जाता हैं। कपिल कहता हैं, " इसी पेड की लकडी ठिक रहेगी मेरे मशीन के उपकरणों को बनाने के लिए। मुझे काम जल्दी करना होगा "
उसी समय कपिल कुल्हाडी लेकर पेड की ओर जाता हैं। जैसे हीं पहला प्रहार पेड की जडों पर करने के लिए कुल्हाडी उठाता हैं तब उसके हाथ हवा में हीं अटक जाते हैं। इतने में त्रिपुर की आवाज पेड से आती हैं, " रुक जाओ कपिल इस पेड को मत काटो, यह मेरा घर हैं जिसपर मैं रहता हूँ "
कपिल डरते हुए कहता हैं, " तुम कौन हो मेरा नाम कैसे पता ? और तुम कौन जो पेड काट से रोक रहे हो"
इतना कहते हीं त्रिपुर अपने असली रूप में पेड से बाहर आकर कपिल को मुक्त करता हैं। " हरे पेड को काटने के बजाय सुखे पेड को काटो " ऐसा कहकर उस कुल्हाडी को अपने पास रख देता हैं। तब वह एलियन त्रिपुर अपना परिचय देकर पेड काटने का कारण पुछता हैं।
कपिल, " हे त्रिपुर मुझे क्षमा करो मैं विवश हूँ, इस पेड की लकडी से शिलाई मशीन के उपकरण बनाकर लगाना हैं ताकी मैं उसपर काम करके पैसे कमा पाऊँ और मेरा परिवार भुखे ना सोए, मेरे पास केवल यहीं मार्ग बचा हैं। "
कपिल के जवाब को सुनकर प्रसन्न हुआ त्रिपुर पेड न काटने की सलाह देकर योग्य ईच्छा माँगने को कहता हैं, " कपिल तुम्हारी जो ईच्छा हैं माँगलो मुझसे जितना हो सकेगा पुरा करूँगा, अधिक विचार ना करो "
त्रिपुर की ऐसी बातों को सुनकर खुश हुआ कपिल कहता हैं, " हे त्रिपुर, मुझे वर माँगने के लिए एक दिन का समय दे, मैं अपने मित्र और पत्नी की राय लेना चाहता हूँ, वापस आ जाउँगा " ऐसा कहने के बाद कपिल घर की ओर तेजी से जाता हैं।
त्रिपुर भी एक दिन का समय कपिल को देते हैं। रास्ते से घर जाते समय कपिल को उसका ढाबे वाला मित्र मिल जाता हैं। कपिल हडबडी में संजय को त्रिपुर एलियन वरदान वाली बात बताता हैं जिसपर संजय एक बडा राज्य माँगने की सलाह देते हुए कहता हैं, " मित्र तुम्हें एक राज्य माँगना चाहिए तुम राजा बन जाओ मैं मंत्री फिर हमें हमें कोई कष्ट नहीं उठाना पडेगा गरीबी का जीवन समाप्त होकर आराम के दिन शुरु होंगे। "
इस बातपर कुछ सोचने पर कपिल कहता हैं, " तुम्हारी बात ठिक हैं संजय राज्य माँगना चाहिए फिर भी मैं पत्नी से सलाह माँग लूँगा आखिर में त्रिपुर से वर। " तब दुखी हुआ संजय कहता हैं, " एक बार फिर सोच लो कपिल, तुम्हें पत्नी से राय नहीं लेनी चाहिए वह केवल अपने बारें में सोचेगी बाद में नुकसान भी उठाना पड सकता हैं। " इतना कहकर कपिल की ओर आशा से देख रहा होता हैं। कपिल बिना सोचे समझे अपनी बात पर अडिग होकर कहता हैं, " मैं अपनी पत्नी से अवश्य राय लूँगा "
बहुत समझाने के बाद भी जब कपिल नहीं मानता तब संजय चला जाता हैं और कपिल भी अपने घर पर जाकर जंगल में घटि अद्भुत घटना का वर्णन करता हैं " कपिल की पत्नी वरदान वाली बात सुनकर खुश हो जाती हैं पर क्या माँगा जाए समझ नहीं पाती और थोडी देर बाद कहती हैं, " राज्य माँगने से कोई लाभ नहीं उल्टा जिम्मेदारीयाँ बढ जाएगी, सबकुछ होने पर भी समय नहीं पाएँगे जीवन तो दुखमय होगा " कपिल भी पत्नी की बात टाल नहीं पाता।
कपिल की पत्नी लालच में आकर चार हाथ दो मुख माँगने की बात कहकर बोलती हैं, " आप दो हाथ से शिलाई मशीन पर ठिक ठाक काम करते हैं चार हाथ होने से दुगना काम कर पाएँगे, कमाई भी अच्छी होगी और आपका मान भी बढ जाएगा " पत्नी की बात से सहमत हुआ कपिल जंगल की ओर चला जाता हैं।
जंगल में पेड के पास आते हीं त्रिपुर वर माँगने कहता हैं, " कपिल क्या वर चाहिए तुम्हें "
कपिल, " आप मुझे दो सिर और चार हाथ के साथ अन्य शक्तीयाँ दे जिससे मैं आसानी से काम कर सकूँ "
त्रिपुर अधिक कुछ पुछे बिना हँसकर वर देता हैं। कपिल को पता नहीं होता की उसे शक्तीयाँ भी मिल चुकी इसके बाद कपिल बडी खुशी के साथ गाँव की ओर चला जाता हैं।
गाँव में आते हीं खेल रहे बच्चे कपिल को देखकर भाग जाते हैं इतने में आए अन्य लोग कपिल को राक्षस समझकर पकडने आते हैं। कपिल का ऐसा रूप देखकर लोग पहले घबराकर भागने लगते हैं फिर कई धारधार हथियार लेकर घेर लेते हैं। कपिल सबको समझाने का खुप प्रयास करता हैं की, वह राक्ष नहीं हैं फिर भी लोग समझने के लिए तयार नहीं होते।
सभी लोग बिना कुछ सोचे समझे हथियार से प्रहार करते रहते हैं जिस कारण कपिल के हाथ पैर तुट नहीं जाते पर शरीर से रक्त बहने के कारण बेहोश होकर गिर जाता हैं। लोग समझते हैं की कपिल मर चुका हैं। इस कारण कपिल की पत्नी को बुलाकर लाया हैं जिसके साथ वह संजय भी चला आता हैं। संजय और कपिल की पत्नी कपिल को देखकर रोने लगते हैं।
तब पत्नी रोटे हुए कहती हैं, " मैने हीं कपिल को चार हाथ दो मुख का वरदान माँगने को कहाँ इस कारण ऐसी हालत हुई, इस बात का जिम्मेदार मैं हूँ " ऐसा कहने के कुछ देर बाद बेहोश हुआ कपिल उठ जाता हैं सारे घाव भर जाते हैं और ऐसे बर्ताव करता हैं जैसे कुछ हुआ हीं नहीं।
इसके बाद कपिल सारी बातें बताकर पत्नीसहित त्रिपुर के पास जाकर स्वयं को ठिक करने के लिए कहता हैं मगर त्रिपुर उसे ठिक नहीं कर पाता। त्रिपुर कपिल से कहता हैं, " अब तुम्हें इसी रूप के साथ जीवन जीना होगा, तुम कोई साधारण नहीं बल्की असाधारण बन चुके हो। कई ग्रहों को नष्ट करने की शक्तीयाँ तुम्हारे अंदर जागृत हो चुकी हैं "
कपिल कहता हैं, " आखिर मैं इस रूप के साथ क्या करूँ, स्वयं के घर का खर्चा भी नहीं उठा पाता "
त्रिपुर कहता हैं, " तुम्हें इन शक्तीयों का उपयोग करके दूसरों की रक्षा करनी चाहिए और तुम कर भी सकते हो साथ हीं अब लोग तुम्हें द्विमुख नाम से जाना जाएगा "
तबसे कपिल की आर्थिक स्थिती सुधरने लग जाती हैं और लोग भी अपनाना शुरु करते हैं। इसके बाद कपिल गाँव पर आनेवाले खतरों से निपटकर लोगों को बचाता हैं।
आज की कहानी " द्विमुख कपिल भाग 1 " adventure story in hindi समाप्त हो जाती हैं अगर आपको पसंद आए तो share अवश्य करें। इस कहानी को लेकर जो भी प्रश्न हैं उसे आप comment करके अवश्य बताए।
सीख - " सोचे समझे किया गया काम हमेशा दुखदाई होता हैं "
कपिल नाम का दर्जी शिलाई मशीन खराब होने से इसी पेड को काटने आता हैं ताकी उसकी लकडी से मशीन बनाई जा सके। मगर त्रिपुर पेड काटने से मना करके बातों से प्रभावित होकर ईच्छा माँगने को कहता हैं। कपिल कौंसी ईच्छा माँगी जाए इसपर कई लोगों की सलाह लेता हैं।
आखिर में कपिल अपनी पत्नी की सलाह पर त्रिपुर के पास जाकर 4 हाथ 2 मुख माँगता हैं ताकी तेजी से शिलाई का काम कर सके। लोग कपिल के अजीब रूप को देखकर पहले भाग जाते हैं बाद में एकत्र आकर बिना कुछ सुने मार देते हैं। सबको लगता हैं कपिल मर गया और उसकी पत्नी को बताया जाता हैं।
थोडी देर बाद जाग चुका कपिल सबको सारी बातें बताकर पत्नी सहित त्रिपुर के पास चले जाते हैं। दोनों सब पहले जैसा करने की ईच्छा माँगते हैं पर त्रिपुर ऐसा नहीं कर पाता बाद में कपिल उसी रूप के साथ जीवन बिताना पडता हैं। इसके बाद सब लोग कपिल को द्विमुख नाम से पुकारने लग जाते हैं।
दो सिर वाले दर्जी की कहानी भाग 1 । Panchatantra story in hindi long story
इस कहानी की शुरुआत भूमंडल से 15 हजार प्रकाश वर्ष दूर विवस्वान नामक सौर मंडल से होती हैं। मानव जिस सौर मंडल में रहते हैं उससे 100 गुना विशाल विवस्वान सौर मंडल हैं। इसी सौर मंडल के एक ग्रह कुंडल पर 3 आँख 4 हाथ पीले रंग के त्रिपुर नामक मुख्य प्रजाती का निवास स्थान हैं। कुंडल ग्रह अपने आप में जीवित हैं जिसका व्यास 10 लाख किमी हैं।
त्रिपुर प्रजातीयों के पास कई जादुई शक्तीयाँ हैं जिनकी सहायता से कई ग्रह आकाशगंगा की दूरी पलभर में तय करते हैं तो कई ऐसे हैं जिन्हें उडकर दूसरे स्थानपर जाना पडता हैं। त्रिपुर जीवों के एक पास एक मुख्य शक्ती हैं कुछ मिनट में जीवों को विकसित करना इस कारण उन्की आयु लाखो तक बढ जाती हैं।
कुंडल ग्रह की प्रजाती Type 1 सभ्यता हैं वे अत्याधुनिक चिजों का निर्माण एक साल के भीतर करने में सक्षम हैं। इतना विकसित ग्रह होने के बाद भी क्षेत्र को लेकर त्रिपुर प्रजातीयों में युद्ध होते रहते हैं। इस बार का युद्ध कुंडल ग्रह के विनाश को निर्धारित कर सकता हैं इस कारण कई लोग इस बात का विरोध करते हैं।
इन्हीं में से एक त्रिपुर क्षेत्र को लेकर होने वाले विवाद से तंग आकर 15 मिनट में पृथ्वी के एक जंगल में चला जाता हैं। सबसे पहले त्रिपुर मीठे फल खाकर अपना पेट भरता हैं और वहाँ से सीधा रहने लायक कोई अच्छा सा स्थान खोजने निकल पडता हैं। त्रिपुर चाहे तो रूप बदलकर गाँव में रह सकता था लेकीन वह ऐसा नहीं करता।
त्रिपुर को एक पेड अपनी ओर आकर्षित करता हैं तब त्रिपुर कुछ मिनट में उस पेड को 10 गुना अधिक विकसित करके उसके भीतर सूक्ष्म रूप धारण करके रहने लगता हैं। इस कार्य के कारण वह पेड एक प्रकार से त्रिपुर का हिस्सा बन जाता हैं जो भी जंगल को नुकसान पहूँचाने के लिए हरे पेडों को काटने का प्रयास करता हैं तब त्रिपुर उन्हें रोक देता हैं।
10 गुना विकसित होने से पेड भी मानव की भाषा समझने में समर्थ हो जाता हैं। एक दिन जंगल में श्रापित भेडिया निर्दोष लोगों को मारने के लिए झपट पडता हैं तब त्रिपुर एक हीं प्रहार से दूर फ़ेक देता हैं। इस तरह कई लोग जानवरों का शिकार होने से बच जाते हैं दूसरी ओर एक नई घटना शुरु हो जाती हैं।
दूसरी ओर कपिल एक गरीब व्यक्ती हैं जो घर का खर्चा निकालने के लिए शिलाई मशीन द्वारा अच्छे कपडे सिलकर पैसे कमाता हैं। कपिल केवल एक मशीन के द्वारा हीं कार्य करके घर संभालता हैं। उस मशीन के अधिकतर पार्टस लकडी से बने हैं। कपिल ऐसा हैं की खुद के बजाय शिलाई मशीन का ध्यान रखता हैं जो उसकी कमाई का साधन हैं।
कपिल के घर की छत खराब हो जाती हैं ठिक करने का समय भी नहीं मिलता। एक दिन तेज बारिश शुरु हो जाती हैं। इस बारिश में छत से गिरा पानी और सतह का पानी घर में भर जाता हैं किसी तरह आवश्यक वस्तूओं को बचा पाते हैं। इन सब के बाद भी शिलाई मशीन को खराब होने से नहीं बचा पाता।
खराब हुई मशीन को देखकर परेशान हुआ कपिल दुखी मन से सोच विचार करता हैं, " जीवन व्यापन करने की इकलौती शिलाई मशीन खराब हो गई, जल्दी ठिक करना होगा अन्यथा परिवार को भुखे पेट मरते देखना पडेगा, मुझे भी भुखा रहना पडेगा " भयभीत हुआ कपिल शिलाई मशीन को खोलकर खराब हुए लकडी के उपकरणों अलग रख देता हैं।
कपिल जानता हैं मशीन के उपकरण बनाने के लिए जो लकडी चाहिए वह जंगल में मिल सकती हैं। तब कपिल निर्णय कर लेता हैं की वह जंगल में जाएगा, आवश्यक पेड की लकडी तोडेगा और लकडी के उपकरण बनाएगा। रास्तेपर भरा हुआ पानी कम होते हीं पैदल चलकर जंगल में जाता हैं। जंगल में बहुत खोज करने के बाद उसे मनचाहा पेड नहीं मिलता दुखी होकर बैठ जाता हैं। अपनी गरीबी का ध्यान आने से फिर्से खोज आरंभ कर देता हैं।
बहुत देर तक खोज करने के बाद उसे त्रिपुर वाला पेड चमकता हुए दिखता हैं उसकी ओर आकर्षित होकर जाता हैं। वह पेड दिखने में उँचा, बडा, हराभरा होने के साथ पृथ्वी पर पाए जाने वाला पेड नहीं लग रहा था। पर जैसे भी हो कपिल को पेड पसंद आ जाता हैं। कपिल कहता हैं, " इसी पेड की लकडी ठिक रहेगी मेरे मशीन के उपकरणों को बनाने के लिए। मुझे काम जल्दी करना होगा "
उसी समय कपिल कुल्हाडी लेकर पेड की ओर जाता हैं। जैसे हीं पहला प्रहार पेड की जडों पर करने के लिए कुल्हाडी उठाता हैं तब उसके हाथ हवा में हीं अटक जाते हैं। इतने में त्रिपुर की आवाज पेड से आती हैं, " रुक जाओ कपिल इस पेड को मत काटो, यह मेरा घर हैं जिसपर मैं रहता हूँ "
कपिल डरते हुए कहता हैं, " तुम कौन हो मेरा नाम कैसे पता ? और तुम कौन जो पेड काट से रोक रहे हो"
इतना कहते हीं त्रिपुर अपने असली रूप में पेड से बाहर आकर कपिल को मुक्त करता हैं। " हरे पेड को काटने के बजाय सुखे पेड को काटो " ऐसा कहकर उस कुल्हाडी को अपने पास रख देता हैं। तब वह एलियन त्रिपुर अपना परिचय देकर पेड काटने का कारण पुछता हैं।
कपिल, " हे त्रिपुर मुझे क्षमा करो मैं विवश हूँ, इस पेड की लकडी से शिलाई मशीन के उपकरण बनाकर लगाना हैं ताकी मैं उसपर काम करके पैसे कमा पाऊँ और मेरा परिवार भुखे ना सोए, मेरे पास केवल यहीं मार्ग बचा हैं। "
कपिल के जवाब को सुनकर प्रसन्न हुआ त्रिपुर पेड न काटने की सलाह देकर योग्य ईच्छा माँगने को कहता हैं, " कपिल तुम्हारी जो ईच्छा हैं माँगलो मुझसे जितना हो सकेगा पुरा करूँगा, अधिक विचार ना करो "
त्रिपुर की ऐसी बातों को सुनकर खुश हुआ कपिल कहता हैं, " हे त्रिपुर, मुझे वर माँगने के लिए एक दिन का समय दे, मैं अपने मित्र और पत्नी की राय लेना चाहता हूँ, वापस आ जाउँगा " ऐसा कहने के बाद कपिल घर की ओर तेजी से जाता हैं।
त्रिपुर भी एक दिन का समय कपिल को देते हैं। रास्ते से घर जाते समय कपिल को उसका ढाबे वाला मित्र मिल जाता हैं। कपिल हडबडी में संजय को त्रिपुर एलियन वरदान वाली बात बताता हैं जिसपर संजय एक बडा राज्य माँगने की सलाह देते हुए कहता हैं, " मित्र तुम्हें एक राज्य माँगना चाहिए तुम राजा बन जाओ मैं मंत्री फिर हमें हमें कोई कष्ट नहीं उठाना पडेगा गरीबी का जीवन समाप्त होकर आराम के दिन शुरु होंगे। "
इस बातपर कुछ सोचने पर कपिल कहता हैं, " तुम्हारी बात ठिक हैं संजय राज्य माँगना चाहिए फिर भी मैं पत्नी से सलाह माँग लूँगा आखिर में त्रिपुर से वर। " तब दुखी हुआ संजय कहता हैं, " एक बार फिर सोच लो कपिल, तुम्हें पत्नी से राय नहीं लेनी चाहिए वह केवल अपने बारें में सोचेगी बाद में नुकसान भी उठाना पड सकता हैं। " इतना कहकर कपिल की ओर आशा से देख रहा होता हैं। कपिल बिना सोचे समझे अपनी बात पर अडिग होकर कहता हैं, " मैं अपनी पत्नी से अवश्य राय लूँगा "
बहुत समझाने के बाद भी जब कपिल नहीं मानता तब संजय चला जाता हैं और कपिल भी अपने घर पर जाकर जंगल में घटि अद्भुत घटना का वर्णन करता हैं " कपिल की पत्नी वरदान वाली बात सुनकर खुश हो जाती हैं पर क्या माँगा जाए समझ नहीं पाती और थोडी देर बाद कहती हैं, " राज्य माँगने से कोई लाभ नहीं उल्टा जिम्मेदारीयाँ बढ जाएगी, सबकुछ होने पर भी समय नहीं पाएँगे जीवन तो दुखमय होगा " कपिल भी पत्नी की बात टाल नहीं पाता।
कपिल की पत्नी लालच में आकर चार हाथ दो मुख माँगने की बात कहकर बोलती हैं, " आप दो हाथ से शिलाई मशीन पर ठिक ठाक काम करते हैं चार हाथ होने से दुगना काम कर पाएँगे, कमाई भी अच्छी होगी और आपका मान भी बढ जाएगा " पत्नी की बात से सहमत हुआ कपिल जंगल की ओर चला जाता हैं।
जंगल में पेड के पास आते हीं त्रिपुर वर माँगने कहता हैं, " कपिल क्या वर चाहिए तुम्हें "
कपिल, " आप मुझे दो सिर और चार हाथ के साथ अन्य शक्तीयाँ दे जिससे मैं आसानी से काम कर सकूँ "
त्रिपुर अधिक कुछ पुछे बिना हँसकर वर देता हैं। कपिल को पता नहीं होता की उसे शक्तीयाँ भी मिल चुकी इसके बाद कपिल बडी खुशी के साथ गाँव की ओर चला जाता हैं।
गाँव में आते हीं खेल रहे बच्चे कपिल को देखकर भाग जाते हैं इतने में आए अन्य लोग कपिल को राक्षस समझकर पकडने आते हैं। कपिल का ऐसा रूप देखकर लोग पहले घबराकर भागने लगते हैं फिर कई धारधार हथियार लेकर घेर लेते हैं। कपिल सबको समझाने का खुप प्रयास करता हैं की, वह राक्ष नहीं हैं फिर भी लोग समझने के लिए तयार नहीं होते।
सभी लोग बिना कुछ सोचे समझे हथियार से प्रहार करते रहते हैं जिस कारण कपिल के हाथ पैर तुट नहीं जाते पर शरीर से रक्त बहने के कारण बेहोश होकर गिर जाता हैं। लोग समझते हैं की कपिल मर चुका हैं। इस कारण कपिल की पत्नी को बुलाकर लाया हैं जिसके साथ वह संजय भी चला आता हैं। संजय और कपिल की पत्नी कपिल को देखकर रोने लगते हैं।
तब पत्नी रोटे हुए कहती हैं, " मैने हीं कपिल को चार हाथ दो मुख का वरदान माँगने को कहाँ इस कारण ऐसी हालत हुई, इस बात का जिम्मेदार मैं हूँ " ऐसा कहने के कुछ देर बाद बेहोश हुआ कपिल उठ जाता हैं सारे घाव भर जाते हैं और ऐसे बर्ताव करता हैं जैसे कुछ हुआ हीं नहीं।
इसके बाद कपिल सारी बातें बताकर पत्नीसहित त्रिपुर के पास जाकर स्वयं को ठिक करने के लिए कहता हैं मगर त्रिपुर उसे ठिक नहीं कर पाता। त्रिपुर कपिल से कहता हैं, " अब तुम्हें इसी रूप के साथ जीवन जीना होगा, तुम कोई साधारण नहीं बल्की असाधारण बन चुके हो। कई ग्रहों को नष्ट करने की शक्तीयाँ तुम्हारे अंदर जागृत हो चुकी हैं "
कपिल कहता हैं, " आखिर मैं इस रूप के साथ क्या करूँ, स्वयं के घर का खर्चा भी नहीं उठा पाता "
त्रिपुर कहता हैं, " तुम्हें इन शक्तीयों का उपयोग करके दूसरों की रक्षा करनी चाहिए और तुम कर भी सकते हो साथ हीं अब लोग तुम्हें द्विमुख नाम से जाना जाएगा "
तबसे कपिल की आर्थिक स्थिती सुधरने लग जाती हैं और लोग भी अपनाना शुरु करते हैं। इसके बाद कपिल गाँव पर आनेवाले खतरों से निपटकर लोगों को बचाता हैं।
आज की कहानी " द्विमुख कपिल भाग 1 " adventure story in hindi समाप्त हो जाती हैं अगर आपको पसंद आए तो share अवश्य करें। इस कहानी को लेकर जो भी प्रश्न हैं उसे आप comment करके अवश्य बताए।
द्विमुख कपिल भाग 1 adventure story in hindi । moral of the story in hindi
सीख - " सोचे समझे किया गया काम हमेशा दुखदाई होता हैं "
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