Hermit and Mouse Panchatantra story hindi
1. पवन नाम के व्यक्ती की आर्थिक स्थिती सामान्य गरीब से बेहतर हैं।2. पवन चाहकर भी अपनी चोरी की आदत छुडा नहीं पाता।
3. जागृत दिव्य स्थान मणीपुरम से सोने के चक्र, छडी, मणी पवन चुरा लेता हैं।
4. थोडी देर बाद पवन एक आत्मविश्वासी चुहे में बदल जाता हैं।
5. यहीं चुहा आगे चलकर प्रसिद्ध मंदिर के पीछे बिल बनाकर रहता हैं।
6. एक साधु लोगों द्वारा दिए खाने के सामान को टोकरी में बाँधकर उपर लटकाता हैं।
7. कितना भी प्रयत्न करने के बाद साधु खाने को बचा नहीं पाता तब एक मुनी उपाय बताता हैं।
8. बिल से खाना गायब होते देख चुहे का आत्म विश्वास कम हो जाता हैं
9. बिल से भाग जाने के कारण साधु का खाना सुरक्षित रहता हैं पर चुहा गायब हो जाता हैं
10. यहीं चुहा एक जंगल में मानवीय चुहा मुषकमान बन जाता हैं।
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Hermit and Mouse Story in hindi with Moral । Panchatantra Story |
साधु और चुहे की कहानी भाग 1। Panchatantra Story in Hindi
पवन नाम का व्यक्ती अच्छा कलाकार हैं फिर भी चोरी करता हैं। पवन की आर्थिक स्थिती सामान्य गरीब से बेहतर होने पर भी चोरी नहीं छोड पाता। चोरी भी आत्मविश्वास से करता हैं। एक जागृत स्थान से सोने के चक्र आदी चुराने से वह चुहा बन जाता हैं शादी ना होने से वह अकेला रहता हैं।
एक साधु मंदिर के सारे कार्य नियमित रूप से निपटाकर शास्त्रों में बताए धर्म के उपदेश बताता हैं तब खुश हुए गांव के लोग पर्याप्त भोजन देते हैं। भोजन करने के बाद साधु बचे हुए भोजन को टांग देता हैं। बाद में कार्य पर चला जाता हैं
अगले दिन से चुहा उस खाने को अपने बिल में ले जाता हैं जहाँ का पता मुनी द्वारा मुनी द्वारा कई दिन बाद चलता हैं। साधु बिल में खाना गायब करावा देते हैं। आत्मविश्वास तुट चुका चुहा अगली बार छलाँग लगाकर टोकरी से खाना चुरा नहीं पाता और बिल छोडकर चला जाता हैं।
उसी दिन गायब हुआ चुहा स्वयं को एक जंगल में पाता हैं। स्वयं का रूप पुन्हा बदलते देख पवन भागने का प्रयास करता हैं मगर नहीं भाग पाता और धीरे धीरे मानवीय चुहे मुषकमान में बदल जाता हैं। यहीं मुषकमान कई जानवरों को मारकर खा जाता हैं।
कहानी की शुरुआत रुद्रपुर गांव से होती हैं जहाँ अधिकतर जागृत दिव्य स्थान हैं। इस गांव में आए दिन दिव्य घटनाए होती रहती हैं। रुद्रपुर गांव के पुण्यवान माने जाने वाले कई साधु दिव्य स्थान के पास जाते हीं गायब हो गए। जब वे साधु पुन्हा लौट आए तो सबको हैरान करने वाली बात बताई जिसपर कोई विश्वास नहीं कर पाता। एकसाथ अनेको ब्रह्मांड को पानी के बुलबुले समान बनते बिगडते देखा। साधु की इस बात पर सभा में बैठे तीन लोग सहमती जताते हैं क्योंकी उन्होंने भी ठिक ऐसा हीं देखा था।
जिस स्थान पर यह घटना हुई हैं वह स्थान मणीपुरम हैं। मणीपुरम के क्षेत्र में एक दिव्य पेड हैं जिसके जडों के पास सोने का चक्र, छडी, गदा ऐसे हथियार रखे हुए हैं। जब से इस क्षेत्र में चक्र गिरा तब से दिव्य घटनाए होने लगी। पुण्यवान लोगों को ब्रह्मांड के अंजान स्थान दिखाई देते थे। जो भी चोरी करने का प्रयास करता उसे अपनी आँखों के समक्ष नरक आदी भयानक अधोलोक का दर्शन हो जाता हैं।
रुद्रपुर गांव में मणीपुरम क्षेत्र के पास हीं पवन नाम का अच्छा कलाकार रहता हैं। पवन अपनी कलाकारी से कई प्रकार के घडे बनाकर बेचता हैं जिस्से मिलने वाले पैसे से घर का खर्चा उठाया करता हैं। पवन की आर्थिक स्थिती सामान्य गरीब से बेहतर हैं दो वक्त का खाना खा पाता हैं। पवन जब से जंगल में से गायब होकर आया तभी से उसे चोरी करने की आदत लग गई और चोरी के दमपर सुधार करने लगा।
एक दिन पवन को लगता हैं चोरी की आदत उसे अंदर से खाए जा रहीं हैं तब वह स्वयं को हानी पहूँचकर एक कमरे में बंद कर देता हैं। पवन बंद कमरे में स्वयं से कहता हैं " मैं अब चोरी नहीं करुँगा चाहे कुछ भी हो " उसी समय पवन से उसका चोरी वाला रूप बाहर आकर पवन को डराता पर पवन नहीं डरता और क्षमा माँगकर मारने जाता हैं।
चोरी वाला रूप पवन को आत्महत्या करने से रोककर उसके शरीर पर हावी हो जाता हैं। इसके बाद पवन योग्य समय मिलते हीं चोरी करता दूसरी ओर कलाकारी आगे जो करने जा रहा उसे पवन समझाता हैं फिर फिर चोर रूप नहीं मानता हैं। चोर रूप अब धन के साथ शक्तीयाँ चुराना चाहता हैं इसिलिए वह मणीपुरम क्षेत्र को चुनता हैं जहाँ लोगों को दिव्य अनुभव हुए हैं।
अगले दिन अपना रोज का कार्य पुरा करके पवन आत्मविश्वास से भरकर मणीपुरम क्षेत्र में जाता हैं। इस क्षेत्र से लोग कम होते हीं मौका देखकर पवन सोने का चक्र, छडी, मणी चुराकर भागने जाता हैं तभी एक तेज प्रकाश निकलता हैं और पवन एक चुहे में बदल जाता हैं। डरा हुआ पवन मंदिर के पास स्थित एक बिल में सभी चिजों को रख देता हैं। अपनी हालत से दुखी पवन चोर रूप को कोसने लगता हैं। चोर रूप पवन वहीं पर अकेला छोडकर जाने का प्रयास करता हैं पर इस बार ऐसा नहीं कर पाता।
रुद्रपुर गांव में एक साधु प्रसिद्ध मंदिर में रहता हैं जिसके पास हीं एक बिल में पवन चुहा रहता हैं। साधु अपने हर रोज के मंदिर से जुडे कार्य पुरे करके भक्ती करता खाली समय में शास्त्रों का अर्थसहित पाढ करता हैं। महिने के 7 दिन धर्म प्रवचन उपदेश देना जैसे कार्य करता हैं। गांव वाले जब भी मंदिर में आ जाते साधु को कुछ ना कुछ भेट देते इस कारण उन्हें भोजन, वस्त्र की कोई कमी हो पाती। बचा हुआ खाना टोकरी में भरकर उपर लटका देते हैं।
इसी तरह साधु कई दिन बिताता हैं पर गांव में से पवन गायब हुआ हैं तब से अजीब घटनाए साधु के साथ होने लगी। साधु समझ नहीं पाता की आखिर टांगा हुआ खाना कहाँ गायब हो जाता हैं। एक दिन वह खाना लटकार सोने का नाटक करता हैं। साधु देखता हैं एक चुहा उसका खाना चुराकर ले जा रहा हैं। अगले दिन खाना औए उपर कर देता हैं फिर भी चुहा टोकरी पर छलाँग मारकर खाना ले जाता हैं। इस प्रकार साधु के कई प्रयास विफल हो जाते हैं। चुहे की ऐसी हरकतों से परेशान हुआ उपाय सोचने लगता हैं।
एक दिन मंदिर में भगवान के दर्शन करने आए मुनी ने मंदिर के साधु को निराश बैठे देखा और उसकी ओर चले गए। मुनी के द्वारा कारण पुछे जाने पर साधु ने सभी घटनाओं को विस्तार से बताया तब मुनी ने चुहे के आत्मविश्वास होने का कारण खोजने के लिए कहाँ इसके बाद दोनों ने उसी प्रकर खाना लटका दिया और चुहे की प्रतिक्षा करने लगे।
वह चुहा बडी आसानी से टोकरी पर छलाँग लगाकर सारा खाना चुरा लेता हैं। साधु मुनी पीछा करते हुए मंदिर के पीछे आते हैं जहाँ चुहा चुराया हुआ खाना बिल में भरकर रखता हैं। जैसे हीं चुहा चला जाता हैं दोनों मिलकर बिल को खोदकर देखते हैं। बिल में बहुत सारा खाना, सोने के सिक्के, मणीपुरम से चुराए चक्र आदी मिल जाते हैं।
दोनों मिलकर खाने के सामान को गरीबों में बाँटकर मणीपुरम से चुराए हथियार को उसी स्थान पहूँचाते हैं। चुहा बिल में आकर देखता हैं की उसका घर खोद कर किसी ने सामान चुरा लिया इन बातों से चुहे का आत्मविश्वास कम हो जाता हैं। चुहा इस बात से परेशान होकर उछलने की शक्ती खो देता हैं। चुहे के अंदर स्थित चोर रूप भी ऐसा भी हो सकता हैं सोच नहीं पाता।
अगले दिन चुहा साधु के उसी टोकरी के निचे आ जाता हैं। इस बार साधु मुनी दूर से सब देख रहे होते हैं की चुहा सफल हो पाएगा या नहीं। इस बार चुहा अधिक उपर उछल नहीं पाता नाहीं टोकरी को छु पाता हैं जबकी टोकरी पहले से निचे हैं। जैसे हीं दोनों भगाने का प्रयास करते हैं तब चुहा भागने की तयारी में होता हैं फिर ऐसा होता जो मुनी ने आजतक नहीं देखा और ना कभी देखना चाहेगा।
चुहा एकदम से गायब हो जाता हैं, यह अभी क्या हुआ जानने लिए मुनी ध्यान करता हैं जिसके माथे पर लगा तिलक चमकता रहता हैं। वह मुनी चुहे की अब तक की सारी बातें जानकर विस्तार पूर्वक साधु को बताता हैं। फिर साधु को समझ आता हैं की पवन कैसे गायब होकर चुहा बन गया। मगर इस बार पवन चुहे के रूप में कहाँ पर हैं नहीं जानता।
दूसरी ओर पवन चुहा स्वयं को एक जंगल में पाता हैं। पवन वहाँ से भागने का असफल प्रयास करके रोते रहता हैं। पवन को अपने मानव जीवन की सभी बातें एक क्षण में दिखाई देती हैं। चुहा बन चुके पवन में स्थित चोर रूप जंगल के भयानक वातावरण को देख डरकर भागने लगता हैं फिर भी उसी स्थान पर वापस आ जाता हैं।
थोडी देर बाद जंगल में आए प्रकाश की एक किरण पवन को टकराती हैं जिस कारण पवन मानवीय चुहे मुषकमान में बदल जाता हैं। अपने किए पर पछता रहा पवन हैरान रह जाता हैं जब उसके शरीर से निकला चोर रूप पवन जानवरों को मारकर खा रहा हैं दूसरी ओर उसका सफेद रंग का रूप जंगल में लगे फलों को खाकर चोर रूप से दूसरों को बचा रहा हैं।
इस प्रकार पवन के शरीर से 16 व्यक्तीत्व वाले रूप बाहर घुम रहे होते हैं। कोई भी रूप चाहकर भी पवन को नुकसान नहीं पहूँचा सकते क्योंकी वे पवन के अंश हैं। जैसे हीं कोई रूप पवन को मारने आता हैं तब पवन की ऊर्जा उस रूप से 2 गुना बढ जाती हैं।
हमारी आज की कहानी " Hermit and Lion story in hindi " समाप्त हो जाती हैं। इसके अगले भाग में क्या होगा इसे जानने लिए प्रतिक्षा करें। अगर आप इस blog hindistoryloop पर नए आए हैं तो like share comment अवश्य करें
सीख - Panchatantra hindi story
1. " संसाधन के अभाव में आत्मविश्वास कम हो जाता हैं " संसधन का ध्यान रखना चाहिए ।
2. " चोरी श्राप के समान कार्य करती हैं पीछा नहीं छुडवा पाते "
एक साधु मंदिर के सारे कार्य नियमित रूप से निपटाकर शास्त्रों में बताए धर्म के उपदेश बताता हैं तब खुश हुए गांव के लोग पर्याप्त भोजन देते हैं। भोजन करने के बाद साधु बचे हुए भोजन को टांग देता हैं। बाद में कार्य पर चला जाता हैं
अगले दिन से चुहा उस खाने को अपने बिल में ले जाता हैं जहाँ का पता मुनी द्वारा मुनी द्वारा कई दिन बाद चलता हैं। साधु बिल में खाना गायब करावा देते हैं। आत्मविश्वास तुट चुका चुहा अगली बार छलाँग लगाकर टोकरी से खाना चुरा नहीं पाता और बिल छोडकर चला जाता हैं।
उसी दिन गायब हुआ चुहा स्वयं को एक जंगल में पाता हैं। स्वयं का रूप पुन्हा बदलते देख पवन भागने का प्रयास करता हैं मगर नहीं भाग पाता और धीरे धीरे मानवीय चुहे मुषकमान में बदल जाता हैं। यहीं मुषकमान कई जानवरों को मारकर खा जाता हैं।
साधु और चुहे की कहानी भाग 1 । Hermit and the Mouse story in hindi
कहानी की शुरुआत रुद्रपुर गांव से होती हैं जहाँ अधिकतर जागृत दिव्य स्थान हैं। इस गांव में आए दिन दिव्य घटनाए होती रहती हैं। रुद्रपुर गांव के पुण्यवान माने जाने वाले कई साधु दिव्य स्थान के पास जाते हीं गायब हो गए। जब वे साधु पुन्हा लौट आए तो सबको हैरान करने वाली बात बताई जिसपर कोई विश्वास नहीं कर पाता। एकसाथ अनेको ब्रह्मांड को पानी के बुलबुले समान बनते बिगडते देखा। साधु की इस बात पर सभा में बैठे तीन लोग सहमती जताते हैं क्योंकी उन्होंने भी ठिक ऐसा हीं देखा था।
जिस स्थान पर यह घटना हुई हैं वह स्थान मणीपुरम हैं। मणीपुरम के क्षेत्र में एक दिव्य पेड हैं जिसके जडों के पास सोने का चक्र, छडी, गदा ऐसे हथियार रखे हुए हैं। जब से इस क्षेत्र में चक्र गिरा तब से दिव्य घटनाए होने लगी। पुण्यवान लोगों को ब्रह्मांड के अंजान स्थान दिखाई देते थे। जो भी चोरी करने का प्रयास करता उसे अपनी आँखों के समक्ष नरक आदी भयानक अधोलोक का दर्शन हो जाता हैं।
रुद्रपुर गांव में मणीपुरम क्षेत्र के पास हीं पवन नाम का अच्छा कलाकार रहता हैं। पवन अपनी कलाकारी से कई प्रकार के घडे बनाकर बेचता हैं जिस्से मिलने वाले पैसे से घर का खर्चा उठाया करता हैं। पवन की आर्थिक स्थिती सामान्य गरीब से बेहतर हैं दो वक्त का खाना खा पाता हैं। पवन जब से जंगल में से गायब होकर आया तभी से उसे चोरी करने की आदत लग गई और चोरी के दमपर सुधार करने लगा।
एक दिन पवन को लगता हैं चोरी की आदत उसे अंदर से खाए जा रहीं हैं तब वह स्वयं को हानी पहूँचकर एक कमरे में बंद कर देता हैं। पवन बंद कमरे में स्वयं से कहता हैं " मैं अब चोरी नहीं करुँगा चाहे कुछ भी हो " उसी समय पवन से उसका चोरी वाला रूप बाहर आकर पवन को डराता पर पवन नहीं डरता और क्षमा माँगकर मारने जाता हैं।
चोरी वाला रूप पवन को आत्महत्या करने से रोककर उसके शरीर पर हावी हो जाता हैं। इसके बाद पवन योग्य समय मिलते हीं चोरी करता दूसरी ओर कलाकारी आगे जो करने जा रहा उसे पवन समझाता हैं फिर फिर चोर रूप नहीं मानता हैं। चोर रूप अब धन के साथ शक्तीयाँ चुराना चाहता हैं इसिलिए वह मणीपुरम क्षेत्र को चुनता हैं जहाँ लोगों को दिव्य अनुभव हुए हैं।
अगले दिन अपना रोज का कार्य पुरा करके पवन आत्मविश्वास से भरकर मणीपुरम क्षेत्र में जाता हैं। इस क्षेत्र से लोग कम होते हीं मौका देखकर पवन सोने का चक्र, छडी, मणी चुराकर भागने जाता हैं तभी एक तेज प्रकाश निकलता हैं और पवन एक चुहे में बदल जाता हैं। डरा हुआ पवन मंदिर के पास स्थित एक बिल में सभी चिजों को रख देता हैं। अपनी हालत से दुखी पवन चोर रूप को कोसने लगता हैं। चोर रूप पवन वहीं पर अकेला छोडकर जाने का प्रयास करता हैं पर इस बार ऐसा नहीं कर पाता।
रुद्रपुर गांव में एक साधु प्रसिद्ध मंदिर में रहता हैं जिसके पास हीं एक बिल में पवन चुहा रहता हैं। साधु अपने हर रोज के मंदिर से जुडे कार्य पुरे करके भक्ती करता खाली समय में शास्त्रों का अर्थसहित पाढ करता हैं। महिने के 7 दिन धर्म प्रवचन उपदेश देना जैसे कार्य करता हैं। गांव वाले जब भी मंदिर में आ जाते साधु को कुछ ना कुछ भेट देते इस कारण उन्हें भोजन, वस्त्र की कोई कमी हो पाती। बचा हुआ खाना टोकरी में भरकर उपर लटका देते हैं।
इसी तरह साधु कई दिन बिताता हैं पर गांव में से पवन गायब हुआ हैं तब से अजीब घटनाए साधु के साथ होने लगी। साधु समझ नहीं पाता की आखिर टांगा हुआ खाना कहाँ गायब हो जाता हैं। एक दिन वह खाना लटकार सोने का नाटक करता हैं। साधु देखता हैं एक चुहा उसका खाना चुराकर ले जा रहा हैं। अगले दिन खाना औए उपर कर देता हैं फिर भी चुहा टोकरी पर छलाँग मारकर खाना ले जाता हैं। इस प्रकार साधु के कई प्रयास विफल हो जाते हैं। चुहे की ऐसी हरकतों से परेशान हुआ उपाय सोचने लगता हैं।
एक दिन मंदिर में भगवान के दर्शन करने आए मुनी ने मंदिर के साधु को निराश बैठे देखा और उसकी ओर चले गए। मुनी के द्वारा कारण पुछे जाने पर साधु ने सभी घटनाओं को विस्तार से बताया तब मुनी ने चुहे के आत्मविश्वास होने का कारण खोजने के लिए कहाँ इसके बाद दोनों ने उसी प्रकर खाना लटका दिया और चुहे की प्रतिक्षा करने लगे।
वह चुहा बडी आसानी से टोकरी पर छलाँग लगाकर सारा खाना चुरा लेता हैं। साधु मुनी पीछा करते हुए मंदिर के पीछे आते हैं जहाँ चुहा चुराया हुआ खाना बिल में भरकर रखता हैं। जैसे हीं चुहा चला जाता हैं दोनों मिलकर बिल को खोदकर देखते हैं। बिल में बहुत सारा खाना, सोने के सिक्के, मणीपुरम से चुराए चक्र आदी मिल जाते हैं।
दोनों मिलकर खाने के सामान को गरीबों में बाँटकर मणीपुरम से चुराए हथियार को उसी स्थान पहूँचाते हैं। चुहा बिल में आकर देखता हैं की उसका घर खोद कर किसी ने सामान चुरा लिया इन बातों से चुहे का आत्मविश्वास कम हो जाता हैं। चुहा इस बात से परेशान होकर उछलने की शक्ती खो देता हैं। चुहे के अंदर स्थित चोर रूप भी ऐसा भी हो सकता हैं सोच नहीं पाता।
अगले दिन चुहा साधु के उसी टोकरी के निचे आ जाता हैं। इस बार साधु मुनी दूर से सब देख रहे होते हैं की चुहा सफल हो पाएगा या नहीं। इस बार चुहा अधिक उपर उछल नहीं पाता नाहीं टोकरी को छु पाता हैं जबकी टोकरी पहले से निचे हैं। जैसे हीं दोनों भगाने का प्रयास करते हैं तब चुहा भागने की तयारी में होता हैं फिर ऐसा होता जो मुनी ने आजतक नहीं देखा और ना कभी देखना चाहेगा।
चुहा एकदम से गायब हो जाता हैं, यह अभी क्या हुआ जानने लिए मुनी ध्यान करता हैं जिसके माथे पर लगा तिलक चमकता रहता हैं। वह मुनी चुहे की अब तक की सारी बातें जानकर विस्तार पूर्वक साधु को बताता हैं। फिर साधु को समझ आता हैं की पवन कैसे गायब होकर चुहा बन गया। मगर इस बार पवन चुहे के रूप में कहाँ पर हैं नहीं जानता।
दूसरी ओर पवन चुहा स्वयं को एक जंगल में पाता हैं। पवन वहाँ से भागने का असफल प्रयास करके रोते रहता हैं। पवन को अपने मानव जीवन की सभी बातें एक क्षण में दिखाई देती हैं। चुहा बन चुके पवन में स्थित चोर रूप जंगल के भयानक वातावरण को देख डरकर भागने लगता हैं फिर भी उसी स्थान पर वापस आ जाता हैं।
थोडी देर बाद जंगल में आए प्रकाश की एक किरण पवन को टकराती हैं जिस कारण पवन मानवीय चुहे मुषकमान में बदल जाता हैं। अपने किए पर पछता रहा पवन हैरान रह जाता हैं जब उसके शरीर से निकला चोर रूप पवन जानवरों को मारकर खा रहा हैं दूसरी ओर उसका सफेद रंग का रूप जंगल में लगे फलों को खाकर चोर रूप से दूसरों को बचा रहा हैं।
इस प्रकार पवन के शरीर से 16 व्यक्तीत्व वाले रूप बाहर घुम रहे होते हैं। कोई भी रूप चाहकर भी पवन को नुकसान नहीं पहूँचा सकते क्योंकी वे पवन के अंश हैं। जैसे हीं कोई रूप पवन को मारने आता हैं तब पवन की ऊर्जा उस रूप से 2 गुना बढ जाती हैं।
हमारी आज की कहानी " Hermit and Lion story in hindi " समाप्त हो जाती हैं। इसके अगले भाग में क्या होगा इसे जानने लिए प्रतिक्षा करें। अगर आप इस blog hindistoryloop पर नए आए हैं तो like share comment अवश्य करें
Hermit and the Lion story in hindi with moral Panchatantra series
सीख - Panchatantra hindi story
1. " संसाधन के अभाव में आत्मविश्वास कम हो जाता हैं " संसधन का ध्यान रखना चाहिए ।
2. " चोरी श्राप के समान कार्य करती हैं पीछा नहीं छुडवा पाते "
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